• राशन कार्डधारकों को निःशुल्क सुविधा
•प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम के तहत प्रदान की जा रही सुविधा
•पीपीपी मोड पर प्रदान की जा रही सुविधा
• अब तक 2881 मरीजों को मिला सुविधा का लाभ
मधुबनी,28 जून। सदर अस्पताल में शुरू की गयी डायलिसिस यूनिट कोरोना काल में कई मरीजों के लिए संजीवनी साबित हुयी है। डायलिसिस की जरूरत होने पर पहले लोगों को निजी अस्पतालों के चक्कर लगाने पड़ते एवं इसके लिए उन्हें बड़ी धनराशि भी खर्च करनी पड़ती थी। लेकिन जिले में डायलिसिस यूनिट की शुरुआत होने से इस समस्या से लोगों को निज़ात मिल रही है। विशेषकर ऐसे गरीब लोगों को अधिक फ़ायदा हुआ है जो डायलिसिस के लिए निजी अस्पताल में अधिक पैसे खर्च करने में असमर्थ होते थे.।
सिविल सर्जन डॉ सुनील कुमार झा ने बताया डायलिसिस केंद्र का उद्घाटन सितंबर,2020 में किया गया था। तब से लेकर अब तक लगातार मरीजों को डायलिसिस की सुविधा मिल रही है। केंद्र की स्थापना प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम के तहत अपोलो डायलिसिस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के द्वारा की गई है। इस सेंटर में 5 बेड की व्यवस्था की गई है और विश्व स्वास्थ संगठन तथा भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशा निर्देशों के अनुरूप सभी मानकों को पूरा किया गया है। वर्तमान मे ‘किडनी रोग से जिले के सदर अस्पताल में 28 लोग इलाजरत हैं। जिन्हें डायलिसिस की सुविधा प्रदान की जा रही है। . वहीं जिले में अबतक 2881 मरीजों को सुविधा का लाभ मिला है,। जिसमें अधिकतर लोग राशन कार्ड धारी हैं। .किडनी के रोगों से बचाव के लिए लोगों को नियमित रूप से जांच करानी चाहिए और साथ ही, सेहतमंद जीवनशैली को अपनाना चाहिए।
राशन कार्डधारकों को निःशुल्क सुविधा:
डायलिसिस प्रभारी रौशन कुमार झा ने बताया यह सुविधा राशन कार्ड धारियों को निःशुल्क उपलब्ध करायी जाती है.। जिन लोगों के पास राशन कार्ड की सुविधा नहीं है, उन्हें 1745 रुपए जमा करने पर यह सुविधा उपलब्ध कराई जाती है।
क्या है डायलिसिस:
डायलिसिस ब्लड प्यूरिफिकेशन यानी खून को शुद्ध करने की एक कृत्रिम विधि या आर्टिफिशियल तरीका होता है। इस प्रक्रिया में मरीजों के खून में जमा कचरा, विषाक्त पदार्थ और पानी की अधिक मात्रा को निकाला जाता है। डायलिसिस से शरीर में इलेक्ट्रोलाइट संतुलन भी बना रहता है, लिहजा क्रोनिक किडनी डिजिज (सीकेडी ) से पीड़ित मरीजों को डायलिसिस के जरिए शरीर में यह महत्वपूर्ण संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है।
कब पड़ती है डायलिसिस प्रक्रिया की जरूरत:
डॉ डी.एस. मिश्रा ने बतया डायलिसिस की प्रक्रिया को तब अपनाया जाता है, जब किसी व्यक्ति के गुर्दे (किडनी ) सही से काम नहीं कर रहे होते हैं यानी किडनी पूरी तरह से फेल हो जाता । किडनी से जुड़े रोगों , लंबे समय से डायबिटीज के रोगी, उच्च रक्तचाप जैसी स्थितियों में कई बार डायलसिस की आवश्यकता पड़ती है।
अब तक 2881 मरीजों को मिला सुविधा का लाभ:
अस्पताल प्रबंधन से मिली जानकारी के अनुसार अब तक 2881 मरीजों को डायलिसिस सुविधा का लाभ मिला है। जिसमें वर्ष 2020 में सितंबर में 27, अक्टूबर में 36, नवंबर में 34, दिसंबर में 44 ,वर्ष 2021 में जनवरी 80, फरवरी 105, मार्च 142, अप्रैल 142, मई 98, जून 146,जुलाई 165, अगस्त 147, सितंबर 137, अक्टूबर 147,नवंबर 149, दिसंबर 144 वहीं वर्ष 2022 के जनवरी 149, फरवरी 154, मार्च में 206,अप्रैल में 199, मई 201 और जून में अब तक 229 मरीजों को डायलिसिस सुविधा का लाभ दिया गया है।