-लखनौर प्रखंड के 31 मुखिया और उप मुखिया को दी गई जानकारी
-साँझा प्रयास एवं आईपास डेवलपमेन्ट फाउंडेशन के सहयोग से बैठक
मधुबनी , 2 सितंबर । जिला के लखनौर प्रखंड के प्रखंड विकास पदाधिकारी के कार्यालय में 31मुखिया और उप मुखिया के साथ साँझा प्रयास नेटवर्क एवं आईपास डेवलपमेंट् के संयुक्त तत्वावधान में चिकित्सीय गर्भसमापन अधिनियम संशोधन-2021 पर कार्यशाला आयोजित की गई।
कार्यशाला के दौरान सुरक्षित गर्भपात विषय पर चर्चा की गयी, जिसमें सुरक्षित गर्भपात के तमाम तकनीकी पहलुओं पर आईपास के प्रतिनिधि द्वारा विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई।
महिलाओं को जागरूक करना ज़रूरी:
इस दौरान सामाजिक विकास संस्थान के ट्रेनिंग एंड रिसर्च ऑफिसर सुधांशु शेखर ने बताया कि सुरक्षित गर्भपात कानूनी तौर पर पूरी तरह से वैध है। इस बात की जानकारी आज भी ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं को नहीं है। जिसके कारण वो गांव- देहात के नीम- हकीम और झोलाछाप डॉक्टर के चक्कर में पड़कर अपने प्राण तक गंवा रही हैं। सुरक्षित गर्भपात के बारे में ग्रामीण स्तर पर महिलाओं को जागरूक करना ज़रूरी है।
बताया कि 20 सप्ताह तक गर्भ समापन कराना वैध है। सदर अस्पताल या सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त अस्पताल में ही प्रशिक्षित डॉक्टर की मौजूदगी में सुरक्षित गर्भपात कराया जाना चाहिये। यहाँ प्रशिक्षित डॉक्टर एवं नर्स उपलब्ध हैं फिर भी महिलाएं नीम- हकीम और झोला छाप डॉक्टर के चक्कर में पड़कर अपनी जान गंवा रही हैं।
गर्भ समापन कई शर्तों के साथ वैध :
उन्होंने जानकारी दी कि 1971 से पूर्व किसी भी प्रकार का गर्भ समापन अवैध माना जाता था। गर्भ समापन के लिए बड़ी कठिनाइयां होती थी। अनेक तरह के घरेलू उपायों से गर्भ समापन करने को प्रक्रिया में महिलाओं की मृत्यु हो जाती थी। उसे रोकने के लिए 1971 में मे एमटीपी एक्ट बना। इसके बाद से सुरक्षित गर्भ समापन की प्रक्रिया शुरू हुई। 1971 के प्रावधानों के अनुसार गर्भ समापन कई शर्तों के साथ वैध माना गया, लेकिन इससे भी समस्या का समाधान नहीं हो रहा था। इसलिए एमटीपी एक्ट में संशोधन किया गया है।
संशोधन मे विशेष श्रेणी की महिलाओं के लिए गर्भपात की ऊपरी सीमा को 20 सप्ताह से बढ़ाकर अब 24 सप्ताह कर दिया गया। पर्याप्त भ्रूण विकृति के मामलों में गर्भावस्था के दौरान किसी भी समय गर्भ समापन को मान्य किया गया है। किसी भी महिला या उसके साथी के द्वारा प्रयोग किए गए गर्भनिरोधक तरीके की विफलता की स्थिति में अविवाहित महिलाओं को भी गर्भ समापन सेवाएं दी जा सकेंगी। उन्होंने बताया कि 20 सप्ताह तक एमटीपी के लिए एक आरएमपी और 20 से 24 सप्ताह के लिए दो आरएमपी रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिसनर की राय चाहिए। इतना ही नहीं, उन्होंने कहा कि गोपनीयता को कड़ाई से बनाए रखा जाना आवश्यक है। इस कार्यक्रम में रविंद्र जी गूंजे और अन्य कर्मी उपस्थित थे।