कल्याणी बीपी चौरसिया नारायणा फाउंडेशन तथा सेवा संस्कृति संस्था के तत्त्वावधान में मशरूम प्रशिक्षण कार्यक्रम का हुआ आयोजन।
बिना खेत की खेती है मशरूम उत्पादन, प्रयोग सफल होने पर वृहद स्तर पर किया जाएगा मशरूम का उत्पादन- डा चौरसिया।
बेलादुल्ला में उत्पादन से मशरूम का प्रचार- प्रसार बढ़ेगा, जिसका लाभ उत्पादक किसानों, महिलाओं एवं युवाओं को मिलेगा- प्रतिभा झा
छोटे किसान, बेरोजगार युवा व गरीब महिलाएं भी पार्ट टाइम या फुल टाइम कर सकते हैं मशरूम का व्यावसायिक उत्पादन- डा अंजू कुमारी
#MNN@24X7 दरभंगा के बेलादुल्ला मोहल्ला में मशरूम हेतु दरभंगा की मुख्य प्रशिक्षिका प्रतिभा झा की देखरेख में ओयस्टर मशरूम का उत्पादन प्रायोगिक तौर पर डा आर एन चौरसिया के आवासीय परिसर में प्रारंभ किया गया है। डा चौरसिया ने बताया कि मशरूम उत्पादन बिना खेत की खेती है जो सेहत,स्वाद एवं समृद्धि का प्रतीक है।यह आत्मनिर्भरता एवं स्वावलंबन के लिए रोजगार या व्यवसाय हेतु व्यापक संभावनाओं वाला क्षेत्र है। कम पूंजी, कम जगह तथा कम समय में अच्छी कमाई देने वाले मशरूम की आज मांग बढ़ती जा रही है। यह पोषक आहार के साथ ही कारगर दवा के रूप में भी प्रयुक्त होता है।
डा अंजू कुमारी ने बताया कि छोटे किसान, बेरोजगार युवक व गरीब महिलाएं भी पार्ट टाइम या फुल टाइम मशरूम का व्यावसायिक उत्पादन कर अत्यधिक लाभ कमा सकते हैं। बाजारवाद के मौजूदा दौर में मशरूम उत्पादन, प्रबंधन, प्रसंस्करण, पैकेजिंग एवं विपणन के क्षेत्र में रोजी- रोजगार की व्यापक संभावनाएं हैं। उन्होंने मशरूम- प्रशिक्षिका प्रतिभा झा तथा सभी प्रशिक्षणार्थियों को अधिक से अधिक मशरूम उत्पादन तथा उसका दैनिक भोजन में उपयोग का आह्वान किया, क्योंकि यह इम्यूनिटी बूस्टर फूड है।
इस अवसर पर “कल्याणी बीपी चौरसिया नारायणा फाउंडेशन, दरभंगा तथा सेवा संस्कृति, जोगियारा, मधुबनी” संस्थाओं के संयुक्त तत्त्वावधान में मशरूम- प्रशिक्षण कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया, जिसमें सेवा संस्कृति के सचिव ललित कुमार झा, कल्याणी बीपी चौरसिया फाउंडेशन, दरभंगा के चेयरमैन डा आर एन चौरसिया व सचिव डा अंजू कुमारी, इग्नू के सहायक समन्वयक डा शिविर कुमार झा, डा शंभू मंडल व प्रशांत कुमार झा, मारवाड़ी महाविद्यालय के बर्सर डा अवधेश प्रसाद यादव व संस्कृत विभागाध्यक्ष डा विकास सिंह, बीएमए कॉलेज, बहेड़ी के संस्कृत- प्राध्यापक डा संजीत कुमार राम, बीएचयू की छात्रा प्रेरणा नारायण, डा प्रभात दास फाउंडेशन के वरीय कार्यकर्ता राजकुमार गणेशन, शोधार्थी बाल कृष्ण कुमार सिंह, दैनिक मजदूर भरत कुमार यादव, हाउस वाइफ रानी देवी तथा दरभंगा पब्लिक स्कूल के छात्र प्रणव नारायण आदि ने भाग लिया।
मशरूम के बेहतरीन उत्पादन, रखरखाव तथा उसकी बिक्री का प्रशिक्षण देते हुए प्रतिभा झा ने बताया कि मशरूम उत्पादन के लिए अनाजों के भूसों की जरूरत होती है, जिसे कंपोस्ट बनाकर उसमें इसका उत्पादन किया जाता है। मशरूम को बंद कमरे या बांस की झोपड़ी में उगाया जा सकता है, जिसको सूर्य की रोशनी, बाहरी हवा तथा तेज गर्मी से बचाना जरूरी होता है। मशरूम के लिए 15 से 22 डिग्री सेंटीग्रेड ताप तथा 80 से 90% नमी होना आवश्यक है।
सेवा संस्कृति के सचिव ललित कुमार झा ने कहा कि मशरूम का उत्पादन कर कोई भी व्यक्ति आत्मनिर्भर बन सकता है। यह घर में ही कम पूंजी और कम समय में अधिक लाभ देने वाला उत्पाद है, जिसे महिलाएं भी कर सकती हैं।
डा अवधेश प्रसाद यादव ने कहा कि मशरूम की मुख्य रूप से 3 प्रकार बिहार में जाया जाता है, जिनमें बटन मशरूम, ओयस्टर मशरूम तथा शिटेक मशरूम हैं। अब डॉक्टर भी मशरूम के सेवन की सलाह देते हैं, क्योंकि आम लोगों को मशरूम के लाभों के बारे में बहुत कम जानकारी है।
डा विकास सिंह ने कहा कि मशरूम में एंटी कैंसर गुण मौजूद होता है। इसमें तांबा, पोटेशियम, सेलेनियम व विटामिन सी आदि पाए जाते हैं। यह मधुमेह रोग का घरेलू इलाज है। इसका उपयोग हम सब्जी, सूप, अचार, मुरब्बा, सलाद, सॉस व पकोड़ा आदि के रूप में कर सकते हैं।
राजकुमार गणेशन के संचालन में आयोजित कार्यक्रम में स्वागत डा आर एन चौरसिया तथा धन्यवाद ज्ञापन डा अंजू कुमारी ने किया।