#MNN@24X7 दरभंगा, राम जन्मभूमि की तरह मां जानकी की जन्मभूमि पुनौरा धाम में भी भव्य मंदिर निर्माण में सहयोग करने के लिए विद्यापति सेवा संस्थान ने राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के महासचिव चंपत राय से अनुरोध किया है।

जानकारी देते हुए संस्थान के मीडिया संयोजक प्रवीण कुमार झा ने बताया कि मिथिला के पाहुन राम की जन्मभूमि पर बने भव्य मंदिर में गृहप्रवेश के मौके पर मिथिलावासी की ओर से लेकर गए 501 भार समर्पण के समय संस्थान के महासचिव डॉ बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने तमाम मिथिलावासी की ओर से यह अनुरोध चंपत राय से किया।

उन्होंने इस मुलाकात में चंपत राय से कहा कि राम जन्म भूमि पर विशाल मंदिर का निर्माण होना निश्चित रूप से गर्व की बात है, लेकिन यह गौरव तब तक पूर्णता हासिल नहीं कर सकता, जब तक कि मैया सीता की जन्मभूमि का उद्धार नहीं हो जाता। उन्होंने कहा कि सीतामढ़ी के पुनौरा धाम में स्थित माता सीता के जन्मभूमि के दर्शन के बिना रामलला का दर्शन अधूरा है। क्योंकि बिना सिया के राम स्वयं अधूरे हैं।

उन्होंने रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के चंपतराय से रामलला के साथ माता सीता के जन्म भूमि पर भी विशाल मंदिर निर्माण में सहभागी बनने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि करोड़ों मिथिलावासी के लिए यह अत्यंत हर्षोल्लास पूर्ण होता कि राम जन्मभूमि पर बने भव्य मंदिर के गृहप्रवेश पूजन के दौरान प्रधानमंत्री जानकी जन्मभूमि पुनौरा धाम में मंदिर निर्माण के निश्चित तिथि की घोषणा करते।

मौके पर उनके इस अनुरोध का समर्थन करते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने कहा कि जगत जननी मां जानकी का चरित्र मिथिला एवं अयोध्या धाम के सांस्कृतिक चेतना की केंद्रीय भावना में सन्निहित है। पूरी दुनिया में अगर हमारी संस्कृति सर्वश्रेष्ठ संस्कृति के रूप में स्थापित है तो यह भगवान श्रीराम और माता जानकी के द्वारा प्रस्तुत आदर्श उदाहरण के कारण ही है।

उन्होंने कहा कि रामायण सर्किट का क्रियान्वयन हमारी प्राचीन सांस्कृतिक परंपराओं को सुदृढ़ करने के साथ ही पर्यटन को बढ़ावा देने में मील का पत्थर साबित होगा। सांसद गोपाल जी ठाकुर ने कहा कि अयोध्या और मिथिला के संबंध अत्यंत प्राचीन होने के साथ-साथ स्वर्णिम परंपरा के साक्षी रहे हैं। इसलिए पुनौरा धाम में सीता मैया की जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण और रामायण सर्किट के क्रियान्वयन से उस स्वर्णिम परंपरा को नयी चमक मिलेगी जिसके आधार विन्दु मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम और माता सीता रही हैं। इस मुलाकात के दौरान पचाढ़ी महंत मौनी बाबा, आशीष चौधरी, पुरुषोत्तम वत्स, रजनीश आदि भी उनके साथ थे।

उन्होंने बताया कि डा बैजू के अनुरोध पर चंपत राय ने त्वरित टिप्पणी की कि माता जानकी के बगैर राम की कल्पना भी नहीं की जा सकती। क्योंकि भगवान राम ने अपने जीवन में विषम परिस्थितियों का सामना करते हुए जिस मर्यादा को स्थापित किया वह बिना सीता के सहयोग के संभव नहीं था। उन्होंने सीता जन्म भूमि पर भी भव्य मंदिर निर्माण में हर संभव सहयोग का भरोसा दिलाया।