•आंगनबाड़ी कार्यकर्ता आंगनबाड़ी केंद्रों तथा पोषक क्षेत्र में को खिलाएंगी दवा
•दो साल तक के बच्चों को आधा टैबलेट दी जायेगी – डीआईओ
•1 से 19 वर्ष तक के बच्चों को खिलाई जाएगी दवा
मधुबनी,17 जनवरी। बच्चों को कुपोषण से मुक्त बनाने तथा रक्त की कमी की समस्या को दूर करने के लिए राष्ट्रीय कृमि मुक्ति कार्यक्रम शुरू किया जाएगा। स्वास्थ एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार के निर्देश के आलोक में प्रत्येक वर्ष फरवरी एवं अगस्त माह में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। कार्यक्रम के तहत 1 से 19 वर्ष तक के बच्चों को कृमि नाशक दवा अल्बेंडाजोल 400 एमजी खिलाई जाएगी। कार्यक्रम जिला अंर्तगत सभी सरकारी, निजी विद्यालय एवं आंगनबाड़ी केन्द्र पर संचालित किया जाएगा। अभियान मधुबनी सहित राज्य के 31जिलों में चलेगा। जिसके लिए टैबलेट आवंटित की जाएगी। सिविल सर्जन डॉ. सुनील कुमार झा ने बताया बच्चों को जानकारी के बाद दवा खिलायी जाएगी।अल्बेंडाजोल की दवा सामने में खिलायी जायेगी। यह दवा खाली पेट में नहीं दी जायेगी। एक से दो साल तक के बच्चों को आधा टैबलेट व उससे अधिक उम्र के लोगों को एक टैबलेट देनी है। कहा कि भारत सरकार के अभियान के तहत आंगनबाड़ी जाने वाले लक्षित 1 से 5 वर्ष तक के बच्चों तथा स्कूल जाने वाले 6 वर्ष 19 वर्ष तक के बच्चों एवं स्कूल नहीं जाने वाले बच्चों को आशा कार्यकर्ता द्वारा गृहभ्रमण कर अल्बेंडाजोल की दवा खिलाई जाएगी। जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी ने बताया बच्चों में कृमि संक्रमण अस्वच्छता तथा दूषित मिट्टी के संपर्क में आने से होती है। कृमि संक्रमण से बच्चों के पोषण स्तर तथा हीमोग्लोबिन स्तर पर दुष्प्रभाव पड़ता है। जिससे बच्चों में शारीरिक व बौद्धिक विकास बाधित होती है। कार्यक्रम के दौरान कोविड-19 द्वारा निर्गत निर्देश जैसे- सामाजिक दूरी, व्यक्तिगत स्वच्छता, मास्क, सैनिटाइजर का उपयोग आवश्यक होगा।
फरवरी में चलाया जाएगा अभियान, आंगनबाड़ी सेविका को किया जाएगा प्रशिक्षित:
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. एस के विश्वकर्मा ने बताया प्रदेश के 31 जिलों में राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस की शुरुआत होगी। सभी सरकारी व गैर सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले 1 से 19 वर्ष तक के बच्चों को कृमि नाशक दवा खिलाई जाएगी। इसके लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा, एवं शिक्षकों को प्रशिक्षित किया जाएगा। जिनकी निगरानी में स्कूलों में दोपहर के भोजन के बाद बच्चों को कृमि नाशक दवा खिालाई जाएगी। इस दवा के सेवन से वंचित रहने वाले सभी छूटे हुए बच्चों को चिह्नित कर उन्हें विद्यालयों व आंगनबाड़ी केन्द्रों पर लाकर दवा खिलाई जाएगी।
दवा का सेवन कराते समय बरतनी होगी यह सावधानी:
सिविल सर्जन डॉ सुनील कुमार झा ने बताया राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के दौरान बच्चों को दवा खिलाते समय कुछ सावधानी भी बरतनी होगी। जैसे कि अगर किसी बच्चों की कोई गंभीर बीमारी का इलाज चल रहा है और वह नियमित रूप से दवा खा रहा है, कोई भी बच्चा सर्दी ,खांसी, बुखार, सांस लेने में तकलीफ से बीमार है तो, उसे यह दवा नहीं खिलाई जाएगी। 1 से 2 वर्ष तक के बच्चों को आधी गोली को चुरा बनाकर पानी के साथ, 2 से 3 वर्ष एक पूरी गोली चुरा बनाकर पानी के साथ तथा 3 से 19 वर्ष तक के बच्चों को एक पूरी गोली चबाकर खिलायी जानी है। सिविल सर्जन ने बताया दवा खिलाते समय यह ध्यान रखा जाये कि बच्चे दवा को चबाकर खाएं। जिन बच्चों के पेट में कीडों की अधिकता होगी उनके द्वारा दवा का सेवन करने पर मामूली लक्षण सामने आयेंगे आएगें जिससे घबराने की जरूरत नहीं है। जैसे जैसै दवा खाने के बाद जी मचलालना, पेट में हल्का दर्द, उल्टी, दस्त और थकान महसूस होना, लेकिन इससे घबराने की जरूरत नहीं है। पेट में कीड़ा होने के कारण यह प्रतिकूल प्रभाव दिखाई देगा। इस दौरान बच्चों को आराम की सलाह दें तथा उसे लेट जाने को कहें कहे, 10 मिनट में समस्या स्वयं ही दूर हो जाएगी।
राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस के उद्देश्य:
राष्ट्रीय कृमि मुक्ति दिवस का उद्देश्य बच्चों के समग्र स्वास्थ्य पोषण की स्थिति, शिक्षा तक पहुंच और जीवन की गुणवत्ता में बढ़ोतरी के लिए विद्यालयों और आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से 1 से 19 वर्ष की आयु के बीच के विद्यालय जाने से पहले और विद्यालय आयु के बच्चों (नामांकित तथा गैर नामांकित) को कीड़े समाप्त करने की दवा(कृमि नाशक) देनी है।
कृमि संक्रमण के लक्षण
-कृमि संक्रमण पनपने से बच्चे कुपोषित हो जाते हैं ।
-बच्चों के शरीर में खून की कमी हो जाती है।
-बच्चे हमेशा थकान महसूस करते हैं है
-बच्चों का शारीरिक व मानसिक विकास बाधित होता है।
-बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी हो जाती है।
कृमि संक्रमण से बचाव के उपाय
-नाखून साफ और छोटे रखें,
-हमेश साफ और स्वच्छ पानी ही पीऐं,
-खाने को ढक कर रखें
-साफ पानी में फल व सब्जियां धोएं
-अपने हाथ साबुन से धोए विशेषकर खाने से पहले और शौच जाने के बाद
-घरों के आसपास साफ-सफाई रखें
-खुले में शौच न करें , हमेशा शौचालय का प्रयोग करें।