#MNN@24X7 दरभंगा, आज दिनांक 03.01.2024 को विश्वविद्यालय हिंदी विभाग में विभागाध्यक्ष प्रो.उमेश कुमार की अध्यक्षता में भारत की प्रथम शिक्षिका सावित्री बाई फुले एवं आदिवासी चिंतक जयपाल सिंह मुंडा की जयंती हर्षोल्लास के साथ मनायी गई।

अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो. उमेश कुमार ने कहा कि तत्कालीन अर्थशास्त्री एडम स्मिथ की पुस्तक ‘wealth of nation’ के प्रभाव से भारत सहित पूरे विश्व में औरतों और बच्चों का सबसे ज़्यादा शोषण किया गया। प्रो. कुमार ने आगे कहा कि जिस दौर में नारी का इतना व्यापक स्तर पर शोषण हो रहा था, उस समय में सावित्री बाई फुले द्वारा स्त्री-शिक्षा के लिए किया जा रहा प्रयास असाधारण था। उन्हें इस कार्य के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा मगर उन्होंने कभी हार नहीं मानी और अपने जीवन के अंतिम समय तक समाज की सेवा करती रहीं। अपनी निष्ठा और कर्त्तव्यशीलता के कारण सावित्री बाई फुले भारत की पहली दलित महिला शिक्षिका के रूप में चर्चित हुई।

विभाग के वरीय प्राध्यापक डॉ. सुरेंद्र प्रसाद सुमन ने कहा कि सभ्यता की विकास के साथ ही भारतीय समाज विभिन्न वर्गो और वर्णों में विभक्त हो गया जिसमें ज्ञान और अन्य अधिकार उन लोगों के हाथ के लगा जिसका वर्चस्व था। उनके पति ज्योतिबा फुले ने भी दलित उत्थान के लिए काम किया। इन्होंने सामाजिक कुरीतियां, अंधविश्वास, विधवा विवाह, स्त्रीशिक्षा के संघर्ष के कारण यातना झेलेनी पड़ी। सावित्री बाई फुले ने अपनी सहेली शेख फातिमा के साथ भी स्त्री शिक्षा के लिए संघर्ष की।

डॉ. सुमन ने आगे कहा कि सावित्री बाई फुले की मृत्यु फ्लैग के मरीजों की सेवा करते हुए फ्लैग से संक्रमित होने के कारण हुई। इस कार्यक्रम आगे बढ़ाते हुए डॉ. आंनद प्रकाश गुप्ता ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में सावित्री बाई फुले प्रेरणा स्त्रोत के रूप में रही है। आगे डॉ. गुप्ता ने कहा कि ‘फुले’ समाज में व्याप्त स्त्री शिक्षा के प्रति उनकी मानसिकता के कारण कई यातनाओं का समाना किया मगर कभी पीछे नहीं हटी। इस मौके पर विभाग के कई शोधार्थियों एवं छात्र-छात्राओं ने अपने विचार व्यक्त किए।

शोधार्थी सियाराम मुखिया ने कहा कि खुद को शिक्षित करने के साथ-साथ हमें समाज और आसपास के उन लोगों को भी आगे बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए जो इसके लिए असमर्थ हैं। शोधप्रज्ञा खुशबू कुमारी ने अपनी बात कविता की माध्यम से व्यक्त की। इस अवसर पर शोधार्थी रोहित कुमार पटेल ने भी अपनी बात बड़ी ही गंभीरता से रखी। आगे विभाग में अध्ययनरत स्नातकोत्तर के छात्र-छात्राओं ने भी अपनी बात रखी जिसमें हिमांशु कुमार, सुंदर कुमार, धर्मेश कुमार, राहुल राज, नेहा कुमारी आदि शामिल है।

इस कार्यक्रम में लगभग पचास से अधिक की संख्या में छात्रगण उपस्थित रहे। शोधार्थी वर्ग से खुशबू कुमारी, रोहित कुमार पटेल, सुभद्रा कुमारी, अमित कुमार, रूबी कुमारी, निशा कुमारी के अलावा अन्य विभाग के छात्र-छात्राएं भी उपस्थित थे।

मंच संचालन शोध छात्रा सुभद्रा कुमारी ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन कनीय शोधप्रज्ञ सियाराम मुखिया ने किया।