दो दिनों में पूरी हुई यात्रा
#MNN@24X7 वर्ल्ड नेचुरल डेमोक्रेसी (डब्ल्यूएनडी) के तत्वाधान में नदी सत्याग्रह का द्वितीय चरण (2.0) के अन्तर्गत सूखी नदियों की यात्रा का समापन 17 जून को हुआ। नदी पदयात्रा एकमीघाट बाग़मती से शुरू हुई और अधबाड़ा समूह, मधौली, हवाई अड्डा, धोईघाट गौंसाघाट, जीवछघाट, रामसला, बसैला, गोपालपुर आदि को कवर यात्रा काकरघाटी पहुँची और वहीं कमला नदी के सेतु में यात्रा का समापन हुआ। मौसम पूर्वानुमान के अनुसार मानसून की कभी भी दस्तक पड़ने की दृष्टि से यात्रा को निर्धारित दिनाँक से पूर्व सम्पन्न कर लिया गया।
यात्रा में लवली यूनिवर्सिटी के बीटेक द्वितीय वर्ष के छात्र, क्रमशः आयुष रंजन, पियूष रंजन एवं दीपक कुमार ने हिस्सा लिया और और साथ-साथ चले।
डब्यूएनडी के लेखक एवं पृथ्वी अधिकार कार्यकर्ता डॉ. जावैद अब्दुल्लाह ने नदी यात्रा करते हुये कहा कि नदियों का जो हाल है वह संसार के विनाश का संकेत है। क्या प्यास केवल मानव को ही लगती है? दूसरे जीव जन्तुओं को नहीं लगती? हमने किसी को नहीं छोड़ा। हम तो फिर कहीं से पानी जुटा लेते हैं लेकिन अन्य जीव? बाढ़ की स्थिति को छोड़ दें तो.. दो दशकों से ये दोनों नदियाँ प्यासी हैं। ज्ञातव्य हो कि इसी सन्दर्भ में नदी सत्याग्रह के द्वितीय चरण का अन्तिम आयोजन (नदी किनारे नदी संवाद) आगामी 2 जुलाई 2023 (3:45 अपराह्न) से दुर्गा मन्दिर गौंसाघाट पर सुनिश्चित किया गया है।
नदी पदयात्रा में संजय यादव, सीता, देबू यादव, तेतरी देवी, गोविन्द कुमार, जीवछ घाट के नारायण दास ने भाग लिया। इस अवसर पर डब्ल्यूएनडी सचिव अनिल कुमार, सदस्य डॉ. आशुतोष व्यास, सदस्या आतिका महजबीं, तालाब बचाओ अभियान के नारायण जी चौधरी, वनस्पतिशास्त्री प्रो. विद्यानाथ झा एवं भारत के जलपुरुष राजेन्द्र सिंह ने नदी पदयात्रा की बधाई दी और नदियों पर गहरी चिन्ता व्यक्त की। नदी सत्याग्रह के इस पदयात्रा का उद्देश्य सूखी नदियों की तरफ़ लोगों और सरकारों का ध्यान आकृष्ट कराना है।