मोबाइल के सकारात्मक सदुपयोग से छात्राएं लायें अपने और समाज में आंतरिक स्वच्छता- प्रधानाचार्य डॉ श्यामचन्द्र।

80% से अधिक बीमारियां स्वच्छता की कमी तथा गलत जीवन शैली के कारण होती हैं उत्पन्न- डॉ चौरसिया।

“एक पेड़ मां के नाम” नामक राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत कॉलेज परिसर में किया गया वृक्षारोपण।

#MNN@24X7 दरभंगा, छात्राएं ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्वच्छता के नियमों का पालन करते हुए अपनी दिनचर्या प्रारंभ करें और अध्ययन- कार्य के साथ ही अपने सभी कार्यों को सफलीभूत करें। छात्र- जीवन ब्रह्मचारी जैसा तपमय काल होता है। यदि वे अपने कर्मों को पूरी लगन एवं नियमपूर्वक सुचिता से करेंगे तो उन्हें सफलता अवश्य ही मिलेगी। उक्त बातें एमआरएम कॉलेज, दरभंगा की एनएसएस इकाई के तत्वावधान में “स्वच्छता का हमारे जीवन में महत्व” विषय पर आयोजित संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए प्रधानाचार्य डॉ श्यामचन्द्र गुप्त ने कही। उन्होंने कहा कि मोबाइल के सकारात्मक सदुपयोग से छात्राएं लाए अपने तथा समाज में आंतरिक स्वच्छता, क्योंकि इसके दुरूपयोग से हमारे युवा पीढ़ी के मन में स्वच्छता के भाव का अभाव हो रहा है तथा वे गलत दिशा में भटक रही है। हमें अपने मन, वचन और कर्म- तीनों रूपों से आंतरिक एवं बाह्य स्वच्छता का पालन करना चाहिए और इसकी शुरुआत हमें अपने घर से करनी चाहिए।

राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम समन्वयक डॉ आर एन चौरसिया ने मुख्य अतिथि के रूप में स्वच्छता के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि भारत में 80% से अधिक बीमारियां स्वच्छता की कमी तथा गलत जीवन- शैली के कारण उत्पन्न होती हैं। स्वच्छ वातावरण से न केवल हमारे शरीर और मन स्वस्थ रहते हैं, बल्कि हमारी कार्यक्षमता भी बढ़ती है। स्वच्छता से हमारा आत्मसम्मान बढ़ेगा तथा देश का आर्थिक विकास भी तीव्र होगा। उन्होंने स्वच्छता में ही ईश्वर का वास बताते हुए इसके लिए स्वयंसेवकों से व्यापक जन जागरूकता अभियान चलाने का आह्वान किया और कहा कि स्वच्छता के लिए सिर्फ सरकारी तंत्र या नगर निगम के भरोसे हाथ पर हाथ रखकर बैठना बेमानी होगी। पूर्ण स्वच्छता सामूहिक जागृति एवं सबके सार्थक प्रयास से ही संभव है।
विशिष्ट वक्ता के रूप में समाजशास्त्र विभागाध्यक्ष डा पुतुल सिंह ने छात्राओं से स्वच्छता के प्रति दूसरे लोगों को भी प्रेरित करने का संकल्प दिलाया। गंदगी से न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक और सामाजिक संतुलन भी प्रभावित होता है। कार्यक्रम का संचालन एवं अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ शगुफ्ता खानम ने स्वास्थ्य का मानव जीवन में महत्व को विस्तार से रेखांकित किया। वहीं हिन्दी- प्राध्यापिका नीलम सेन ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए स्वच्छता के महत्व की चर्चा करते हुए कहा कि स्वच्छता न केवल हमारे स्वास्थ्य के लिए, बल्कि हमारे जीवन के हर पहलू के लिए आवश्यक है।

अतिथियों का स्वागत पौधा प्रदान कर किया गया, जिन्हें ‘एक पेड़ मां के नाम’ राष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत कॉलेज परिसर में लगाया गया। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के सामूहिक गायन से हुआ। संगोष्ठी में दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डा शिखर वासिनी, रसायन विज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ निशा सक्सेना, मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष डॉ शावली मित्रा, डॉ अंजली कुमारी, डॉ अल्पना कुमारी, डॉ किरण अग्रहरी तथा डॉ कुमारी अमृता चौधरी, निहारिका, गौरी, प्रियंका, अनुपम, कंचन, अंशु, रितुरानी, अंकिता, नेहा, रूपा, खुशी, भावना , विंध्या, सानिया, सिम्मी, नजिया, पूजा, गुड़िया संगीता, इसरतुल, फातिमा, कायनात, निधि, सोनिया और प्रतिभा आदि सहित 50 से अधिक व्यक्ति उपस्थित थे।