•टीबी से होने वाली मौतों में तंबाकू प्रयोग करने वाले लोगों की मौत का आंकड़ा 4 गुना अधिक

मधुबनी ,28 मई, सरकार ने वर्ष 2025 तक पूरे देश को टीबी मुक्त करने का संकल्प लिया है. इसके तहत जागरूकता, बचाव व सामुदायिक स्तर पर विभिन्न तरह के कार्यक्रम किए जा रहे हैं. टीबी के मरीजों को सरकार द्वारा निःशुल्क दवा व पोषण की राशि भी उपलब्ध कराई जा रही है. लेकिन लोगों में तंबाकू के सेवन व धूम्रपान की लत टीबी जैसी घातक बीमारियों के संक्रमण दर में बढ़ोतरी प्रदर्शित कर रहा है. टीबी मुक्त भारत का सपना साकार नहीं हो पाएगा ऐसी परिस्थिति में लोगों को जागरूक होना होगा तथा तंबाकू सेवन एवं धूम्रपान की लत से दूरी बनानी होगी.

संचारी रोग पदाधिकारी डॉक्टर जीएम ठाकुर ने बताया तंबाकू सेवन करने वाले तथा धूम्रपान करने वाले लोगों में टी.बी. संक्रमण की संभावना अधिक होती है. आंकड़े का अनुसार तंबाकू के सेवन करने वाले लोगों में टीबी होने का खतरा 3 गुना ज्यादा होता है एवं टी.बी. से होने वाली मृत्यु भी 3 से 4 गुना अधिक होती है और यदि ऐसे रोगी अपना पूरा उपचार ना लें अथवा पूरी तरह से ठीक ना हों, तो उनके परिवारजनों में टी. बी. होने का खतरा बढ़ जाता है. तंबाकू के सेवन से कैंसर ही नहीं टीबी बीमारी भी हो रही है। टी.बी. रोग फेंफडों में कई प्रकार की विकृतियाँ उत्पन्न करता है (साँस की नालियों में संक्रमण, उनका अनियमित चौड़ा पन या बराबर सिकुड़ा बना रहना), टीबी रोगियों द्वारा धूम्रपान करते रहने से इन विकृतियों में बढोतरी होती है. क्योंकि फेंफडों- और साँस- नालियों को साफ रखने की एवं शारीरिक प्रतिरोध क्षमता में कमी आ जाती है, इनमें टी.बी. के उपचार-परिणाम तो प्रभावित होते ही हैं (उपचार पूरा ना कर पाने से अथवा संक्रमण के लम्बे समय तक बने रहने से), इनके साथ रहने वालों में टी.बी. होने का खतरा बढ़ जाता है. ऐसा नहीं है कि यह खतरा मात्र धूम्रपान करने वाले में ही है, जो टी.बी. रोगी तम्बाकू चबाते हैं, उनमें नहीं यदि कोई धूम्रपान करने वाला धूम्रपान छोड़ तम्बाकू चबाने की सोचे तो घातक परिणाम होगा.

कैंसर और टीबी के जोखिम को बढ़ाता है तंबाकू का सेवन-

सिविल सर्जन डॉ ऋषि कांत पांडे ने बताया तंबाकू सेवन कैंसर और फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों का कारण है। लंबे समय तक धूम्रपान करने से फेफड़े व सांस की नली के कैंसर होने की संभावना ज्यादा होती है। दूसरी प्रकार से तंबाकू उत्पाद जैसे खैनी, पान मसाला, गुटखा आदि से मुख से कैंसर होता है। धूम्रपान कैंसर के अलावा टीबी होने के खतरे को बढ़ा देता है। धूम्रपान टीबी की रोकथाम पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है. सीड्स के कार्यक्रम पदाधिकारी मनोज कुमार झा ने बताया कि तम्बाकू सेवन से हो रही टीबी बीमारी को नियंत्रित करने की कोशिश हो रही है लेकिन इस में गति को तेज करने की आवश्यकता है। घूम्रपान करने वाले में टीबी की व्यापकता घूम्रपान नहीं करने वालों की तुलना में तीन गुना अधिक होती है।

कई बीमारियों को जन्म देता है तंबाकू का सेवन :

सीडीओ डॉ. जी.एम. ठाकुर ने बताया टी. बी.से पीड़ित लोगों के लिए तंबाकू सेवन और भी अधिक खतरनाक है तंबाकू का इस्तेमाल हृदय रोग, कैंसर,फेफड़े, की पुरानी बीमारी और मधुमेह को जन्म देता है। तंबाकू का उपयोग संक्रामक रोगों जैसे टीबी और श्वसन संबंधी बीमारियों के लिए भी खतरा भरा है। धूम्रपान के कारण टी. बी. रोग पैदा करने वाले माइकोबैक्टेरियम से लड़ने की रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर बनाता है। धूम्रपान करने वाले टी. बी.की व्यापकता धूम्रपान नहीं करने वालों की तुलना में तीन गुना अधिक होती है। इसके अलावा सिगरेट पान मसाला आदि भी प्लमोनरी संक्रमण के जोखिम को बढ़ा देता है।