#MNN@24X7 पटना, नीतीश सरकार और मोदी सरकार के बीच बिहार में दूसरे एम्स के निर्माण को लेकर टकराव दिखाई दे रहा है। नीतीश सरकार ने दरभंगा में एम्स के निर्माण के लिए जिस जमीन का चयन किया था।उसे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की एक टीम ने निरीक्षण कर कई बिंदुओं पर अनुपयुक्त माना हैं और नीतीश सरकार से नये भूभाग का चयन कर नया प्रस्ताव भेजने के लिए पत्र लिखा हैं।केंद्रीय टीम के फैसले पर सोमवार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि दरअसल केंद्र टालमटोल कर रहा है वो इसका निर्माण नहीं कराना चाहता है।

मीडिया से बातचीत करते हुए सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि हम लोग चाहते थे कि डीएमसीएच को ही अपग्रेड कर दिया जाए,लेकिन ये लोग नहीं माने तो वहीं मैंने अलग से जमीन दिया,लेकिन उसे भी ये लोग नहीं माने।सीएम ने कहा कि वहां के डीएम ने अलग से जमीन का व्यवस्था किया वो बहुत ही सही जमीन है।वहां हमलोग रास्ता बनवा रहे हैं।फोर लेन सड़क का निर्माण भी हम लोग करवाएंगे।इसका मतलब है कि केंद्र सरकार के मन में कुछ अलग है।हम लोग डीएमसीएच का और भी विस्तार करेंगे। सीएम ने पत्रकारों से कहा कि आप लोग भी उस जगह को देखकर आइए।

प्रमुख विपक्षी दल भाजपा ने नीतीश सरकार पर निर्माण को लेकर उदासीन होने का आरोप लगाया है।भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा है कि नीतीश कुमार ने पहले कहा था कि डीएमसीएच को ही अपग्रेड करेंगे। बाद में उन्होंने कहा की डीएमसीएच के अंदर ही जमीन देंगे।बाद में उन्होंने उसे वापस ले लिया। बाद में उन्होंने अशोक पेपर मील में जगह देने की बात कही।बाद में उन्होंने ऐसे जगह पर जमीन दिया जो जल के स्रोत पर है।केंद्र सरकार ऐसा काम नहीं करेगी कि पुल की तरह यह भी गिर जाए।

पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार के अहंकार और महागठबंधन सरकार में राजद-जदयू के बीच खींचतान के चलते उत्तर बिहार के लाखों लोग 2000 करोड़ रुपये से बनने वाले दरभंगा एम्स के रूप में केंद्र सरकार की बड़ी सौगात पाने से वंचित रह गए। मोदी ने कहा कि दरभंगा में एम्स बनाने का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नहीं मिले, इसलिए पहले दो साल तक तो मुख्यमंत्री इस बात अड़े रहे कि दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल (डीएमसीएच) को ही अपग्रेड कर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) बना दिया जाए।बाद में उन्होंने शोभन की 20-30 फीट गड्ढे और जल-जमाव वाली जमीन दी जिसे केंद्रीय टीम ने उपयुक्त नहीं माना।

(सौ स्वराज सवेरा)