आज दिनांक 27 नवंबर 2022 को ऑल इंडिया सेव एजुकेशन कमिटी एवं आइ क्यू ए सी,सीएम कॉलेज दरभंगा के संयुक्त तत्वाधान में महाविद्यालय सेमिनार हॉल में आयोजित किया गया।कार्यक्रम का आयोजन दो सत्रों में किया गया।

#MNN24X7 पहले सत्र के कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ अनिल कुमार मंडल ने किया तो वही संचालन महाविद्यालय के हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ अखिलेश कुमार राठौड़ ने किया अपने अध्यक्षीय भाषण में डॉ अनिल कुमार मंडल ने कहा कि सरकार के द्वारा जो शिक्षा नीति 2020 लाई गई है इस पर सरकार का एक अपना तर्क और राय है, तो वहीं दूसरी तरफ देश के बुद्धिजीवियों शिक्षाविदों एवं शिक्षा प्रेमियों का है। देश के बुद्धिजीवियों शिक्षा प्रेमियों और बुद्धिजीवियों का मानना है कि यह शिक्षा नीति लागू होने से यह शिक्षा पूरी तरह से देश के कारपोरेट के हाथों में चली जाएगी और कहीं से भी शिक्षा का चरित जनवादी नहीं रह जाएगा।

उन्होंने आगे कहा कि मेरी नजर में इस नीति में जो सबसे बड़ी खामी यह है कि पाठ्यक्रम सत्र की सीमा नहीं होगी और ना ही ही साइंस, आर्ट्स और कॉमर्स स्ट्रीम होगा। कोई भी विद्यार्थी किसी भी स्ट्रीम के विषयों को चुनने के लिए स्वतंत्र होंगे और वह अपने हिसाब से पाठ्यक्रम पूरा कर सकते हैं,उनके लिए कोई समय सीमा नहीं होगी।

पहले सत्र के संबोधन में डॉ विद्यानाथ झा ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति छात्र एवं शिक्षा विरोधी है तो वही गुणवत्ता विहीन शिक्षा पद्धति का ब्लूप्रिंट है।इसके खिलाफ व्यापक प्रचार और जन आंदोलन गठित करने की वक्त की जरूरत है।

जबकि कार्यक्रम के दूसरे सत्र की अध्यक्षता मिथिला विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के पूर्व प्रोफेसर एवं इतिहासकार डॉ धर्मेंद्र कुमर ने किया एवं संचालन ऑल इंडिया सेव एजुकेसन कमिटी, दरभंगा चैप्टर के संयोजक डॉ लाल कुमार ने किया। इस इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता ऑल इंडिया सेव एजुकेसन कमिटी के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य श्री विश्वजीत मित्रा थे।

श्री विश्वजीत मित्रा ने अपने संबोधन में कहा कि नवजागरण काल के मनीषियों, आजादी आंदोलन के स्वतंत्रता सेनानियों का सपना था कि आजादी के बाद धर्मनिरपेक्ष,जनवादी एवं वैज्ञानिक शिक्षा पद्धति लागू होगी और इसकी आर्थिक जिम्मेदारी गठित सरकार की होगी। लेकिन आजादी के बाद से ही जो सरकारें बनी वह शिक्षा के निजीकरण, व्यापारी करण संप्रदायिकरन एवं केंद्रीकरण के लिए ही काम किया। लेकिन भाजपा शासित केंद्र सरकार द्वारा नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 लाई गई है यह पूरी तौर पर देश के आम किसान मजदूर के बच्चों के हाथ से शिक्षा को छीन लेगी और देश के कॉर्पोरेट घरानों को मुनाफा कमाने के वस्तु में तब्दील करके रख देगी। शिक्षा बजट में लगातार कटौती जारी है। पूरे देश भर में स्कूलों को क्लोजर एवं मर्जर नीति के तहत बंद किया जा रहा है। सरकार चाहती है कि गरीब किसान मजदूर के बच्चे शिक्षा से वंचित हो जाए और इस व्यवस्था में मजदूर बनकर पूंजीपतियो के मुनाफा लूटने के साधन में बदल के रह जाए।

अपने अध्यक्षीय भाषण में डॉ धर्मेंद्र कुमर ने कहा कि इतिहास के तथ्यों को बदलकर और विकृत कर पौराणिक कथाओं के आधार पर इतिहास का पूर्ण लेखन जारी है। भारतीय ज्ञान प्रणाली के नाम पर अब वैज्ञानिक, अंधविश्वास एवं कट्टरता आधारित ज्ञान को सिलेबस में डालकर आधुनिक एवं वैज्ञानिक शिक्षा को खत्म करने का प्रयास चल रहा है।

कन्वेंशन को संबोधित करने वालों में अखिलेश कुमार, डॉ अशोक कुमार, डॉ बी पी गुप्ता, शिक्षक सुधांशु कुमार, श्री हीरालाल साहनी, डॉ जमील हसन अंसारी, डॉ अनुज कुमार, डॉ नरेश कुमार, डॉ एमडी इरशाद, सोनू कुमार सिंह आदि प्रमुख थे। तो वही कार्यक्रम को सफल बनाने में मुजाहिद आजम,छवि कुमार, हरे राम, रोशन कुमार, रामजीवन कुमार, हर्षिता बेगम, साकरा परवीन,करन कुमार, रूपेश कुमार, मिथिलेश कुमार आदि ने अपनी महती की भूमिका निभाई।

कार्यक्रम के अंत में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के खिलाफ में एक प्रस्ताव लाया गया जो सर्वसम्मति से पारित हुआ।

विनाशकारी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के खिलाफ जन आंदोलन निर्मित करने के लिए 25 सदस्यीय कार्यकारिणी का गठन किया गया। जिसमें अध्यक्ष प्रोफेसर विद्यानाथ झा और उपाध्यक्ष डॉ बीपी गुप्ता एवं डॉ उमेश कुमार शर्मा तो वही सचिव डॉ लाल कुमार को सर्वसम्मति से चुना गया।संयुक्त सचिव डॉ जमील हसन अंसारी, सुधांशु कुमार, मोहम्मद इरशाद एवं कोषाध्यक्ष सुरेंद्र कुमार ठाकुर को चुना गया।