#MNN@24X7 दरभंगा, कृषि विज्ञान केंद्र, जाले, दरभंगा के द्वारा जलवायु अनुकूल कृषि परियोजना अंतर्गत चयनित ग्राम जाले, राढी,ब्रह्मपुर, रतनपुर और सनहपुर के कृषकों को उपादान स्वरूप खरपतवार नाशक दवा (बिसपाइरीबैक सोडियम और पाइरोजोसल्फ्युरान), लीफ कलर चार्ट (एलसीसी) और वैकल्पिक सूखा और गीला करने वाली पाइप (अल्टरनेट वेटिंग एंड ड्राइंग पाइप) दिया गया।
कृषि विज्ञान केंद्र के वरीय वैज्ञानिक सह अध्यक्ष डॉ दिव्यांशु शेखर ने आए हुए सभी कृषकों को संबोधन करते हुए उपादान स्वरूप दी जाने वाली सभी उपादानों के इस्तेमाल करने की विधि के साथ उससे जुड़ी अहम जानकारियां साझा की। लिप कलर चार्ट के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि इस चार्ट के इस्तेमाल से आप धान की फसल को अनावश्यक यूरिया देने से बच जाएंगे । इससे यूरिया की बचत होगी यानी आपकी लागत कम होगी। इससे 10 से 15 किलोग्राम प्रति एकड़ नाइट्रोजन बचाया जा सकता है। आपके खेतों की उर्वरता बनी रहेगी। ज्यादा यूरिया के बोझ से फसल खराब नहीं होगी। साथ ही भूमिगत जल की गुणवत्ता भी खराब होने से बचेगी। आप इस रंगमापी पट्टी का प्रयोग कर आसानी से अपना मुनाफा बढ़ा सकते हैं।
अलटरनेट वेटिंग ऐंड ड्राइंग पाइप का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि यह एक पीवीसी से बनी पानी की ट्यूब/पाइप का उपयोग आमतौर पर AWD पद्धति का अभ्यास करने के लिए किया जाता है। ट्यूब का मुख्य उद्देश्य पानी की गहराई की निगरानी करना है। ट्यूब मिट्टी की सतह के नीचे के क्षेत्र में पानी की उपलब्धता को मापने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
कृषि विज्ञान केंद्र के पौध संरक्षण वैज्ञानिक डॉ गौतम कुणाल ने खरपतवार नाशी के बारे में बताते हुए कहा कि बिसपाइरीबैक सोडियम नामक दवा का 80 से 100 मिली लीटर+ पाइरोजोसल्फ्युरान नामक खरपतवारनासी का 80 से 100 ग्राम प्रति डेढ़ सौ से 200 लीटर पानी की दर से 1 एकड़ में छिड़काव करने से खरपतवारओं की समस्या से निजात मिल सकता है। ध्यान देने योग्य बात है कि इन खरपतवार नाशक दवाओं के छिड़काव के 24 घंटे के अंदर खेतों में नमी होना आवश्यक है। साथ ही उन्होंने आए हुए सभी कृषकों को लिप कलर चार्ट खेतों में जाकर इस्तेमाल करने की बारीकियों को बताया।
उन्होंने कहा की पत्ती के रंग का मिलान करते समय लीफ कलर चार्ट को शरीर की छाया में रखना चाहिए औऱ पत्ती के मध्य भाग को चार्ट के ऊपर रख कर मिलान करना चाहिए। पत्ती का चार्ट से मिलान करते समय सूर्य की रोशनी चार्ट पर नही पड़नी चाहिए । जब धान के खेत में पानी ठहराव हो यूरिया का प्रयोग न करे और धान की फूल की अवस्था के बाद यूरिया का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। साथ में उन्होंने एडब्ल्यूडी पाइप को खेतों लगाने की विधि व उसे लगाकर दिखाया। अंत मैं आए हुए सभी कृषकों को केंद्र परिसर में चल रही दीर्घकालीन परीक्षण क्षेत्र का परिभ्रमण कराया। इस कार्यक्रम केंद्र के के दौरान क्षेत्र प्रबंधक डॉ चंदन शोध सहायक डॉक्टर संदीप अभिषेक समेत अन्य कृषक उपस्थित थे।