युवाओं का चरित्र-निर्माण एवं व्यक्तित्व- विकास कर उन्हें परफेक्ट नागरिक मानने में एनएसएस सक्षम- डॉ चौरसिया।
नियमित कार्यक्रमों के साथ ही सात दिवसीय विशेष शिविर का भी आयोजन कराए कार्यक्रम पदाधिकारी- प्रधानाचार्य डॉ सूरज नारायण पांडे।
#MNN@24X7 दरभंगाजनता कोशी महाविद्यालय, बिरौल, दरभंगा की राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के तत्वावधान में प्रभारी प्रधानाचार्य डॉ सूर्य नारायण पांडे की अध्यक्षता में “एनएसएस का स्वरूप एवं महत्व” विषय पर वॉलिंटियर ओरिएंटेशन प्रोग्राम का ऑनलाइन आयोजन किया गया, जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में विश्वविद्यालय के एनएसएस कार्यक्रम समन्वयक डॉ आर एन चौरसिया, विशिष्ट वक्ता के रूप में जीएमआरडी कॉलेज, मोहनपुर, समस्तीपुर के कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ लक्ष्मण यादव एवं डीबीकेएन कॉलेज, नरहन, समस्तीपुर के कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ शशि शेखर द्विवेदी, कॉलेज के कार्यक्रम पदाधिकारी डा भवेश कुमार एवं पूर्व एनएसएस पदाधिकारी डॉ राजकुमार प्रसाद, डॉ शंभू कुमार पासवान तथा एमएलएस कॉलेज, सरिसव-पाही, मधुबनी के कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ दिनेश्वर पासवान आदि ने अपने विचार व्यक्त किये।
इस अवसर पर कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ सहर अफरोज, प्रो रामागर प्रसाद, प्रो सुभाष चंद्र राय, डॉ सुबोध चंद्र यादव, डॉ हिमांशु शेखर, डॉ सुनीता, डॉ सुधांशु कुमार, डॉ प्रेम कुमारी, रामचंद्र भगत, सुमित सरकार, गुड़िया, मुद्रिका, पुनिता, माला, राधा, अनीता, अंकित, निशा, दीपक रस्तोगी, अतिका, राजन, मंचन, अंजनी, किरण, नरेश मुखिया, मुस्कान, आरती, सुमित, रूपा, तुलसी, गणेश, ललित, डॉली, श्रीराम, कुंदन, रोहित साह, हर्ष, सोना, सुजाता, प्रिन्शू, सल्तनत, राखी तथा सपना कर्ण सहित 60 से अधिक व्यक्तियों ने भाग लिया।
मुख्य वक्ता डॉ आर एन चौरसिया ने कहा कि कोठारी आयोग की अनुशंसा पर महात्मा गांधी के जयंती शताब्दी वर्ष में 24 सितंबर, 1969 को पूरे देश में स्थापित एनएसएस भारत सरकार के युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय, नई दिल्ली द्वारा संचालित होता है। इसका मूल उद्देश्य सामुदायिक सेवा के माध्यम से छात्रों के व्यक्तित्व का विकास करना है। यह नई पीढ़ी के समाजीकरण में अहम भूमिका निभाता है। एनएसएस छात्रों में सामाजिक चेतना को जागृत करने तथा उन्हें शैक्षिक परिसरों के आसपास के लोगों के साथ मिलकर सृजनात्मक एवं कलात्मक कार्य करना सीखता है। उन्होंने राष्ट्रीय सेवा योजना के इतिहास, उद्देश्य, मोटो, प्रतीक चिह्न तथा बैज आदि की विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि यह शिक्षण संस्थानों को समाज से सीधे जोड़ता है और छात्रों में छिपे हुए गुणों को बाहर निकाल कर उनके व्यक्तित्व को पूर्णतः निखारता है।
विशिष्ट वक्ता डॉ लक्ष्मण यादव ने कहा कि एनएसएस हमारी शिक्षा का अभिन्न एवं व्यवहारिक अंग है जिससे छात्रों की क्षमता विकसित होती है आपातकाल में भी एनएसएस स्वयं सेवा के बेहतर काम करते हैं। उन्होंने स्वयंसेवकों को होने वाले लाभों की चर्चा करते हुए कहा कि उन्हें अगली कक्षा में नामांकन तथा नौकरियों में काफी लाभ मिलता है। साथ ही एक्टिव वॉलिंटियर भविष्य में यूथ सहायक तथा यूथ अधिकारी आदि बन सकते हैं।
वहीं डॉ शशि शेखर द्विवेदी ने कहा कि वालंटियर में स्नेह, त्याग, सहयोग तथा परोपकार आदि के गुण विकसित होते हैं, जिससे वह राष्ट्र के प्रति समर्पित एवं संवेदनशील बन जाते हैं। एनएसएस युवाओं को सामाजिक एवं राष्ट्रभक्त नागरिक बनता है, जबकि डॉ शंभू कुमार पासवान ने युवाओं की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा कि वे सभी सामाजिक कुरीतियों को दूर करने में सक्षम है। वहीं एनएसएस छात्रों को बेहतर नागरिक बनता है।
अध्यक्षीय संबोधन में डॉ सूरज नारायण पांडे ने एनएसएस के महत्वों की चर्चा करते हुए कहा कि नियमित कार्यक्रमों के साथ ही सात दिवसीय विशेष शिविर का आयोजन भी कार्यक्रम पदाधिकारी कराएं, ताकि छात्रों को अधिक से अधिक लाभ हो सके। उन्होंने ओरिएंटेशन प्रोग्राम की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा कि भारत विश्व का सबसे बड़ा युवाओं का देश है, जिनके बल पर सामाजिक परिवर्तन एवं विकसित भारत का निर्माण संभव है। इस अवसर पर प्रश्नोत्तर सत्र में डॉ आर एन चौरसिया तथा डॉ लक्ष्मण यादव ने स्वयंसेवकों द्वारा पूछे गए प्रश्नों का समुचित उत्तर दिया। कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ भवेश कुमार के अतिथि स्वागत एवं संचालन में आयोजित आभासी ओरिएंटेशन प्रोग्राम में धन्यवाद ज्ञापन पूर्व एनएसएस पदाधिकारी डॉ राजकुमार प्रसाद ने किया।