दरभंगा, राजकीय महारानी रमेश्वरी भारतीय चिकित्सा विज्ञान संस्थान ,मोहनपुर दरभंगा में प्राचार्य प्रो. दिनेश्वर प्रसाद के द्वारा श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर नवग्रह आयुर्वेद वाटिका में आमला वृक्ष का रोपण किया गया।

इस अवसर प्राचार्य ने कहा कि हमें हर उत्सव, हर पर्व त्योहार एवं हर खुशी के अवसर पर वृक्षारोपण करना चाहिए। वृक्षारोपण एक पुण्य कार्य है। आज ही के दिन भगवान श्री कृष्ण का अवतरण हुआ था। श्री कृष्ण ने अपने जीवन काल में बहुत सारे दुखों एवं कष्टों को सहन किया। कारागार में जन्म के उपरांत रातो -रात वासुदेव जी के द्वारा नंद के पास पहुंचाया गया । नंद जी अपनी पुत्री को वासुदेव जी के हाथों में सौंप कर उन्हें वापस किया। यह जानते हुए कि कंस के द्वारा यह मार दी जाएंगी। दोस्ती की बहुत बड़ी मिसाल का परिचय नंद के द्वारा दिया गया । उन्होंने वासुदेव से कहा श्री कृष्ण को बचाना आवश्यक है। यह भारतीय संस्कृति की आत्मा है। राष्ट्र हित के लिए नंद जी ने अपनी बेटी की प्राण को दांव पर लगा दिया।

उन्होंने बताया कि श्री कृष्ण जब पैदा हुए थे, उस समय कंस का अत्याचार चारों ओर व्याप्त था। ग्वालों के द्वारा गायों का दूध, दही , मक्खन इत्यादि मथुरा में पहुंचा दिया जाता था। वहां के बच्चे कुपोषण के शिकार थे। श्रीकृष्ण ने सबसे पहले कुपोषण के विरुद्ध आवाज उठाई थी और मथुरा में दूध दही भेजने का विरोध किया था। उन्होंने कहा कि इस दूध दही पर सबसे पहला अधिकार ग्वाल वालों का है। इसी प्रकार प्रकृति पूजन को बढ़ावा देने हेतु उन्होंने गोवर्धन पूजन के लिए ग्वाल वालों को प्रेरित किया था एवं इंद्र पूजन का विरोध किया था। आज के वर्तमान समय में वृक्ष की तेजी से कटान हुआ है। धरती पर वृक्ष की कमी होने से वातावरण का संतुलन काफी बिगड़ा है, परिणाम स्वरूप हमारा स्वास्थ्य बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। अतः हमें हर अवसर पर वृक्षारोपण करना चाहिए । आज के समय के अनुसार यही सबसे बड़ा पर्व त्यौहार मनाने का एक रूप होगा। डॉ विनय कुमार शर्मा ने कहा कि श्री कृष्ण 16 कलाओं से युक्त थे और उन्होंने अपने जीवन काल में वही किया जो समय की आवश्यकता थी ।

कार्यक्रम के संयोजक डॉ दिनेश कुमार ने बताया श्री कृष्ण योगेश्वर हैं। जीवन में तमाम संघर्ष के बीच सदैव मुस्कानें का संदेश श्री कृष्ण के द्वारा दिया गया है। उनका जीवन हमेशा संघर्ष में रहा फिर भी कभी निराश नहीं हुए। उन्होंने प्रेम के बल पर ईश्वर को पाने का संदेश अपने जीवन काल में दिया है । श्री कृष्ण गीता में वृक्षों का अपना स्वरूप बताते हुए कहा है कि पीपल, पाकड़,आम इत्यादि वृक्ष में ही हूं।

वास्तव में आज के समय अनुसार प्रकृति संरक्षण को करना है तो हमें हर पर्व त्यौहार पर आवश्यक रूप से वृक्षारोपण करना चाहिए। आमला को धात्री फल कहां गया है जो माता के समान रक्षा करती है। नवग्रह आयुर्वेद वाटिका में त्रिफला हरड़, बहेड़ा और आंवला के वृक्ष लग चुके हैं।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी को वृक्षारोपण के रूप में मना कर सभी कर्मचारियों ने खुशी जाहिर की और प्राचार्य के द्वारा फलों का वितरण किया गया। मौके पर अजीत कुमार, अर्चना कुमारी, राम बृजेश राम, शंकर , रोशन कुमार, रविंद्र कुमार, मीनू कुमारी इत्यादि मौजूद थे।