काव्य रचना मनुष्य के अंदर सुलगने वाली चिंगारियों का परिणाम- कुलपति।
मेरी शायरी मानवीय जीवन- दर्शन का आईना- प्रो मुश्ताक अहमद।
#MNN@24X7 दरभंगा। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के कुलपति प्रोफेसर एस पी सिंह के द्वारा उर्दू साहित्यकार प्रोफेसर मुश्ताक अहमद, संप्रति कुलसचिव का नया काव्य संग्रह “जर्द मौसम की नज्में” का विमोचन करते हुए अपने उद्बोधन में कहा कि काव्य रचना मनुष्य के अंदर सुलगने लगने वाली चिंगारियों का परिणाम है। आम मनुष्य और रचनाकार में यह अंतर है कि आमजन किसी भी हादसे को सरसरी नजरों से देखते हैं, जबकि एक साहित्यकार उसे अपने अनुभव का हिस्सा बना लेता है और साहित्य चेतना की बदौलत उसे शब्दों में पिरोकर कहानी या कविता के माध्यम से जनमानस में भावोद्वेग पैदा करता है।
प्रोफेसर सिंह ने कहा कि मुझे खुशी है कि प्रोफेसर मुश्ताक अहमद उर्दू के एक स्थापित कवि एवं रचनाकार हैं और इनकी दो दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। इनके लेखन से उर्दू साहित्य जगत में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा को भी एक नई पहचान मिली है।
ज्ञातव्य हो कि प्रोफेसर मुश्ताक अहमद की यह 26 वीं पुस्तक है। इससे पूर्व 24 पुस्तकें आलोचना एवं शोधपरक हैं, जबकि “जर्द मौसम की नज्में” इनका दूसरा काव्य संग्रह है। इससे पूर्व कोरोना काल की विभीषिकाओं पर आधारित उर्दू तथा देवनागरी दोनों लिपियों में “आईना हैरान है” काव्य संग्रह प्रकाशित हुआ था, जिसे कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से पुरस्कृत किया गया।
अवसर पर कवि प्रोफेसर मुश्ताक अहमद ने कहा कि “जर्द मौसम की नज्में” मेरे टूटने और बिखरने के रचनात्मक मर्म का दस्तावेज है। इसमें व्यवस्थाओं के प्रति विरोध और मानवीय मूल्यों की स्थापना की वकालत की गई है। इस काव्य संग्रह की कविताएं केवल पाठ करके आगे बढ़ने की इजाजत नहीं देती, बल्कि चिंतन- मंथन के लिए मजबूर भी करती है।
इस अवसर पर मैथिली साहित्य के स्थापित रचनाकार प्रोफेसर अशोक कुमार मेहता ने कहा कि इस कविता संग्रह में आप बीती जग बीती बन गई है। अधिकतर कविताएं मानवीय मूल्यों तथा जीवन- यथार्थ पर आधारित है।
डब्ल्यू आई टी के निदेशक प्रोफेसर बी एस झा ने कहा कि प्रशासनिक पदों पर रहते हुए भी प्रोफेसर मुश्ताक अहमद द्वारा काव्य रचना उनकी विलक्षण प्रतिभा एवं साहित्य प्रेम का प्रतीक है जो अन्यत्र दुर्लभ है।
उपस्थित लोगों के आग्रह पर प्रोफ़ेसर मुश्ताक ने पुस्तक में संग्रहित कविता का पाठ भी किया।
पुस्तक विमोचन के अवसर पर प्रो एच के सिंह, प्रो बीएस झा, प्रो सुरेन्द्र कुमार, डा मो ज्या हैदर, डा आर एन चौरसिया, डा दिवाकर झा, डा ज्योति प्रभा, प्रो विजय कुमार यादव, प्रो दिलीप कुमार चौधरी, सैयद मो जमाल अशरफ तथा विनय कुमार झा आदि उपस्थित थे।