•36 हजार गर्भवती महिलाओं का हुआ संस्थागत प्रसव
•सरकारी अस्पताल में प्रसव के बाद जननी योजना का मिलता है लाभ
•प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत गर्भवती की होती पूर्ण जांच

मधुबनी,30 जनवरी। जिले में गर्भवती महिलाओं ने सुरक्षित व संस्थागत प्रसव की तरफ अपना कदम बढ़ाया है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा संस्थागत प्रसव को अधिकाधिक बढ़ावा देने के लिए किये गये प्रयासों का सकारात्मक असर दिख रहा है। गर्भवती महिलाओं के प्रसव प्रबंधन की दिशा में आशा कार्यकर्ता व आंगनबाड़ी सेविकाओं के माध्यम से सामुदायिक स्तर पर लायी गयी जागरूकता और स्वास्थ्य केंद्रों पर आधारभूत संरचना में बदलाव से संस्थागत प्रसव की तस्वीर बदल रही है। जिसका परिणाम है कि अप्रैल 2021 से दिसंबर 2021 तक 36000 से अधिक गर्भवती महिलाओं का जिले में संस्थागत प्रसव हुआ। संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए गर्भवती महिलाओं को प्रसव के बाद जननी योजना का लाभ दिया जाता है। इसके अलावा प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के अंतर्गत हर माह की 9 वीं तारीख को गर्भवती की पूर्ण जांच की जा रही। जिसमें गर्भवती महिलाओं का गर्भधारण से लेकर प्रसव पूर्व तक पूर्ण जांच सदर अस्पताल सहित सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर की जाती है। सिविल सर्जन डॉ. सुनील कुमार झा ने बताया सुरक्षित प्रसव के लिए संस्थागत प्रसव जरूरी है। संस्थागत प्रसव अस्पताल में प्रशिक्षित और सक्षम स्वास्थ्य कर्मी की देख-रेख में कराया जाता है। अस्पतालों में मातृ एवं शिशु सुरक्षा के लिए भी सारी सुविधाएं उपलब्ध रहती हैं। साथ ही किसी भी आपात स्थिति यथा रक्त की अल्पता या एस्पेक्सिया जैसी समस्याओं से निपटने की तमाम सुविधाएं अस्पतालों में उपलब्ध होती हैं।

संस्थागत प्रसव के प्रति बढ़ा रुझान:
जिले में आंकड़ों पर गौर करें तो 9 महीने में जिले के सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर 36092 गर्भवती महिलाओं का संस्थागत प्रसव कराया गया है। जिसमें 157 सी – सेक्शन (सिजेरियन प्रसव) भी करायी गयी है। आंकड़ों के अनुसार सदर अस्पताल मधुबनी 3681, कलुआही 829, पंडौल 1147, राजनगर 1424, मधेपुर 2938, मधवापुर 537, अंधराठाढ़ी 1299, एसडीएच झंझारपुर 1818, एसडीएच जयनगर 2391, रहिका सदर 1247, लौकही 1424, एसडीएच फुलपरास 1544 लखनौर 729,घोघरडीहा 1827, बाबुबरही 1570, बेनीपट्टी 2517, हरलाखी 1254, बिस्फी 1960,बासोपट्टी 1080, खुटौना 2995, खजौली 1124 लदनिया में 757 संस्थागत प्रसव हुआ।

उच्च जोखिम में सावधानी बहुत जरूरी:
सदर अस्पताल की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रवृत्ति मिश्रा ने बताया उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था वह अवस्था है, जिसमें महिला या उसके भ्रूण के स्वास्थ्य या जीवन को खतरा होता है। किसी भी गर्भावस्था में जहां जटिलताओं को संभावना अधिक होती है, उस गर्भावस्था को हाई रिस्क प्रेग्नेंसी या उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था में रखा जाता है। इस तरह की गर्भावस्था को प्रशिक्षित चिकित्सक की विशिष्ट देखभाल की आवश्यकता होती है। घर में यदि कोई सदस्य कोरोना संक्रमित है तो गर्भवती के संपर्क में न आएं। खानपान की रूटीन का पालन करना जरूरी है। डाइट में विटामिन को जरूर शामिल करें । जिससे कि डाइट लेने में किसी प्रकार की समस्या ना हो । ऐसे में तेल, घी और मसालेदार खाने से परहेज करें ।

जननी बाल सुरक्षा योजना के आर्थिक लाभ:
सिविल सर्जन डॉ सुनील कुमार झा ने बताया जननी बाल सुरक्षा योजना के तहत ग्रामीण एवं शहरी दोनों प्रकार की गर्भवती महिलाओं को सरकारी अस्पताल में प्रसव कराने के बाद अलग-अलग प्रोत्साहन राशि सरकार द्वारा प्रदान की जाती है। जिसमें ग्रामीण इलाके की गर्भवती महिलाओं को 1400 रुपये एवं शहरी क्षेत्र की महिलाओं को 1000 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है। साथ ही इस योजना के तहत गर्भवती महिलाओं को प्रसव के लिए सरकारी अस्पतालों पर संदर्भित करने के लिए आशा कार्यकर्ता को भी प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान है। जिसमें प्रति प्रसव ग्रामीण क्षेत्रों में आशा को 600 रुपये .एवं शहरी क्षेत्रों के लिए आशा को 400 रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाती है। इस योजना के तहत संस्थागत प्रसव पर आम लोगों के बीच जागरूकता बढ़ रही है।

ऐसे रखें ख्याल
•संतुलित आहार लें।
•डाइट में विटामिन शामिल करें
•तेल, घी मसालेदार खाने से परहेज़ करें
•बुखार होने पर घबराएं नहीं
•इम्युनिटी का विशेष खास ख्याल
•कोरोना के लक्षण है तो तुरन्त डाक्टर से संपर्क करें
•पैरासिटामोल, विटामिन सी, फोलिक एसिड, जिंक और बी कांप्लेक्स दवा जरूर रखें
•हर दिन हल्का व्यायाम जरूर करें
•तनाव न लें।