महागठबंधन ने सरकार के द्वारा प्लास्टिक से बने झंडा के वितरण को राष्ट्रध्वज का अपमान बताया।

लहेरियासराय-8 अगस्त, आज सीपीआईएम जिला कार्यालय गुदरी में महागठबंधन के द्वारा प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया। जिसको सीपीआई के नेता राजीव कुमार चौधरी, राजद के जिला अध्यक्ष उमेश राय, सीपीआईएम के जिला सचिव अविनाश ठाकुर मंटू, दिलीप भगत, भाकपा माले के जिला सचिव बैजनाथ यादव, कांग्रेस के जिला अध्यक्ष सीताराम चौधरी आदि ने संबोधित करते हुए कहा कि कल महागठबंधन के राज्यव्यापी आवाहन पर बेतहाशा महंगाई, उच्चतम बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, जिला को सूखाग्रस्त जिला घोषित करने सहित विभिन्न मांगों को लेकर जिला मुख्यालय पर प्रतिरोध मार्च व सभा ऐतिहासिक रहा। इस मार्च और सभा में जिला के कोने-कोने से हजारों लोग शामिल होकर महागठबंधन एकता का परिचय दिया। वही कल के कार्यक्रम ने यह साबित कर दिया कि जिला के लोग अब सिर्फ महागठबंधन को ही अपना राजनीतिक विकल्प समझती है और लोगों का यह भी मानना है कि वर्तमान वैमनस्यता को महागठबंधन सत्ता में आकर ही ठीक कर पाएगी। इस कार्यक्रम की ऐतिहासिक सफलता के लिए महागठबंधन के कार्यकर्ता सहित समस्त जिला वासियों को हम महागठबंधन के नेतृत्व धन्यवाद ज्ञापित करते है।

वहीं केंद्र सरकार के द्वारा आर एस एस के एजेंडा को आगे बढ़ाते हुए हर घर तिरंगा अभियान चलाया जा रहा है। जिसमें प्लास्टिक और पॉलिस्टर से बने हुए तिरंगा का वितरण और बिक्री करवाया जा रहा है। हमारे महापुरुषों ने हमेशा से खादी से बने तिरंगा को प्राथमिकता दी है। सरकार को भी चाहिए कि खादी से बने तिरंगा का बिक्री और वितरण करवाया जाए। पूरे देशवासी को पता है कि किस तरह से पॉलिस्टर का सबसे बड़ा उद्योग किस उद्योगपति का है। उसी की मदद से यह सरकार चल रही है। देश जाहिलों के चंगुल में फँसा हुआ है, सत्ता सलामती के लिए तिरंगे तक का अपमान किया और कराया जा रहा है। क़ानून और संविधान को ताक पर रख दिया गया है। देश के प्रधानमंत्री सहित इनके सभी मंत्री-संत्री देशवासियों को अपने सोशल मिडिया के डीपी में तिरंगा का फोटो लगाने को कहा जबकि डीपी गोलाकार होता है। तिरंगा का इस्तेमाल कभी भी गोल या तिकोना रूप में करना विजयी विश्व तिरंगा प्यारा का अपमान है और अपराध भी। फ्लैग कोड के निर्देशानुसार तिरंगा हमेशा आयताकार स्वरूप में ही इस्तेमाल होगा। जिसमें निर्देश यह भी है कि इसके उल्लंघन पर सजा का भी प्रावधान है। इसलिए जो लोग भी अपनी डीपी या प्रोफ़ाइल पिक्चर में तिरंगा का इस्तेमाल कर रहे हैं वे तिरंगे की शान का अपमान भी कर रहे हैं और अपराध भी। तो फिर आप देख लीजिये कि इनके दिल में तिरंगा कैसा है? तिरंगा महज़ किसी पार्टी के नेता के झंडे के समतुल्य है नही है ये क़ुर्बानी, बलिदान, एकता, अखंडता, बंधुत्व के प्रतीक है।

फ़्लैग कोड के निर्देशानुसार राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा हाथ से कटा हुआ और हाथ से बनाये गये ऊनी/सूती/सिल्क/खादी कपड़े का बना हुआ होना चाहिए। मगर मोदी सरकार ने भारी मात्रा में चाइनीज़ पॉलिएस्टर का बना तिरंगा आयात करने का ऑर्डर दिया है। इसके ख़िलाफ़ महागठबंधन है। हमारे तिरंगे की तरह ही खादी भी भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की महान परंपरा का प्रतीक है। खादी ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ लोकप्रिय विरोध-प्रदर्शन में गांधीजी द्वारा पूरे देश में राष्ट्रवाद फैलाने के लिए इस्तेमाल किए गए शक्तिशाली हथियार थे। इसलिए जिस दिन से राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया, उस दिन से ही हथकरघा में खादी, खादी रेशम और ऊनी कपड़े में राष्ट्रीय ध्वज स्वीकार किया गया। लेकिन पिछले दिसंबर में मोदी सरकार ने राष्ट्रीय ध्वज कोड में संशोधन करते हुए आदेश दिया था कि मशीन से बने पॉलिएस्टर झंडे आयात और अधिक से अधिक इस्तेमाल किए जा सकते हैं। यह न केवल हमारी महान राष्ट्रीय विरासत का अपमान है बल्कि खादी उद्योग का भी अपमान है जिसकी जड़ें भारत में गहरी हैं। तथ्य यह है कि जब 1.4 करोड़ खादी श्रमिक उचित मजदूरी और आय के बिना जीवित रहने के लिए संघर्ष करते हैं तो पॉलिएस्टर राष्ट्रीय ध्वज को आयात करने का आदेश दिया जाता है, यह साबित करता है कि इस सरकार की नीतियां कितनी जनविरोधी हैं। अगर भारत में 2398 खादी इकाईयों को बड़े पैमाने पर खादी झंडे बनाने का ठेका दिया जाता तो इसका क्षेत्र में बड़ा प्रभाव पड़ता।
महागठबंधन पूछना चाहती है क्या राष्ट्रध्वज के प्रति देशभक्ति की भावना ऐसे व्यक्त की जानी चाहिए? एक तरफ पॉलिएस्टर के झंडे आयात कर रहे हैं और दूसरी तरफ आत्म निर्भर भारत का नाटकीय भाषण दे रहे हैं? इस समय जब देश आजादी की 75 वीं वर्षगांठ मना रहा है तब पॉलिएस्टर झंडों के आयात की अनुमति देने का आदेश राष्ट्रीय ध्वज और इतिहास का अपमान है। महागठबंधन ध्वज संहिता में संशोधन को बिना शर्त वापसी की मांग करता है।

