दरभंगा। गुरुवार को वार्ड 21 की पार्षद मधुबाला सिन्हा एवं उनके समर्थकों ने सैकड़ों की संख्या में विरोध कर धरना दिया, नारे लगाए और नगर आयुक्त, महापौर, उप महापौर का पुतला फूंका।
इससे पूर्व इस प्रकरण पर वार्ड नंबर 21 की पार्षद मधुबाला सिन्हा ने दिनांक 4 अप्रैल को इस बढ़ोतरी आदेश की नगर आयुक्त की प्रति मिलते ही 5 अप्रैल को इस पर घोर विरोध प्रकट करते हुए दरभंगा सहित मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, बेगूसराय और पटना नगर निगम का हवाला दिया, कि कहीं भी टैक्स नहीं बढ़ाया गया है तथा कोरोना काल में टैक्स बढ़ाना अन्याय पूर्ण है। इस संदर्भ में उन्होंने 6 अप्रैल को नगर आयुक्त, महापौर और उपमहापौर से मिलने का और अन्य जगह का प्रमाण दिखाने के लिए, विमर्श के लिए लिखित सूचना देकर समय मांगा। लेकिन 6 अप्रैल को दिन के 11 बजे से लेकर शाम 6 बजे तक वह बैठी रह गई। नगर आयुक्त, महापौर, उपमहापौर सहित कोई पदाधिकारी मिलने नहीं आए और अंततः उनके समर्थकों का आक्रोश फूट पड़ा। चूँकि छठ व्रत था और वे स्वयं छठ व्रत में थी, ऐसी परिस्थिति में शाम को वे लौट आयी, लेकिन गुरुवार को मधुबाला सिन्हा के समर्थकों का गुस्सा फिर फूटा और सैकड़ों की संख्या में इन लोगों ने नगर आयुक्त, महापौर और उपमहापौर के इस बर्ताव का विरोध करते हुए नगर निगम पर धावा बोल दिया, जमकर नारे लगाए, धरना दिया। अंत में देर शाम महापौर, उपमहापौर एवं नगर आयुक्त का पुतला भी फूंका। इस दौरान घंटों आक्रोशित लोग पार्षद मधुबाला सिन्हा के नेतृत्व में धरना पर रहे, लेकिन इस दिन भी कोई भी अधिकारी या प्रतिनिधि इन लोगों से मिलने नहीं आए।
नगर निगम टैक्स बढ़ाए जाने के मामले पर अब इन अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के अलग-अलग बयान हैं। सभी एक दूसरे पर ठिकरा फोर इस जवाब से बच रहे। यही कारण है कि कोई भी पार्षद मधुबाला सिन्हा से सीधे मिल जनता की नज़र में फंसना नही चाह रहे। एक सप्ताह से टैक्स कलेक्शन बंद है। कारण यह कि नगर आयुक्त के आदेश के अनुसार टैक्स बढ़ोतरी कर के लेना है और महापौर ने मीडिया में इसे वापस की घोषणा कर दी। ऐसे में संबंधित राजस्व विभाग दोनों के आदेश के बीच नगर आयुक्त के इसे विलोपित के आदेश की प्रतीक्षा में है। यह आदेश नगर आयुक्त ने स्थायी समिति की बैठक के निर्णय के उपरांत निकाला। आदेश की प्रति इन्होंने ऊपर के विभाग में भेज वाहवाही भी ली। अब स्थायी समिति सदस्य भी जनता के गुस्से को देख बता रहे कि उन्हें बताया गया कि ऑडिट आपत्ति है। टैक्स बढ़ोतरी 5 वर्ष में करना मजबूरी था। इस आधार पर इनलोगों ने टैक्स बढ़ाया। अब जब पार्षद मधुबाला सिन्हा समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, बेगूसराय, पटना नगर निगम का प्रमाण ले आयी कि वहां 8 से 10 वर्षों में कोई टैक्स बढ़ोतरी नही हुई, तो ये सदस्यगण सीधे इस सवाल से बचना चाह रहे। क्योंकि यह टैक्स बढ़ोतरी जनता के हित मे नही है।
इधर महापौर मुन्नी देवी ने सोशल मीडिया पर इसे वापस लेने की बात कही। वहीं नगर निगम की ओर से बताया गया है कि टैक्स बढ़ाना मजबूरी था। 5 वर्ष में ही इसे बढ़ जाना चाहिए था। स्थायी समिति द्वारा इसे बोर्ड में लाया गया है। पिछले 2 वर्ष में इसे कोरोना के कारण नहीं बढ़ाया गया।
