•पिछले तीन वर्षों में उपलब्ध मकान को किया जायेगा सूचीबद्ध
•प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के तहत उपलब्ध कराये जा रहे आवास
•छिडकाव दलों को प्राप्त मकानों की संख्या उपलब्ध कराने के दिए गए निर्देश
मधुबनी,10 सितंबर । जिले में कालाजार नियंत्रण को लेकर सिंथेटिक पैराथायराइड का छिडकाव शुरू हो चुका है। सभी चिह्नित प्रखंडों में सघन तरीके से छिडकाव कराया जाना प्रस्तावित है। ताकि लोगों को कालाजार से मुक्ति मिल सके। इसी क्रम में अब छिडकाव दलों को कालाजार पीड़ित मरीजों को प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के तहत उपलब्ध कराये गए घर की सूची तैयार कर उसकी तस्वीर जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यालय को उपलब्ध करानी होगी। इस सन्दर्भ में अपर निदेशक सह राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम डॉ. विनय कुमार शर्मा ने सिविल सर्जन एवं जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी को पत्र जारी कर आवश्यक निर्देश दिए हैं।
पिछले तीन वर्षों में उपलब्ध मकान को किया जायेगा सूचीबद्ध:
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. विनोद कुमार झा ने बताया गया है कि चिन्हित राजस्व ग्रामों में सिंथेटिक पैराथायराइड का छिडकाव किया जा रहा है। इस छिडकाव में छिडकाव कर्मियों द्वारा सभी आक्रांत ग्रामों के घरों में छिडकाव किया जाना है। छिडकाव कर्मियों द्वारा घरों की जनसँख्या, कमरे, बरामदा, गौशाला एवं संभावित कालाजार मरीजों की संख्या को अपने रजिस्टर में अंकित किया जाता है। इसी रजिस्टर में छिडकाव कर्मी अब प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के तहत प्राप्त मकानों की संख्या दर्ज करेंगे और मकान की फोटो भी लेंगे। विभाग का मानना है कि इससे विगत तीन वर्षों में प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के तहत उपलब्ध कराये गए पक्के मकानों की वास्तविक संख्या की जानकारी हो सकेगी।
जिले के 9 कालाजार मरीजों को मिला योजना का लाभ :
वेक्टर रोग नियंत्रण पदाधिकारी राकेश कुमार रंजन ने बताया कालाजार से पीड़ित मरीजों को प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के तहत राज्य स्तर से सूची मांगी गई थी जिले में 9 कालाजार मरीज को पक्का मकान योजना का लाभ मिला है सूची राज्य कार्यालय को भेज दी गई है. जिसके तहत बेनीपट्टी- 2 घोघरडीहा -1, खजौली -2 लखनौर -1, रहिका 1 राजनगर – 2 लोग शामिल है.
कैसे फैलता है कालाजार:
कालाजार मादा फाइबोटोमस अर्जेंटिपस(बालू मक्खी) के काटने के कारण होता है, जो कि लीशमैनिया परजीवी का वेक्टर (या ट्रांसमीटर) है। किसी जानवर या मनुष्य को काट कर हटने के बाद भी अगर वह उस जानवर या मानव के खून से युक्त है तो अगला व्यक्ति जिसे वह काटेगा वह संक्रमित हो जायेगा। इस प्रारंभिक संक्रमण के बाद के महीनों में यह बीमारी और अधिक गंभीर रूप ले सकती है, जिसे आंत में लिशमानियासिस या कालाजार कहा जाता है। बालू मक्खी सामान्यतः नमी भरे वातावरण में पनपती है। यह कच्चे मकान, घर में स्थित गौशाला, घर के अँधेरे नमी युक्त वाले जगहों के साथ मिट्टी की दीवारों के बीच पड़ी दरारों में पनपती है।