गाँव-गाँव में खेग्रामस की सदस्यता बढ़ाकर मोदी सरकार को उखाड़ फेंकना ही लक्ष्य -शत्रुघ्न सहनी

गरीबों को उजाड़ने की साजिश के खिलाफ लड़ाई को तेज करना होगा- आर. के. सहनी

#MNN@24X7 हायाघाट। 28 अक्टूबर। जमीनी स्तर पर दलितों-गरीबों-आदिवासियों के भूमि-अधिकार, वास-आवास के अधिकार, रोजी-रोटी के प्रश्नों, सामंती-दबंग ताकतों के हमले के खिलाफ सम्मानजनक ज़िन्दगी के मुद्दों के लिए हमेशा संघर्षरत अखिल भारतीय खेत एवं ग्रामीण मजदूर सभा का 5वाँ जिला सम्मेलन बुधनराम मंच, हरेराम पासवान सभागार हायाघाट (दरभंगा) में अध्यक्ष मंडल के साथी जंगी यादव, शनिचरी देवी, हरि पासवान, बैद्यनाथ यादव, पप्पू कुमार पासवान, सत्यनारायण मुखिया, डॉ.शोएब की अध्यक्षता में शुरू हुई।

कार्यक्रम की शुरुआत कॉमरेड फूलो देवी के द्वारा झंडोत्तोलन से हुई। इसके बाद देश के शहीदों की याद में दो मिनट का मौन रखा गया।

उद्घाटन भाषण में सम्मेलन को संबोधित करते हुए खेग्रामस राज्य कार्यकारिणी सचिव(बिहार) शत्रुघ्न सहनी ने कहा कि आज देश में हम ऐसी साम्प्रदायिक फ़ासीवादी हुकूमत से लड़ रहे हैं जो घोर क्रूरता के साथ मजदूर विरोधी कानून ला रही है। मजदूरों के रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा के लिए केंद्र सरकार के पास कोई योजना नहीं है। आज मजदूरी बढ़ नहीं रही है लेकिन मंहगाई चरम पड़ है।

उन्होंने आगे खेग्रामस के आंदोलन की याद दिलाते हुए कहा कि 2005 में अनेक आंदोलनों के बाद मनरेगा को लागू करवाया गया था। 2014 के बाद मोदी सरकार द्वारा मनरेगा को कॉरपोरेट को सौंपने की तैयारी हो रही है।

खेतिहर-मजदूरों की बहुत बड़ी आबादी है। राजनीतिक रूप से दक्ष हो कर गाँव-गाँव में संगठन बना कर भाजपा जैसी फासिस्ट हुकूमत को उखाड़ फेंकना होगा। इसके लिए वर्गीय आंदोलन को बहुत तीव्र करना अनिवार्य हो गया है।

सम्मेलन को संबोधित करते हुए भाकपा माले के वरिष्ठ नेता कॉमरेड आर. के. सहनी ने केंद्र सरकार की तमाम दमनकारी नीतियों को बारीकी से बयां करने के बाद सम्मेलन से आह्वान किया कि बिहार ने पूरे देश को एक मॉडल दिया है। सभी राज्यों में भाजपा को सत्ता से बाहर करना करना होगा। यह एक दिशा है 2024 में देश को बचाने की।

उन्होंने आगे कहा कि आज सरकार गरीबों को उजाड़ रही है। रजवाड़ा में गरीबों को उजाड़ा गया। प्रतिवाद करने पर माले नेता पप्पू खान को झूठे मुकदमे में फँसा दिया गया। यही तो तानाशाही है, जिसके खिलाफ लड़ना है। खेग्रामस ने तय किया है कि जबतक भूमिहीनों को बसाया नहीं जाएगा तबतक खेग्रामस आंदोलन करता रहेगा। यह देश मजदूरों-मेहनतकशों का है। हमें हमारा देश बचाना है।

सम्मेलन को शुभकामनाएं देते हुए मुख्य वक्ता भाकपा माले के जिला सचिव (दरभंगा) बैद्यनाथ यादव ने कहा कि यह जिला सम्मेलन देश में संवैधानिक लोकतंत्र की रक्षा को समर्पित है क्योंकि संविधान-लोकतंत्र ही दलित-गरीबों-मजदूरों के सामाजिक-राजनीतिक दावेदारी का आधार प्रदान करता है। फासीवादी हमले के खिलाफ गाँव और गरीबों का प्रतिरोध खड़ा करना हमारा फौरी और दूरगामी उद्देश्य है।

जन संस्कृति मंच के द्वारा जारी संदेश का जसम जिला सचिव समीर के द्वारा पाठ किया गया। जिसमें राजनीतिक-सामजिक प्रतिरोध के साथ-साथ सांस्कृतिक आंदोलन को, प्रतिरोध की संस्कृति को मजबूत करने की जरूरत पर बल दिया गया।

आइसा के जिलाध्यक्ष प्रिंस कर्ण ने सम्मेलन में सहभागी संगठन की ओर से बोलते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 गरीबों-दलितों-स्त्रियों को शिक्षा से वंचित रखने का कॉरपोरेट षडयंत्र है। यह शिक्षा नीति यह सुनिश्चित करने जा रही है कि गरीबों के बच्चे पढ़ लिख कर अपना जीवन नहीं बदल सकते। शिक्षा को एक कमोडिटी बनाने के प्रतिरोध में आइसा आगामी 10 नवम्बर को ललित नारायण मिथिला विश्विद्यालय में “शिक्षा बचाओ सम्मेलन” करने जा रहा है। नई शिक्षा नीति को ख़ारिज करने के लिए इस आंदोलन में आइसा राष्ट्रीय महासचिव संदीप सौरभ भी आ रहे। गरीब मजदूरों छात्र नौजवानों की बड़ी एकजुटता की जरूरत को महसूस करते हुए इस जिला सम्मेलन के साथ, शिक्षा बचाओ सम्मेलन को सफल बनाने की जरूरत है।

सम्मेलन का संचालन खेग्रामस की विदाई कमिटी जिला सचिव कल्याण भारती ने किया। सांगठनिक सत्र का संचालन विदाई कमिटी के जिलाध्यक्ष जंगी यादव ने किया।

इस अवसर पर एक्टू के जिला उपाध्यक्ष एवं जसम के वरिष्ठ संस्कृतिकर्मी भोला पासवान, आइसा जिला सचिव मयंक कुमार यादव, भाकपा(माले) के नंदलाल ठाकुर, अशोक पासवान, पप्पू पासवान, विनोद सिंह सहित कई जनसंगठन के लोग शामिल रहे।

सम्मेलन के राज्य पर्यवेक्षक जीवछ पासवान की देख-रेख में सम्मेलन चल रहा है।

सम्मेलन में अनुपम, मो.लालू, मो.राशिद, अबुजड़, मंजू देवी, पप्पू कुमार पासवान, शिला देवी, गीता देवी, किसुन पासवान, शत्रुधन पंडित, मोहम्मद रोजिद, सिया सरन पासवान सहित सैकड़ों प्रतिनिधि शामिल हुए। सम्मेलन जारी है।