लेकिन इनलोगों ने अन्य नगर निगम से इस बारे में पता नही किया। यही उदाहरण पार्षद मधुबाला यहां ला इस पर विरोध जता रही, जिनके सवाल पर सत्ताधारी दल से लेकर विपक्ष इस मुद्दे पर समर्थन के लिए मजबूर है। लेकिन जब सबका इस पर विरोध है तो प्रस्ताव आया कैसे ? इस पर संबंधित लोग चुप हैं।
दूसरी बात यह है कि जो कचरा शुल्क है वह ₹360 आवासीय परिसर से लेना है। लेकिन गजट और सरकार के निर्देश के आलोक में तत्कालीन नगर आयुक्त ने नवंबर 2020 में ही आदेश में अंकित कर दिया था कि बीपीएल परिवार और स्लम क्षेत्र के लोगों से यह शुल्क वसूलनीय नहीं है। लेकिन उस समय भी हंगामा होने के बाद इसे मौखिक आदेश पर रोक दिया गया। लेकिन 21- 22 के टैक्स में 2 साल का टैक्स जोड़कर पुनः ₹720 प्रति घर से ले लिया गया।
मालूम रहे कि शहर में 38000 बीपीएल परिवार है। ऐसे में इन लोगों की आंख में धूल झोंक कर सरकार के आदेश की अवहेलना कर दो करोड़ रुपए से ऊपर की राशि नगर निगम ने अवैध रूप से वसूल लिया। इसका भी पुरजोर विरोध किया मधुबाला सिन्हा ने और कहा कि वर्ष 2022-23 वर्ष के टैक्स में सरकार के आदेश के आलोक में उसका सामंजन कर जनता को वापस किया जाए। इस चूक पर कई पदाधिकारी भी नपेंगे। इसलिए यहां भी मामला फंसा हुआ है।
नगर निगम संपत्ति कर में 20% की बढ़ोतरी और अवैध रूप से बीपीएल परिवार और स्लम क्षेत्र के लोगों से लिए गए रकम वापसी के विरोध में उन्होंने कहा कि अगर यह मांग नहीं मानी गई, जो बिल्कुल संवैधानिक, वैध है तो आगे और आंदोलन तेज होगा और यह सारी जिम्मेवारी नगर आयुक्त, महापौर और उपमहापौर पर होगी। पार्षद ने कहा कि महापौर, उप महापौर पार्टी – पार्टी का खेल और सम्मान करवाने में व्यस्त हैं और नगर आयुक्त अवैध रूप से जनता को टैक्स माध्यम से खून निकालने में लगे हैं। काम के वक़्त कुंभकरण निद्रा में सोए जाते हैं और जनता को दिग्भ्रमित करने के लिए अनर्गल बयान भी दे रहे हैं तो कहीं चुप्पी साधे रहते हैं।
पार्षद का कहना है कि दरभंगा नगर निगम को वह फुटबॉल नहीं बनने देंगे। दलगत राजनीति से अलग नगर निगम में स्वतंत्र रूप से लोग काम के बल पर चुनाव जीतकर आते हैं और यहां वह दल का अखाड़ा नहीं बनने देंगे। उन्हें यह नहीं मतलब कि किस दल से कौन है। उन्हें मतलब है कि जनता का हक मिले, नियम कानून के आलोक में नगर निगम कार्य करें।
मालूम रहे कि नगर आयुक्त के 2 तारीख के यह टैक्स बढ़ाए जाने का पत्र 3 तारीख को मीडिया में आया। 4 तारीख को सभी पार्षदों को उपलब्ध कराया गया। इससे पहले सशक्त स्थाई समिति के सदस्यों ने इस पर मुहर लगाई। इस पर भी पार्षद मधुबाला सिन्हा ने सवाल उठाया कि यह प्रस्ताव स्थायी समिति में ही रिजेक्ट हो जाना चाहिए था। सशक्त स्थाई समिति, महापौर,, उपमहापौर को नियम और आस पड़ोस से पता लगाकर यह कदम उठाना चाहिए था। उन्हें पटना, बेगूसराय, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर इत्यादि की स्थिति भी पता कर लेनी चाहिए थी, जहां 10 वर्ष तक टैक्स ऐसे ही है। एक ओर जहां पानी की किल्लत है, सफाई पर भी लगातार सवाल उठ रहे हैं। ऐसे में 2 साल कोरोना को झेल रहे जनता के बीच 20% टैक्स की बढ़ोतरी और अवैध रूप से कचरा उठाव शुल्क लेना गलत ही नहीं अन्याय है। जनता को इंसाफ दिलाने के लिए वह लगातार संघर्ष करेगी, तब तक जब तक यह तुगलकी आदेश वापस नहीं हो जाता।