#MNN@24X7 आस्था का महापर्व छठ खरना पूजा के साथ 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो गया है।शनिवार को दिन भर उपवास रखने के बाद शाम को खरना पूजा की गयी।व्रतियों ने भगवान की पूजा-अर्चना कर सभी के लिए मंगल कामना की और प्रसाद ग्रहण किया गया।छठ महापर्व के तीसरे दिन रविवार 30 अक्टूबर को भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा।
छठ महापर्व पर विशेष संयोग।
आपको बता दें कि इस बार रविवार को छठ पड़ रही है। इसलिए छठ की महत्ता और बढ़ गयी है।रविवार को भगवान सूर्य की पूजा का दिन माना गया है।वर्षों बाद ऐसा संयोग बना है कि छठ महापर्व रविवार को पड़ रहा है।रविवार 30 अक्टूबर को सूर्योदय के बाद भगवान की पूजा-अर्चना करके लोकगीत गाते हुए घर-घर में व्रती प्रसाद बनाना शुरू कर देंगी।इसमें परिवार के पुरुष सदस्य भी मदद करते हैं।
सूर्य भगवान को अर्घ्य देने ठेकुआ, चावल के लड्डू सहित कई तरह का प्रसाद बनाया जाता है। प्रसाद बनने के बाद छठ घाट जाने के लिए डाला सजाया जाता है।इसमें सभी तरह के फल और अन्य सामग्री रखी जाती है।अर्घ्य देने से पहले छठ घाट पर ही व्रती स्नान-ध्यान करेंगी। जैसे ही सूर्य देव अस्त होने लगेंगे व्रती उन्हें अर्घ्य देना शुरू कर देंगी।अर्घ्य देने के बाद भगवान की आरती की जाएगी।भगवान को नमन करके तमाम पूजन सामग्री को लेकर श्रद्धालु घाट से अपने-अपने घर वापस आ जाएंगे।
31 अक्टूबर को उगते सूर्य को अर्घ्य।
सोमवार 31 अक्टूबर को सुबह में उगते सूर्य को अर्घ्य देने की तैयारी शुरू हो जाएगी।सुबह स्नान ध्यान कर व्रती छठ घाट पहुंचेंगी।घाट पर स्नान करने के बाद भगवान सूर्य के उदय होने का इंतजार करेंगी।सूर्यदेव के उदय के साथ ही छठव्रती उन्हें अर्घ्य देना शुरू कर देंगी।इसमें परिवार के सभी लोग शामिल होते हैं।परिवार के लोगों के साथ मिलकर हवन किया जाएगा और सभी लोगों को टीका लगाकर प्रसाद बांटा जाएगा। इसी के साथ चार दिवसीय छठ महापर्व का समापन हो जाएगा।घर पहुंचकर व्रती पारण करेंगी।
(सौ स्वराज सवेरा)