#MNN@24X7 नई शिक्षा नीति के तहत च्वाॅइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) अंतर्गत चार वर्षीय डिग्री पाठ्यक्रम एवं शैक्षणिक सत्र 2023-27 से इस पाठ्यक्रम में सेमेस्टर सिस्टम लागू करने की रूपरेखा तैयार करने के लिए कुलाधिपति द्वारा गठित बिहार के कुलपतियों की पांच सदस्यीय ड्राफ्टिंग कमिटी का चेयरमैन, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो सुरेंद्र प्रताप सिंह को बनाए जाने पर विद्यापति सेवा संस्थान की ओर से महासचिव डा बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने शनिवार को उन्हें फूलों का गुलदस्ता प्रदान कर बधाई एवं शुभकामनाएं दी। इस दौरान मैथिली सेवी मनीष कुमार झा रघु भी उनके साथ थे।
मौके पर उन्होंने कहा कि यह समस्त मिथिलावासी के लिए गौरव की बात है कि ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के यशस्वी कुलपति प्रो सुरेंद्र प्रताप सिंह के कुशल नेतृत्व में न सिर्फ विश्वविद्यालय का अभूतपूर्व विकास हो रहा है, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी विश्वविद्यालय की गरिमा को चार चांद लग रहे हैं। उन्होंने कहा कि लगातार चार बार बी.एड. की पात्रता परीक्षा का राज्य स्तरीय सफल संचालन का इतिहास रचने के बाद डिग्री पाठ्यक्रम से संबंधित महत्वपूर्ण ड्राफ्टिंग कमिटी का उन्हें चेयरमैन बनाए जाने से शैक्षणिक महकमे में मिथिला का धाक एक बार फिर से कायम हुआ है।
मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं कमलाकांत झा ने कुलपति को बधाई देते कहा कि शिक्षा एवं ज्ञान के क्षेत्र में मिथिला की ख्याति आदिकाल से शिखर पर रहती आई है। उन्हें यह जवाबदेही मिलने से यह गरिमा पुनर्स्थापित हुई है। इस अवसर पर मणिकांत झा ने कहा कि मिथिला में पारंपरिक शिक्षा के विभिन्न अंगों के अन्वेषण, अर्जित विद्या के नवीनीकरण, परिवर्तन एवं संरक्षण की गौरवशाली परंपरा रही है।
कुलाधिपति ने मिथिला के अग्रणी विश्वविद्यालय के कुलपति को नयी शिक्षा नीति के तहत डिग्री पाठ्यक्रम की रूपरेखा तैयार करने का दायित्व सौंपकर मिथिला की गौरवशाली परंपरा को सम्मान देने का कार्य किया है। मीडिया संयोजक प्रवीण कुमार झा ने कहा कि मिथिला के कई तेजस्वी विद्वानों ने प्राचीन काल से ही मिथिला की पहचान एक प्रमुख शिक्षा केंद्र के रूप में कायम किया है। इस कड़ी में मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति को मिली नई जवाबदेही वर्तमान समय में शिक्षा को आगे बढ़ाने में मील का पत्थर साबित होगी।
मौके पर कुलपति ने विद्यापति सेवा संस्थान के सभी सदस्यों के प्रति आभार जताते कहा कि मिथिला का इतिहास हमेशा से ज्ञान और साहित्य के सृजनात्मक आनंद में संचित होता रहा है। इसकी ख्याति शौर्य और पराक्रमपूर्ण विजयों की बजाय उस विद्या केंद्र की स्थापना के लिए रही है, जहां मिथिला के कई तेजस्वी विद्वानों ने प्राचीन काल से ही मिथिला की पहचान को एक प्रमुख शिक्षा केंद्र के रूप में स्थापित किया है।
उन्होंने कहा कि मिथिला के ज्ञान भूमि की सेवा करते हुए वे इस जवाबदेही को भी निष्ठापूर्वक पूरा कर पाएंगे। ऐसा उनका विश्वास है।
कुलपति की इस गौरवशाली उपलब्धि के लिए डा बुचरू पासवान, डा महेंद्र नारायण राम, प्रो जीव कांत मिश्र, प्रो विजय कांत झा, विनोद कुमार झा, दुर्गा नन्द झा, प्रो चंद्रशेखर झा बूढ़ाभाई, मनीष कुमार झा रघु, डा गणेश कांत झा, डा उदय कांत मिश्र, आशीष चौधरी, नवल किशोर झा, पुरुषोत्तम वत्स आदि ने भी बधाई व शुभकामनाएं दी है।