#MNN@24X7 दरभंगा जिला के जाले नगर परिषद क्षेत्र के महावीर बाजार स्थित पोस्ट ऑफिस के समीप निवास करने वाले सामाजिक कार्यकर्त्ता शिवजी प्रसाद मेहता और उनकी पत्नी आशा मेहता के सौजन्य से छठ पूजा को लेकर शुक्रवार को असहाय लोगों के बीच नि:शुल्क कंबल और बिस्कुट का वितरण किया गया,जहां इस अवसर पर गांव के अलावा अन्य दूर-दराज के क्षेत्रों से आए महिलाओं और पुरुषों की लंबी कतारें वहां देखने को मिली। व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त बनाये रखने और शांति व्यवस्था कायम करने के लिए पुलिस प्रशासन भी वहां मौजूद थी।

वितरण कार्यक्रम में सहयोग करने को लेकर मौके पर सामाजिक कार्यकर्त्ता धीरेन्द्र कपूर, सत्येंद्र पाठक, अभय कुमार झा, रामसागर चौधरी, अजीत मल्होत्रा, संगीता मल्होत्रा, ज्योति मेहता, फूल देवी, अभिनव मेहता, अभिवव मल्होत्रा, आयुषी मल्होत्रा, नवीन मेहता, रोशनी कपूर, सुमित कपूर आदि भी उपस्थित थे।

जिन्होंने कई अन्य लोगों के बीच आत्मविश्वास को बढ़ाते हुए बताया है कि यह पर्व सिर्फ धार्मिक ही नहीं बल्कि सामाजिक व वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी काफी महत्वपूर्ण है। सभी सामाजिक कार्यकर्ताओं को छठ पूजा की हार्दिक शुभकामना और कई महत्वपूर्ण संदेश देते हुए उन्होंने बताया कि छठ पूजा परिवार के स्वास्थ्य की मंगल कामना, कई अन्य कामनाओं की पूर्ति एवं प्राकृतिक रक्षा हेतु की जाने वाला महत्वपूर्ण पर्व है।

इसलिए सभी को दैनिक जीवन की मुश्किलों व आपसी भेद-भाव को भूलते हुए पूरी एकजुटता व श्रद्धा के साथ शांतिपूर्ण ढंग से इस पर्व को मानना चाहिए। साथ उन्होंने इस पर्व को लेकर सभी को सेवा-भाव व शक्ति-भाव द्वारा तालाब या नदी के किनारों की सफाई, प्रकाश की उचित व्यवस्था, व्रतियों को गुजरने का रास्ता, अर्ध्य दान की उपयुक्त व्यवस्था आदि का प्रबंध करने की भी बात कही। जिससे कई इस तरह के सामूहिक आयोजन का विराट और भव्य प्रदर्शन से लोगों के बीच अमन-शांति व सहयोग की भावना को विकसित कर एक सकारात्मक सोच वाले समाज का निर्माण किया जा सके ।

इस पर्व को लेकर मुकुल देवी, प्रीति कुमारी,लक्ष्मी कुमारी, नूतन कुमारी आदि के अलावा कई अन्य महिलाओं ने बताई है कि बांस निर्मित सूप, टोकरी, मिट्टी के बर्तन, गन्ना का रस, गुड़, चावल, गेहूं से निर्मित प्रसाद और सुमधुर लोकगीतों से युक्त होकर लोक जीवन में मिठास घोलता है। सभी एक-दूसरे को मदद करते हुए इस पर्व को मानते है।

छठ में प्रकृति की पूजा की जाती है। चाहे छठी माता हो या शक्ति के स्रोत सूर्यदेव। सबसे पहले नहाय खाय के दिन घर की साफ सफाई की जाती है और स्नान के बाद व्रत का संकल्प किया जाता है। इस दिन चना दाल, कद्दू की सब्जी और चावल का प्रसाद ग्रहण किया जाता है। फिर अगले दिन खरना व्रत की शुरुवात होती है, जहां महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती है और शाम को मिट्टी के चूल्हे पर गुड़ वाली खीर का प्रसाद बनाती है। जोकि सूर्य देव की पूजा करने के बाद ही ग्रहण किया जाता है।

इसके बाद व्रत का पारण छठ के समापन के बाद किया जाता है। खरना के अगले दिन शाम के समय तथा दूसरे दिन सुबह को व्रतधारी महिलाएं नदी या तालाब में खड़ी होकर सूर्य देव अर्ध्य देती हैं।