#MNN@24X7 दरभंगा, कृषि विज्ञान केंद्र जाले द्वारा प्राकृतिक खेती परियोजना अंतर्गत 33 प्रशिक्षित किसानों को प्राकृतिक खेती करने के लिए किट उपलब्ध कराया गया। जिससे कि प्रशिक्षित कृषक बंधु सुगमता से जीवामृत निमास्त्र ब्रह्मास्त्र बिजामृत बनाकर कम लागत में कम लागत में गुणवत्ता युक्त एवं अच्छी उत्पादन प्राप्त कर सके और अपने आसपास के किसानों को इस तकनीक से अवगत करा सके।

ज्ञात हो कि प्राकृतिक खेती परियोजना अंतर्गत कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा विभिन्न प्रखंडों एवं गांव के 400 किसानों को 10 प्रशिक्षण के द्वारा प्रशिक्षित किया गया है। यह भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है जो कृषि विज्ञान केंद्र के सहयोग से विगत 2 वर्षों से चलाया जा रहा है।

कार्यक्रम की जानकारी देते हुए कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष डॉ दिव्यांशु शेखर ने बताया की प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र विगत 2 वर्षों से कार्य कर रहा है। पिछले वर्ष 40 प्रतिभागियों को इस तकनीक से प्रशिक्षित किया गया था तथा धनकौल गांव के 12 किसानों के यहां प्राकृतिक विधि से खेती कराया जा रहा है। इस वर्ष इस परियोजना को विस्तारित करने का प्रयास किया जा रहा है।

परियोजना के प्रभारी वैज्ञानिक डॉ प्रदीप विश्वकर्मा ने बताया इस कार्यक्रम के अंतर्गत दरभंगा के बिरौल प्रखंड में दो दिवसीय दो प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया था साथ ही बहादुरपुर प्रखंड के तारालाही गांव में एक प्रशिक्षण आयोजन किया गया था तथा जाले प्रखंड के ततैला गांव में दो कछुआ गांव में एक तथा चार प्रशिक्षण कार्यक्रम कृषि विज्ञान केंद्र परिसर में आयोजित किए गए थे।

प्राकृतिक खेती को विस्तार देने के लिए कृषि विज्ञान केंद्र के द्वारा समय-समय पर जागरूकता कार्यक्रम विभिन्न गांव में आयोजित किए जाते हैं साथ ही कृषि विज्ञान केंद्र परिसर में भी इसकी प्रत्यक्षण इकाई की स्थापना की गई है। जिससे कि कृषि विज्ञान केंद्र भ्रमण करने वाले किसान भी इस तकनीक को जान और समझ सके।

इसी क्रम में आज जाले प्रखंड के अहियारी प्रखंड के अहियारी गोट, अहियरी उत्तरी, कमतौल बेलवाड़ा मस्सा चंदौना खेसर कछुआ आदि गांव के प्रशिक्षणार्थियों को प्राकृतिक खेती किट उपलब्ध कराया गया है।