•कुष्ठ रोग का पूर्ण इलाज है सम्भव, जरूर कराएं इलाज: एसीएमओ
•छुआछूत से नहीं फैलता है कुष्ठ रोग
•कुष्ठ रोगियों को 1500 रुपए प्रतिमाह का आर्थिक सहयोग
•जिले में 463 कुष्ठ रोगी इलाजरत
मधुबनी, 29 जनवरी।
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि व कुष्ठ रोग निवारण दिवस पर स्वास्थ विभाग द्वारा राष्ट्रीय कुष्ठ रोग उन्मूलन जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। अभियान 30 जनवरी से 13 फरवरी तक चलाया जाएगा। अभियान के दौरान आशा कार्यकर्ता द्वारा ग्रामीण स्तर पर सामुदायिक बैठक कर लोगों को कुष्ठ रोग के प्रति जागरूक किया जाएगा। कुष्ठ रोगियों को सेल्फ केयर के लिए एमपीआर किट व आवश्यक अन्य संसाधन का वितरण किया जाएगा। एसीएमओ डॉ. आर के सिंह ने कहा कि कुष्ठ का रोग एक कीटाणु से होता है ,जिसका नाम माइक्रो बैक्टीरियम लेप्री है। इस बैक्टेरिया द्वारा रोगी की त्वचा पर स्पर्श करते हुए उन्हें संक्रमण का शिकार बना लिया जाता है। कुष्ठ की पहचान बिल्कुल आसानी से हो सकती है। चमड़े पर किसी तरह का दाग या धब्बा जिसमें दर्द या खुजली नहीं होती हो और यह निशान जन्म से ही नहीं हो तो यह कुष्ठ रोग का प्रारंभिक लक्षण हो सकता है। कुष्ठ बीमारी का पूर्ण इलाज सम्भव है। समय से इलाज कराने से यह रोग पूरी तरह ठीक हो सकता है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा इसके इलाज के लिए एम.डी.टी. (मल्टी ड्रग थेरेपी) का उपयोग किया जाता है। एम.डी.टी. का पूरा खुराक नियमानुसार सेवन करने के बाद कोई भी कुष्ठ प्रभावित व्यक्ति सामान्य इंसान जैसा हो सकता है। उपचार नहीं कराने से संक्रमित व्यक्ति अनेक लोगों में इसका संक्रमण फैला सकता है लेकिन कुष्ठ विकृतियुक्त व्यक्ति अगर इस बीमारी का इलाज करा चुके हैं तो उनसे यह संक्रमण नहीं फैलता है। इसलिए कुष्ठ के लक्षण दिखाई देने पर लोगों को तुरंत इसकी जांच करानी चाहिए।
छुआछूत से नहीं फैलता है कुष्ठ रोग:
एनसीडीओ डॉ एस.पी.सिंह ने कहा राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन के प्रति महात्मा गांधी पूरी तरह स्नेह एवं सेवा की भावना रखते थे। बापू ने कुष्ठ रोगियों की सेवा कर यह साबित किया कि कुष्ठ रोग से पीड़ित लोगों की सेवा करने व उनकी देखभाल करने से किसी सामान्य व्यक्ति को कुष्ठ रोग नहीं फैलता है। इसलिए सभी लोगों को कुष्ठ प्रभावित व्यक्तियों से सहानुभूति रखनी चाहिए और जितना अधिक संभव हो उनका उपचार कराना चाहिए।
कुष्ठ प्रभावित व्यक्ति से नहीं करें भेदभाव:
एसीएमओ डॉ सिंह ने कहा कि कुष्ठ रोग से ग्रसित व्यक्ति से किसी को भी कोई भेदभाव नहीं करना चाहिए। कुष्ठ रोग के लक्षण वाले व्यक्ति को उनके नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जाने के लिए प्रेरित करना चाहिए ताकि उनका पूर्ण इलाज हो सके। लोगों को समाज में कोई भी ऐसा व्यक्ति जो कुष्ठ रोग से प्रभावित था और उनका इलाज एम.डी.टी के माध्यम से हो चुका है तो उनके साथ घूमने, बैठने, खाने इत्यादि पर किसी प्रकार का भेदभाव नहीं करना चाहिए। लोगों को विकलांगतायुक्त कुष्ठ प्रभावित व्यक्ति से भेदभाव नहीं करते हुए उन्हें निःशुल्क चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराने में मदद करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी कुष्ठ प्रभावित व्यक्ति को सरकार द्वारा विकलांगता प्रमाण पत्र तथा पेंशन राशि का वितरण किया जाता है। जिले में 463 कुष्ठ रोगी इलाजरत हैं। जिसमें 173 मरीज पीबी जिनका 6 माह तक इलाज किया जाता एवं 290 मरीज एमबी के हैं, जिनका 12 माह तक इलाज किया जाता है।
एमबीटी ग्रेड 2 के रोगियों के लिए 1500 रुपए का प्रावधान:
एसीएमओ डॉ आर के सिंह ने बताया यदि एमबीटी से ग्रस्त कुष्ठ रोगियों में विकलांगता की स्थिति आती है तो सामाजिक सुरक्षा कोषांग के द्वारा 1500 रुपये प्रति माह आर्थिक सहयोग दिया जाता है। वहीं, वैसे मरीजों के बच्चों की परवरिश योजना के तहत एक हजार रुपये प्रति बच्चे दो बच्चों के रूप में प्रति माह आर्थिक सहायता बालिग होने तक दी जाती है। इसके अलावा कुष्ठ रोगियों जो अल्सर से ग्रसित मरीज है, उन्हें सेल्फ केयर किट और निःशुल्क परामर्श भी दिया जाता है। जिसमे डेटॉल,बैंडेज, क्रीम आदि व एनसीआर फुटवियर (चप्पल) दिया जाता है। यह वैसे मरीज को दिया जाता है, जिसके पैर में सुनापन हो । आशा अगर किसी कुष्ठ रोगी को ढूंढ कर लाती है तो मरीज के पंजीयन के समय आशा को 250 रुपए और मरीज को दवा देने के उपरांत 400 रुपए (पीबी मरीज) व 600 रुपए(एमबी) की प्रोत्साहन राशि दी जाती है।