●सत्ता के पावर हाउस को कोई चुनौती न दे दे इसीलिए देश में तैयार हो रही फॉल्स आइडेंटिटी:- मुख्य अतिथि, प्रो. मनिंद्र नाथ ठाकुर, जेएनयू।

●सत्ता निरपेक्ष राजनीति के पुरोधा थे जेपी:- डॉ. पंकज कुमार सिंह।

●राजनीति विज्ञान विभाग में जेपी के जन्म जयंती पर आयोजित हुआ एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार।

#MNN@24X7 लनामिवि दरभंगा, आज दिनांक 11 अक्टूबर 2023 को विश्वविद्यालय राजनीति विज्ञान विभाग में विभागाध्यक्ष प्रो. मुनेश्वर यादव की अध्यक्षता में “जेपी मूवमेंट एंड पॉलिटिकल डिस्कोर्स इन इंडिया” विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया।

उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सुरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि वैसे तो लोकनायक जय प्रकाश नारायण भारतीय राजनीति में सदैव प्रसांगिक रहेंगे। लेकिन जब-जब सत्ता निरंकुश व अराजक होगा तब-तब जेपी के संपूर्ण क्रांति को याद किया जायेगा। वृहत स्तर पर सोचें तो जेपी सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं बल्कि एक क्रांतिकारी सोच व विचारों का नाम है। जेपी के नाम का यूज सिर्फ चुनाव जीतने के लिये नहीं बल्कि चुनाव बाद लोक-कल्याणकारी शासनतंत्र में दिखना चाहिये। आज के युवा पीढ़ियों, छात्रों व शोधार्थियों को व खासकर राजनेताओं को जेपी का ज्यादा से ज्यादा अध्ययन करना चाहिये। शोधार्थियों को चाहिये कि वो जेपी पर ज्यादा से ज्यादा शोध करें ताकि आनेवाली पीढ़ी को उसका और अधिक लाभ मिल सके। जेपी के विचार सदैव अनुकरणीय है।

अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो. मुनेश्वर यादव ने कहा कि आज हर्ष का विषय है कि हमलोग जेपी साहब के जयंती पर आज यहां एकत्र हुए हैं। आज राजनीति विज्ञान विभाग की ओर से एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन हो रहा है। जिसमें देश के राजनीति विज्ञान विषय के नामचीन चिंतक सब का व्याख्यान होने जा रहा है। हम मंचासीन सभी अतिथियों व हॉल में उपस्थित सभी शिक्षक, शोधार्थी व छात्रों का स्वागत करते हैं। आप लोग आज उन्हें सुने और लाभान्वित हो। आज हम अपनी ओर से बस इतना कहना चाहेंगे कि जेपी का समाजवादी मॉडल सिर्फ हिंदुस्तान के लिये नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिये प्रासंगिक है।

बतौर मुख्य वक्ता जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के प्रो. मनिंद्र नाथ ठाकुर ने कहा कि मौजूदा दौर में फ्रांस, इंग्लैंड, अमेरिका के बाद अब हिंदुस्तान में भी “फॉल्स आइडेंटीटी” तैयार करने की नीति ने पॉव पसार ली है। आज सत्ता के पावर हाउस को कोई चुनौती न दे दे इसके लिये देश को टुकड़ों-टुकड़ों में बांटने की साजिश रची जा रही है। कभी धर्म के नाम पर, कभी संप्रदाय के नाम पर तो कभी जात-पात के नाम पर। इसका ज्वलंत उदाहरण आज मणिपुर का मेतई व कुकी समाज के बीच संघर्ष है। आज जेपी होते तो देश की यह परिस्थिति नहीं होती। जेपी के सामाजिक व आर्थिक मॉडल को अपनाकर देश से कई प्रकार के विषमता को दूर किया जा सकता था।