हर घर तिरंगा तो ठीक है, पर हर घर रोजगार क्योँ नहीं? इस तर्ज पर हर घर रोजगार भी चलाना चाहिये। मैं देशभक्ति के भावना का विरोधी नहीं हूँ। लाखों ऐसे लोग है जिसके पास झंडा फहराने के लिए अपना घर नहीं है। उसे घर कब मिलेगा? देश के तकरीबन कुल 30 करोड़ घरों में से लगभग 20 करोड़ घरों की छतों पर तिरंगा फहराने की योजना बनाई गयी है। एक झण्डे की कीमत सरकार जो कि 25 रुपए के हिसाब से डाकखाने, राशन कोटे की दुकान और अन्य जगह पर बेच रही है। एक झंडा 25 रूपया और सरकार की योजना के मुताबिक 20 करोड़ घर पर 20 करोड़ झण्डे तो 25 रुपये के हिसाब से 5 अरब रुपये और ये 5 अरब रुपए जनता के जेब से ही लिए जायेंगे और ये 5 अरब रुपए कोई छोटी-मोटी रकम नहीं है, इस रकम से जनता के लिये कई जनहित की कई योजनाएं चलाई जा सकती हैं। पर जब जनता ही फर्जी राष्ट्रवाद की घुट्टी पीला कर उससे सब कुछ छिनना चाहती है ये सरकार।

“हर घर तिरंगा” जैसे देशभक्ति वाले कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के सरकारी स्कूलों में किसी-किसी जिला के BSA यानी बेसिक शिक्षा अधिकारी ने लिखित और अधिकतर जिले के BSA ने मौखिक रूप से टीचरों से 40 रुपये प्रति झण्डे के हिसाब से शिक्षकों से वसूली के आदेश दिये गये हैं। इसके एवज में शिक्षक जनता से क्राउड फंडिंग करवा रहें हैं। यानी जनता से वसूली कर रही है। उत्तर प्रदेश के एक जिला वाराणसी के BSA ने 1 लाख झण्डे के लिये कुल 40 लाख रुपये की धनराशि दिए गए बैंक खाते में अविलम्ब जमा करने के लिए सरकारी स्कूलों को आदेश जारी कर दिया है। फिर मेहनतकश जनता की जेब से “राष्ट्र सेवा देशभक्ति” के नाम पर पैसे की वसूली यह सरकार करेगी।

इसी तरह जम्मूकश्मीर में तो एक तुगलकी फरमान डुगडुगी पिटवाकर लाउडस्पीकर के माध्यम से अनंतनाग में नगर समिति बिजबेहरा शहर के अधिकारी घोषणा कर रहे थे और दुकानदारों को धमकी दे रहे थे कि “यदि वे राशि जमा करने में विफल रहे तो उनके लाइसेंस रद्द हो सकते हैं और परेशानी से बचने के लिये आफिस में 20 रुपये जमा कर देशभक्ति का सर्टिफिकेट ले लें। इसी तरह जम्मूकश्मीर के मुख्य शिक्षा अधिकारी बड़गाम ने जोन के सभी स्कूलों को “हर घर तिरंगा” अभियान के लिए प्रति छात्र और स्टाफ सदस्यों के लिए 20 रुपये जमा करने का आदेश जारी किया है। महागठबंधन फर्जी राष्ट्रवाद के आर में देश को कम्पनी राज्य के गिरफ्त जाते देख रही। आम-आवाम् को इससे सचेत रहने का अपील किया गया।

बिजली बिल विधेयक 2022 को आज मोदी सरकार देश की संसद में 3:00 बजे पेश करेगी। महागठबंधन इस बिजली बिल विधेयक 2022 के प्रारूप को पूरे देश में जलायेगा और इसका पुरजोर विरोध करेगा। बिजली बिल विधेयक 2022 को लागू होने पर देशभर के किसानों, मध्यमवर्ग, छोटे एवं लघु उद्योग को ₹8 यूनिट बिजली बिल भुगतान करना होगा। किसानों की खेती और महंगी हो जाएगी। छोटे उद्योग, मध्यमवर्ग एवं किसानों के पेट के ऊपर यह बड़ा हमला है।

वहीं बिहार के वर्तमान राजनीतिक परिस्थिति पर महागठबंधन के नेताओं ने कहा कि नीतीश कुमार भले ही बिहार के सीएम है लेकिन बिहार को भी नागपुर से चलाया जा रहा है। बिहार सरकार में आर एस एस के प्यादे आरसीपी सिंह ने किस तरह से अकूत संपत्ति अर्जित कर ली है। यह आप जनता के सामने हैं। इसी तरह कई सरकार के मंत्री भी इसमें सनलिप्त हैं। कई मंत्री भी अपनी अकूत संपत्ति जमा की है। इसकी भी जांच होनी चाहिए।