*मानव जीवन का बसंतकाल किशोरावस्था अत्यंत संवेदनशील व नाजुक वयः संधि- डा अंजू*

*ज्ञानदीप पब्लिक स्कूल, समस्तीपुर के शिक्षक- शिक्षिकाओं को दिया जा रहा है पांच दिवसीय प्रशिक्षण*

*व्यक्तित्व किसी व्यक्ति के समस्त आंतरिक एवं बाह्य गुणों का दर्पण- डा चौरसिया*

*विज्ञान अध्यापिका डा अंजू कुमारी एवं डा चौरसिया ने रिसोर्स पर्सन के रूप में रखे महत्वपूर्ण विचार*

*विद्यालय के चेयरमैन डा फुलेंद्र भगत, डायरेक्टर मधु भगत व प्रिंसिपल प्रवीण पी एस ने रखे विचार*

सीबीएससी, दिल्ली के निर्देशानुसार प्लस टू ज्ञानदीप पब्लिक स्कूल, समस्तीपुर के सभी शिक्षक- शिक्षिकाओं को पांच दिवसीय प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है, जिसमें रिसोर्स पर्सन के रूप में कोयलास्थान +2 हाई स्कूल, दरभंगा की विज्ञान शिक्षिका डा अंजू कुमारी तथा सीएम कॉलेज, दरभंगा के संस्कृत विभागाध्यक्ष सह इग्नू समन्वयक डा आर एन चौरसिया ने अपने विचार रखे। प्रशिक्षण में एपीके चंद्राश, अमलेंदू कुमार, कवीन्द्र कुमार सिंह, उपेन्द्र कुमार, राम नरेश गिरी, राम विनय गिरी, विवेक कुमार, नवरंग कुमार, राम प्रकाश सिंह, मिथिलेश कुमार सिंह, श्यामनाथ यादव, बीबी राय, शास्वाति दत्ता, सुमिता कुमारी आशा कुमारी, संध्या कुमारी व मंजूषा कुमारी सहित सभी शिक्षक- शिक्षिकाओं ने भाग लिया। प्रशिक्षण में आए वक्ताओं का मिथिला के अनुरूप पाग, चादर तथा स्मृतिचिह्न आदि से स्वागत किया गया। चेयरमैन डा फुलेंद्र भगत ने स्वागत करते हुए कहा कि यह विद्यालय क्षेत्र के अभिभावकों की आर्थिक क्षमता के अनुरूप न्यूनतम मासिक फीस पर चलाया जा रहा है, जबकि छात्रों के सर्वांगीण विकास हेतु भरपूर इंफ्रास्ट्रक्चर तथा योग्य शिक्षकों की नियुक्ति की गई है। समाजसेवा ही हमारा मुख्य ध्येय है। विषय प्रवेश कराते हुए केरल निवासी प्रिंसिपल प्रवीण पी एस ने प्रशिक्षण की अनिवार्यता को स्पष्ट करते हुए कहा कि गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा देने तथा शिक्षकों की कार्यक्षमता वृद्धि हेतु प्रशिक्षण अनिवार्य है। वहीं धन्यवाद ज्ञापन करते हुए विद्यालय के निदेशक मधु भगत ने विद्यालय के उद्देश्य, अनुशासन एवं शिक्षा- व्यवस्था आदि की विस्तार से चर्चा करते हुए बताया कि शीघ्र ही विद्यालय में आवासीय व्यवस्था की जाएगी।
डा अंजू कुमारी ने “किशोरावस्था : चुनौतियां एवं निदान” विषय की विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि किशोरावस्था मानव जीवन का बसंतकाल होता है जो अत्यंत ही संवेदनशील व नाजुक अवस्था है। यह बचपन और युवावस्था के बीच की अवस्था होती है, जिसमें बच्चों के शारीरिक व मानसिक विकास साथ-साथ होते हैं। यह काल कल्पना के विकास, काम भावनाएं, नए-नए ऊंचे आदर्शों व हसीन सपनों का होता है। जहां वे अपनी अलग पहचान तथा प्रतिष्ठा पाने की इच्छा रखते हुए अपने जीवन के लक्ष्यों को भी निर्धारित करने में सक्षम होते हैं। इस समय शिक्षकों एवं अभिभावकों के पूर्ण स्नेह, सही मार्गदर्शन एवं उन्हें समझने की अधिक जरूरत होती है।आज विद्यालयों में किशोर शिक्षा की भी आवश्यकता है।अभिभावक उनपर अपनी महत्वाकांक्षा न थोपते होते हुए उनकी रुचि को समझने का प्रयास करें और उनमें उचित संस्कार का विकास भी करें।

डा आर एन चौरसिया ने “व्यक्तित्व विकास एवं नेतृत्व क्षमता” विषय की चर्चा करते हुए कहा कि व्यक्तित्व किसी व्यक्ति के समस्त आंतरिक एवं बाह्य गुणों का दर्पण होता है जो उस व्यक्ति की छवि दूसरे द्वारा महसूस की जाती है, जिसमें पोशाक, बातचीत का ढंग,आंगिक मुद्राएं, संवेग व विचार आदि शामिल हैं। व्यक्ति की पहचान उसके बेहतरीन कार्य, इमानदारी, टीम वर्क व समर्पित भावना आदि से होती है। सहयोगियों का सम्मान, विश्वास व अपनापन से हमारा व्यक्तित्व निखरता है।
नेतृत्व क्षमता व्यक्ति का वह गुण है जो अंततः लोगों के लिए एक ऐसा मार्ग बनाता है, जिसमें लोग अपना योगदान देकर विशेष उपलब्धि प्राप्त करते हैं। यह एक प्रक्रिया, तकनीक व कला है जो नैसर्गिक या अर्जित गुण हो सकता है। सफल नेतृत्व क्षमता हेतु रोड मैप से कामयाबी की सफलता आवश्यक है। लीडर को हमेशा उत्साहित, सकारात्मक, विश्वासी, व प्रसन्नचित्त रहना चाहिए। प्रशिक्षण का अंत राष्ट्रगान के सामूहिक गायन से हुआ।