राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन अकादमी, हैदराबाद के नवनियुक्त कृषि वैज्ञानिकों ने अपने 21 दिवसीय प्रक्षेत्र प्रशिक्षण अनुभव को कृषि विज्ञान केंद्र, जाले के समक्ष प्रस्तुत किया

#MNN@24X7 कृषि विज्ञान केंद्र, जाले, दरभंगा में नेशनल एकेडमी ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च मैनेजमेंट, हैदराबाद से नवनियुक्त कृषि अनुसंधान सेवा के 6 वैज्ञानिक 21 दिनों के फील्ड ट्रेनिंग अनुभव (एफईटी) के लिए कृषि विज्ञान केंद्र, जाले दरभंगा आए हुए थे। इस दौरान वे सभी जिले के चयनित प्रखंड हनुमान नगर के पंचोभ ग्राम में जाकर किसानों की समाजिक एवं आर्थिक स्थिति का विस्तृत विश्लेषण कर उनकी स्तर को सुधारने हेतु अपना प्रस्ताव प्रस्तुत करना था।

उनका यह क्षेत्र प्रशिक्षण कार्यक्रम भारतीय कृषि प्रबंधन अकादमी के प्रधान वैज्ञानिक डॉ आलोक कुमार के नेतृत्व में किया जा रहा था। इस कार्यक्रम की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि यह एक प्रक्षेत्र प्रशिक्षण कार्यक्रम होता है। जिसमें कृषि सेवा के तहत चयनित नवनियुक्त कृषि वैज्ञानिकों को एफ इ टी कार्यक्रम के अंतर्गत विभिन्न जिलों के साथ जोड़ा जाता है। जिसमें वैज्ञानिकों का दल गांव विशेष में किसानों के साथ विभिन्न तकनीकों को अपनाकर किसानों की कृषि एवं उनके सामाजिक और आर्थिक स्थिति का विस्तृत विश्लेषण करते हैं तत्पश्चात उसकी सुधार हेतु प्रतिवेदन तैयार करते हैं। जिसके आधार पर उस गांव के कृषि विकास की रूपरेखा तैयार की जाती है। उन्होंने बताया की कृषि विज्ञान केंद्र, जाले के सहयोग से इन वैज्ञानिकों ने हनुमान नगर प्रखंड के पंचोभ गांव का चयन किया था। जहां वे अपने 21 दिनों के लिए प्रक्षेत्र प्रशिक्षण कार्यक्रम पर थे।

पंचोभ गांव में कृषि विकास की असीम संभावना- डॉ आलोक

डॉ आलोक ने बताया कि विभिन्न संकायों के 6 वैज्ञानिकों ने पंचोभ गांव का विस्तृत अध्ययन किया जिससे गांव में उपलब्ध संसाधन कृषि की चुनौतियां तथा विकास के विभिन्न संस्थानों की भूमिका को रेखांकित करते हुए विकास की रूपरेखा प्रस्तुत की है इस रूपरेखा के निर्माण के लिए वैज्ञानिको ने गांव के किसानों के विभिन्न दलों, जनप्रतिनिधियों एवं अधिकारियों के साथ कई दिनों तक विस्तृत चर्चा की है तथा उन्होंने जिले के विभिन्न विकास संस्थानों से अपेक्षा व्यक्त की। उन्होने आशा व्यक्त किया की इस प्रस्तुति एवं विकास प्रतिवेदन के आधार पर जिले के विभिन्न विकास संस्थान अपनी भूमिकाओं को तय करेंगे और इस प्रस्तुतीकरण के अनुरूप अपनी भूमिकाओं का निर्वहन कर गांव के विकास में अपना योगदान देंगे

राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन अकादमी,हैदराबाद के बैज्ञानिकों ने पंचोभ गांव के विकास की रूपरेखा को किया प्रस्तुत।

इस क्रम में 6 वैज्ञानिकों का दल जिसमें चांदनी सब्जी विभाग प्रीति टिग्गा कृषि भौतिकी, प्रियंका मिणा पशुपालन, आभीनव दुबे कृषि अभियंत्रण,रवि भूषण प्रसाद बीज विज्ञान,एवं सुनील कुमार फल वैज्ञानिक ने सम्मिलित होकर अपने 21 दिवसीय प्रक्षेत्र प्रशिक्षण अनुभव के प्रस्ताव को अन्य विशेषज्ञों एवं कृषकों के समक्ष प्रस्तुत किया। 21 दिनों के अपने अध्ययन और प्रशिक्षण के उपरांत के उपरांत उन्होंने कहा कि पंचोभ ग्राम एक विकासशील ग्राम है। जहां 80% साक्षरता है साथ ही ग्राम के किसानों का खेती के प्रति काफी लगाव है, बस जरूरत है तो उन्हें सही दिशा निर्देश की अगर एक उचित निर्देश मिले तो वे और भी तरक्की कर सकते हैं। इस दौरान कृषि में गांव के विकास के आड़े आ रही समस्याओं का जिक्र करते हुए उन लोगों ने कहा कि गांव में अभियंत्रिकीकरण की आवश्यकता है साथ ही कृषकों को समय-समय पर कृषि संबंधित प्रशिक्षण की जरूरत है।

इस प्रशिक्षण के समापन और प्रस्ताव प्रस्तुति के उपरांत केंद्र के वरीय वैज्ञानिक अधीक्षक डॉ दिव्यांशु शेखर ने सभी नवनियुक्त कृषि वैज्ञानिकों के मनोबल बढ़ाते हुए कहा की कृषि को भारतीय अर्थव्यवस्था की रीड की हड्डी बोली जाती है।जिसकी बागडोर की अहम जिम्मेवारी अब आप लोग को दी जाती है, और साथ हीं उन्होंने यह कामना किया कि वे अपने इस कर्म को सुदृढ़ होकर निर्वहन करेंगे ताकि भारतीय कृषि को एक नई आयाम मिले।

केंद्र के अध्यक्ष डॉ दिव्यांशु शेखर ने नाम हैदराबाद एवं डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों के प्रति आभार व्यक्त किया। जिन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र दरभंगा को यह दायित्व दिया।

इस कार्यक्रम के दौरान डीडीएम नाबार्ड राजनंदिनी, उपनिदेशक कृषि अभियंत्रण शंभू कुमार, उप निदेशक कृषि रसायन कुणाल, केंद्र के विशेषज्ञ डॉ गौतम कुणाल, डॉ जगपाल, डॉक्टर सुधाकर ,डॉ पूजा एवं डॉ चंदन, बेलवाड़ा ग्राम के प्रगतिशील किसान धीरेंद्र कुमार और पंचोभ के निरंजन चौधरी उपस्थित रहें।