बाढ से भीषण तबाही हर तरह आफत ही आफत
प्रशासनिक ब्यवस्था हुई फैल,जलमग्न गांव तक पहुचने की कोई ब्यवस्था नही
तंबूओ मे रहने को मजबूर हुऐ लोग
खाद्य सामग्री तक देने कोई नही पहचा
कोटा बैराज से लगातार छोडा जा रहा पानी
पिनाहट चंबल की बाढ अब अपने रोद्र रूप मे आ चूकी है।अपने 26 साल पुराने रिकार्ड को तोड चंबल का जलस्तर आगे बढता ही चला जा रहा है।साथ ही तटवर्ती जलमग्न गांवो मे तबाही का मंजर देख हर किसी की रूह कांप जाये।साथ ही प्रशासनिक वादे खोखले दिखे।पानी मे डूबे गांव से जो लोग बाहर निकल आये।वे तंबुओ मे भूसे प्यासे बैठे दिखे।तो जान गांव के रास्ते बंद है।उनके बाहर निकालने या उन तक पहुचने की कोई ब्यवस्था प्रशासनिक के बल बूते की नही दिखी।कमिश्नर समेत आला अधिकारी चंबल नदी की ओर दौड तो लगाते रहै।किन्तु इसका फायदा बाढ पीडितो को रत्ती भर नही मिला।
कोटा बैराज से लगातार पानी छोडे जाने के बाद चंबल मे आयी बाढ से पिनाहट के आधा दर्जन गांव मे भीषण तबाही मचाई है।चंबल की बाढ ने 26 साल पुराने 1996 के रिकार्ड को भी पीछे छोड दिया। 1996 मे नदी का जलस्तर 136.60 था जबकि गुरुवार शाम करीब पांच बजे नदी जलस्तर 136.80 पर पहुच गया। नदी के बढते जलस्तर ने हर ओर तबाही मचाई।लोग अपने घर डूबने के बाद ऊपर आकर तंबुओ मे रहने को मजबूर है।जानकारी की माने तो कोटा बैराज से लगातार पानी अभी भी छोडा जा रहा है जिससे लगता है नदी का जलस्तर अभी ओर बढेगा।वही जानकारो की माने तो यदि नदी इससे और ऊपर जायेगी।तो समूची विधानसभा मे तबाही का मंजर भयावह होगा।
बाढ के पानी मे डूबा उमरैठा पुरा,क्योरी पुरा
पिनाहट ब्लाक का गांव उमरैठा पुरा जिसकी आबादी करीब दो हजार है।व क्योरी पुरा जिसकी आबादी करकब एक हजार है दोनो गांव बाढ के पानी भी डूब गये।घर मकान स्कूल सब पानी के अंदर है।लोग अपने सामान को लेकर ऊपर आ गये।खेतो मे तंबु लगाकर जीवन बिता रहै है।
रैहा ,बरैण्डा,डगोरा,कछियारा के लोग फंसे
थाना मनसुखपुरा क्षेत्र के चंबल के तटवर्ती गांव रैहा,बरैण्डा,कछियारा,डगोरा के सम्पर्क मार्गो मे पानी भरने से ये गांव टापू बने हुऐ है।इन गांव मे करीब दो हजार लोग अंदर ही फंसे हूऐ है।जो बाहर निकालने के लिये बार बार फोन कर रहै है।लेकिन इन तक कोई भी प्रशासनिक मदद गुरुवार को दिनभर नही पहुची।रैहा प्रधान अजय कोशिक ने बताया कि एसडीएम से मैने इन गांव के लोगो की मदद के लिये स्टीमर या नाव की मांग की थी।किन्तु उन्होने यह कहकर टाल दी कि चार स्टीमर है जो अन्य जगहो पर चल रहै है।अब कोई ब्यवस्था नही है।
प्रशासनिक मशीनरी हुई फैल
चंबल बाढ को प्रशासन द्वारा हल्के मे आंकने का नतीजा ये हुआ कि अब प्रशासन के हाथ पांव फूल चूके है।बाढ पीडितो के राहत बचाव के लिये गुरूवार को किसी भी गांव मे कोई प्रशासनिक सहायता नही दिखी।जो लोग घर छोडकर तंबूओ मे आ गये है।वे भूखे बैठे है।उन्ही पूछने वाला कोई नही है।दूसरे जो बाढ मे फंसे है उन्हे निकालने वाला कोई नही है।
ट्यूब के सहारे जान जोखिम मे डालकर निकल रहै ग्रामीण
जब प्रशासन से कोई मदद मिलती नही दिखी और बाढ का पानी जानलेवा होता दिखा तो जिंदगी पर रिस्क ले लिया।गुरुवार को जब स्टीमर नाव की कोई ब्यवस्था नही दिखी तो उमरैठा पुरा मे बाहर निकलने के लिये लोगो ने ट्यूब का सहारा लिया।लोगो ने छोटे छोटे बच्चो को जान जोखिम मे डालकर बाढ के पानी मे ट्यूब पर बिठाकर बाहर निकाला।
कमिश्नर पहुचे पिनाहट घाट
चंबल नदी के बाढ के हालात का जायजा लेने गुरुवार दोपहर कमिश्नर अमित गुप्ता पिनाहट घाट पहुचे।जहां अधीनस्थो से बातचीत का हालात का जायजा लिया।वही पीडित लोगो को मदद करने को कहा।
स्वास्थ्य विभाग ने लगाये कैम्प
बाढ पीडित गांव मे ऊपर आकर तंबुओ मे रह रहै लोगो की सहायता के लिये गुरुवार को स्वास्थ्य विभाग की टीम ने क्योरी बीचषका पुरा,उमरैठा पुरा,रैहा,बरैण्डा मे कैम्प लगाया। इस दौरान टीम ने लोगो का चैकप कर दवा वितरित की।
(सौ स्वराज सवेरा)