पूर्व सामाजिक विज्ञान संकायाध्यक्ष सह पूर्व राजनीति विज्ञान विभागाध्यक्ष सह सेवानिवृत शिक्षक प्रो. अनिल कुमार झा ने कहा कि लोकनायक जय प्रकाश नारायण एक क्रांतिकारी व्यक्तित्व थे। उनका व्यक्तित्व से क्रांति शब्द को हटाया नहीं जा सकता है। क्रांति के बिना लोकनायक का कल्पना करना अधूरा है। स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर संपूर्ण क्रांति के आंदोलन को देखे तो लोकनायक का योगदान इतिहास के पन्नों में भरे पड़े हैं। उन्होंने जो संपूर्ण क्रांति का व्यवस्था परिवर्तन का नारा दिया वो आज भी प्रासंगिक हैं। प्रारंभिक काल में वे गांधी से भी प्रभावित थे और मार्क्स से भी प्रभावित थे। शुरुआत में वो हिंसा की बात करते थे लेकिन बाद में गांधीजी के निधन के बाद अहिंसा की बात करने लगे थे। दुनिया के सारी क्रांतियों को उन्होंने पढ़ा था और उसे आत्मसात कर संपूर्ण क्रांति का बिगुल फूंका था। कौन कहता है कि राजनीति गंदी चीज है। राजनीति तो सनातनियों के पवित्र गंगा जल व मुसलमानों के लिये काबा के पवित्र जल समान पवित्र है। राजनीति तो तपस्या का एक साधन है। राजनीति समय की परिवर्तन का एक साधन है। राजनीति से ही दुनिया चलेगी। बरश्तें मौजूदा दौर के जाति, धर्म, संप्रदाय में टुकड़ों-टुकड़ों में बांटने वाला नेता जेपी को पढ़े और जेपी के नीतियों को आत्मसात कर राजनीति को आगे बढ़ाएं।

महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी के डॉ. पंकज कुमार सिंह ने कहा कि जेपी राजनीति में नैतिकता का प्रवेश चाहते थे। वो भ्रष्टाचार के विरोधी थे। वो सदैव कहते थे कि आंदोलन नन-पॉलिटिकल होना चाहिये, शांतिपूर्ण होना चाहिये और देश के पुनर्निर्माण के लिये छात्रों को विद्यालय-महाविद्यालय को बहिष्कार कर आंदोलन में शामिल होना चाहिये। क्योंकि देश है तभी हमारा अस्तित्व है। उनका सोच सामाजिक नीति, अर्थनीति व सर्वधर्म समभाव नीति में झलकता था। जेपी सत्ता निरपेक्ष राजनीति के पुरोधा थे। जेपी को आज वृहत स्तर पर देखने की जरूरत है। जेपी राजनीति में स्थिरता व सुचिता के प्रबल समर्थक थे।

सामाजिक विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो. प्रभाष चंद्र मिश्रा ने कहा कि जेपी सदैव प्रासंगिक थे, हैं और रहेंगे। मैं यहां उपस्थित सभी छात्रों व शोधार्थियों से आह्वान करते हैं जेपी को समझो और उनके संपूर्ण क्रांति को आत्मसात करो और उसे अपने जीवन में उतारो।

दूसरा सत्र में तकनीकी सत्र का आयोजन हुआ। तकनीकी सत्र में बीज वक्ता के रूप में पूर्व सामाजिक विज्ञान संकायाध्यक्ष प्रो. अनिल कुमार झा, रिसोर्स पर्सन के रूप में दिल्ली विश्वविद्यालय के दयाल सिंह महाविद्यालय के डॉ. विजय कुमार वर्मा, रिसोर्स पर्सन के रूप में मिथिला विश्वविद्यालय के उप-परीक्षा नियंत्रक (तकनीकी व व्यावसायिक शिक्षा) डॉ. मनोज कुमार, विभाग के दिनेश कुमार, मिल्लत महाविद्यालय लहेरियासराय के डॉ. जमशेद आलम, उदय एस. विद्यार्थी, संजय कुमार सुमन, गंगेश कुमार झा, रघुवीर कुमार रंजन, डॉ. विष्णु चौधरी, प्रो. संतोष कुमार, प्रो. रामदास रूपावथ, डॉ. हुस्न आरा व शबनम कुमारी ने भी अपने विचार रखे व साथ ही कई छात्रों व शोधार्थियों ने अपना रिसर्च आलेख प्रस्तुत किया।

मंच संचालन विभाग के वरीय शिक्षक डॉ. मुकुल बिहारी वर्मा ने जबकि धन्यवाद ज्ञापन गंगेश कुमार झा ने किया।