नियोजित शिक्षकों को के.के. पाठक के द्वारा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार डरा–धमका रहे हैं।– शम्स तबरेज।
नियोजित शिक्षकों को बिना शर्त राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाए। – मयंक कुमार।
#MNN@24X7 दरभंगा, बिहार के चार लाख नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने के लिए बिहार सरकार ने जो शर्तें रखीं हैं, उन नियमों के विरोध में नियोजित शिक्षकों के आंदोलन के प्रति आइसा ने एकजुटता प्रकट की है।
नियोजित शिक्षकों की ऑनलाइन मोड सक्षमता परीक्षा एवं सामूहिक स्थानांतरण आदि के सवालों को लेकर आइसा जिला नेतृत्व ने अपना रुख़ स्पष्ट करते हुए बताया कि बीपीएससी द्वारा नए शिक्षकों की जो बहाली हुई है वो ऑफलाइन मोड में थी। लेकिन जिनकी बहाली आज से अठारह–बीस साल पहले हुई है, उनके लिए सरकार अनिवार्य ऑनलाइन मोड परीक्षा लेने का फरमान सुना रही है। बहाली हुई कंप्यूटरविहीन और सरकार सक्षमता परीक्षा ऑनलाइन मोड में लेने के लिए अड़ी हुई है। इसे उत्तीर्ण करने के लिए भी केवल तीन मौके दिए जा रहे हैं। इन विरोधाभासों को समझने की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में जो नियमावली बनी है उसके खंड 10 के अनुसार शिक्षक–शिक्षिकाओं का अनिवार्यतः स्थानांतरण किया जाएगा।
आइसा जिला सचिव मयंक कुमार तथा जिलाध्यक्ष शम्स तबरेज ने समवेत स्वर में कहा कि इन शर्तों के गहरे निहतार्थ को चार लाख नियोजित शिक्षक भलीभांति समझ रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इशारे पर अपर सचिव के.के. पाठक नियोजित शिक्षकों की नौकरी छीनने का षडयंत्र कर रहे हैं।
आइसा सरकार से मांग करती है कि नियोजित शिक्षकों को बिना शर्त राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाए तथा स्थानांतरण के नियम को तत्काल निष्प्रभावी करे।