– सदर अस्पताल में होती है मुंह के कैंसर की स्क्रीनिंग व इलाज
– समय पर कैंसर के लक्षणों की जांच करवाकर उपचार संभव
-जिले में अब तक 11000 से अधिक लोगों की हुई स्क्रीनिंग

मधुबनी , 20 मई। जिले के लोगों में तंबाकू, पान, गुटखा मसाला आदि के प्रयोग का प्रचलन बढ़ रहा है। जिसके कारण हाल के दिनों में इनके सेवन से मुंह के कैंसर की बीमारी तेजी से बढ़ रही है। दरअसल तंबाकू और गुटखा के लंबे समय तक सेवन करने के कारण मुंह का कैंसर होता है। इसके प्रारंभिक लक्षण को नजरंदाज कर देते हैं। जिसके कारण यह बीमारी विकराल बन जाती है। अधिकतर लोग तंबाकूयुक्त गुटखा मुंह में या दांतों व गाल के बीच में दबाकर रखते हैं। उन्हें यहीं पर कैंसर हो जाता है। तंबाकू के प्रयोग की अवधि तथा उसका अधिक मात्रा के सेवन से जोखिम बढ़ जाता है। लेकिन, समय पर इसका इलाज कराने से लोगों को कैंसर के भयावह परिणाम से बचाया जा सकता है। वहीं, अब सदर अस्पताल में भी कैंसर की स्क्रीनिंग की सुविधा उपलब्ध है। जहां पर अब तक सैंकड़ों मरीजों ने जांच व इलाज कराया है।

मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है :
सदर अस्पताल में प्रतिनियुक्त होमी भाभा कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर की चिकित्सक डॉ. अभिलिप्सा ने बताया, पूर्व की अपेक्षा हाल के दिनों में मुंह के कैंसर के मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है। सबसे पहले हमें यह समझना होगा कि सिगरेट, बीड़ी, गुटखा आदि तंबाकू के ही अलग अलग प्रकार हैं। इन सब चीजों के सेवन के अलग-अलग नुकसान है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि तंबाकू का सेवन किस तरह से किया जा रहा है। अगर तंबाकू को चबाकर सेवन कर रहे हैं (गुटखा या पान मसाला) तो मुंह और गले का कैंसर होता है। लेकिन अगर तंबाकू को सिगरेट, हुक्का या बीड़ी के जरिए लेते हैं तो फेफड़ों का कैंसर, हार्ट की समस्या और गैंगरीन जैसी गंभीर बीमारी हो जाती है। अधिकतर मामलों में जब मरीज अस्पताल तक पहुंचता है, तो वह चौथी या पांचवी स्टेज में होता है। ऐसें में उसके बचने की संभावना काफी कम रहती है। वहीं जिले में होमी भाभा कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर की चिकित्सक डॉ. अभिलिप्सा ने बताया संस्थान के द्वारा अब तक 11,953 लोगों की स्क्रीनिंग की गयी है । 46 लोग अत्यधिक संदिग्ध पाए गए हैं जिन्हें निगरानी में रखा गया है तथा 9 लोग में कन्फर्म लक्षण पाए गए ।

मुंह के कैंसर के अन्य लक्षण :
– होठ या मुंह के घाव का ठीक न होना
– मुंह के अंदर सफेद रंग के धब्बे
– दांतों का टूटना
– मुंह के अंदर गांठ बनना
– मुंह या कान में दर्द
– खाने की चीजें निगलने में मुश्किल

मुंह की सफाई दोनों समय ठीक से करनी चाहिए :
डॉ. अभिलिप्सा के अनुसार शुरुआती लक्षण आने पर यदि व्यक्ति संभल जाए तो जीवन बच सकता है। कैंसर विशेषज्ञों का कहना है कि इस काम में 15 से 20 साल का समय लगता है। इसमें गुटखा छोड़ कर इलाज शुरू कर दें तो व्यक्ति ठीक हो जाता है। कैंसर से रोकथाम के लिए गुटखा पान मसाला का इस्तेमाल तुरंत छोड़ देना चाहिए। मुंह की सफाई दोनों समय ठीक से करनी चाहिए। हल्दी में कैंसर रोधी क्षमता होती है इसलिए इसका उपयोग रोज करना चाहिए। खाने में टमाटर का उपयोग करने के साथ ही मौसम में आंवला, गाजर और आम का सेवन करें क्योंकि इनमें एंटी आक्सीडेंट तत्व होते हैं।
इस प्रकार कम करें तंबाकू का सेवन
– कोशिश करें कि धीरे-धीरे तंबाकू का सेवन कम कर दें
– अगर आपका कोई साथी तंबाकू खाने के लिए कह रहा है तो उसको भी इसे छोड़ने के लिए प्रेरित करें
– यदि तंबाकू की तलब लगे तो मुंह में कुछ अन्य चीज़ चबाने के लिए डाल लें जैसे च्विंगगम, टॉफ़ी
– तंबाकू छोड़ने के लिए निकोटिन थैरेपी का सहारा ले सकते हैं
– अगर बहुत कोशिश के बाद भी इसको नहीं छोड़ पा रहे हैं तो मनोरोग विशेषज्ञ डॉक्टर की सलाह लें।