#MNN@24X7 कृषि विज्ञान केंद्र, जाले, दरभंगा के परिसर में ग्रामीण युवक एवं युवतियों के लिए सोमवार से चल रहे पाँच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का प्रमाण पत्र वितरण के साथ समापन शुक्रवार को किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन कृषि विज्ञान केंद्र के अध्यक्ष डॉ दिव्यांशु शेखर के नेतृत्व में किया गया। समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि जिला उद्यान पदाधिकारी नीरज कुमार, जिला सहकारिता पदाधिकारी अंकित कुमार भ्रमणशील पशु चिकित्सा प्रदीप कुमार उपस्थित रहे।
केंद्र के अध्यक्ष डॉ दिव्यांशु शेखर ने बताया कि इस कार्यक्रम का मूलउद्देश्य ग्रामीण स्तर पर बकरी पालन करके स्वरोजगार को बढ़ावा देना है। उन्होंने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्र कृषि के विकास एवं किसानों के आर्थिक उन्नयन की दिशा में सतत प्रयत्नशील है। इसके लिए किसानों को कृषि के आधुनिकतम तकनीक के साथ व्यवसायिक बकरी पालन पर प्रशिक्षण दिया जा जाता है। वर्तमान दौर में बढ़ती आबादी के साथ खेती योग्य भूमि छोटी होती जा रही है। अधिकांश लोग लघु कृषक व भूमिहीन कृषक हो रहे हैं। ऐसे लोगो के लिए व्यवसायिक बकरी पालन वरदान साबित हो सकता है ।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन सत्र को संबोधित करते हुए जिला के उद्यान पदाधिकारी नीरज कुमार ने बताया कि बकरी पालन के लिए चारे के रूप में उद्यानिकी फसलों का भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
जिला सहकारिता अधिकारी अंकित कुमार ने बताया कि बकरी पालन प्रायः सभी जलवायु में कम लागत, साधारण आवास, सामान्य रख-रखाव तथा पालन-पोषण के साथ संभव है। इसके उत्पाद की बिक्री हेतु बाजार से उचित मूल्य प्राप्त करने के लिए अगर बकरी पालक कृषक उत्पादक संगठन बना लेते हैं तो उन्हें बाजार से अच्छा मूल्य प्राप्त होगा सरकार क्षेत्र में मौजूद पैक्स के माध्यम से भी विभिन्न योजनाओं का संचालन कर रही है आवश्यकता है की कृषक जागरूक होकर देश के सहकारिता अभियान से जुड़ सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाएं
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के संयोजक मत्स्य वैज्ञानिक डॉ जगपाल ने बताया कि इस प्रशिक्षण के दौरान दरभंगा जिले के विभिन्न प्रखंडों लोगों ने बड़ी उत्सुकता के साथ भाग लिया। उन्होंने बताया इस प्रशिक्षण के दौरान अलग-अलग दिन इस विषय से संबंधित पशु चिकित्सा पदाधिकारियों एवं वैज्ञानिकों को प्रशिक्षण देने के लिए आमंत्रित किया गया।
कार्यक्रम के तीसरे दिन जाले प्रखंड के भ्रमणशील पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ शालू पाठक ने प्रशिक्षणाथिओं को बकरी पालन की गहन जानकारी दी। जिसमें से क्षेत्र को देखते हुए मीट उत्पादन एवं दूध उत्पादन के लिए उपयुक्त बकरियों की विभिन्न नस्लें के बारे में अवगत कराया। अपने व्याख्यान के दौरान व्याख्यान के दौरान, बिहार सरकार की तरफ से चल रही बकरी पालन की योजनाओं के बारे में तथा उन योजनाओं को लाभ उठाने के लिए विभिन्न अहर्ता तथा जरूरी कागजात के बारे में चर्चा किया। उन्होंने बताया कि कृषक बकरी पालन व्यवसाय शुरू करने के लिए के सरकार द्वारा अनुदान प्राप्त कर सकते हैं।
कार्यक्रम के चौथे दिन भ्रमणसील पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ दिवाकर प्रसाद ने प्रशिक्षुओं को बकरियों का आवास प्रबंधन एवं आहार प्रबंधन तथा रखरखाव संबंधित विभिन्न जानकारियां साझा किया। कार्यक्रम के अंतिम दिन भ्रमणसील पशु चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर प्रदीप कुमार ने बकरियों में होने वाली विभिन्न रोग बीमारी जैसे एफएमडी, डायरिया, फीवर, स्नेक बाइट, डॉग वाइट के बारे तथा बीमारी की पहचान एवं उपचार के बारे में जानकारियाँ दि। साथ ही बकरियों में विभिन्न प्रकार के टीकाकरण एवं टीकाकरणों का अंतराल के बारे में प्रशिक्षुओं को अवगत कराया। कार्यक्रम का समापन प्रमाण पत्र वितरण के साथ किया गया समापन के दौरान जाले कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ गौतम कुणाल, डॉ अंजली सुधाकर श्रीमती पूजा कुमारी एवं अन्य सहकर्मी मौजूद थे।