*सक्षम द्वारा ‘कुष्ट जागरण पखवाड़ा’ में “कुष्टरोग : कारण, लक्षण एवं उपचार” विषयक आभासी परिचर्चा संपन्न*
*अध्यक्ष चन्द्रभूषण, मुख्य अतिथि ब्रजकिशोर, मुख्य वक्ता डा चौरसिया सहित अनेक वक्ताओं ने रखें विचार*
*समुचित इलाज, पूर्ण जानकारी व जन जागरूकता से कुष्टरोग का समाधान संभव- चन्द्रभूषण*
*कुष्ट जीवाणु जन्य रोग, समय पर इलाज न होने से दिव्यांगता निश्चित- ब्रजकिशोर*
*कुष्ट संसारी व अति कष्टदायी रोग, जिसका प्रारंभिक अवस्था में शत प्रतिशत इलाज संभव- डा चौरसिया*
दिव्यांगता की रोकथाम, पहचान एवं पुनर्वास की व्यवस्था को समर्पित राष्ट्रीय संस्था ‘सक्षम’ के उत्तर बिहार प्रांत के तत्वावधान में ‘कुष्ट जागरण पखवाङा’ (30 जनवरी से 13 फरवरी) के अवसर पर उत्तर बिहार प्रांत के अध्यक्ष चन्द्रभूषण पाठक की अध्यक्षता में “कुष्टरोग : कारण लक्षण एवं उपचार” विषयक ऑनलाइन परिचर्चा कार्यक्रम आयोजित की गई, जिसमें 10 जिलों 22 सक्षम प्रतिनिधियों सहित 50 से अधिक व्यक्तियों ने भाग लिया।
अध्यक्षीय संबोधन में चंद्रभूषण पाठक ने कहा कि समुचित चिकित्सा एवं जन जागरुकता के माध्यम से कुष्ट रोगियों की संख्या लगातार कम हो रही है। कष्ट निवारण की दिशा में सक्षम संस्था काफी सक्रिय है। उम्मीद है सरकारी व गैरसरकारी प्रयासों एवं लोगों की जागरुकता से कुष्टरोग का भारत में शीघ्र उन्मूलन हो जाएगा। उन्होंने सक्षम द्वारा इस दिशा में किए गए कार्यों की विस्तार से जानकारी देते हुए कहा कि इस समय दरभंगा में 559 कुष्टरोगी चिह्नित हैं, जिनका समुचित इलाज चल रहा है।
कुष्ट बाधितों के हितों के लिए कार्यरत संस्था ‘सम उत्थान’, पूर्वी चम्पारण के अध्यक्ष ब्रजकिशोर प्रसाद ने मुख्य अतिथि के रूप में कहा कि कुष्ट रोगियों के प्रति समाज में अनेक गलत धारणायें हैं। लोग इसे देवताओं का श्राप, खानपान के कारण अथवा पूर्व जन्म का पाप आदि मानते हैं, परंतु वास्तव में यह जीवाणु से उत्पन्न रोग है। यदि समय पर इलाज न हो तो इससे लोग स्थायी दिव्यांग भी हो जाते हैं। बिहार में कुष्टरोग की 63 कॉलोनियां थी जो अब घट कर 51 रह गई हैं। कुष्ट से हाथ, पैर व अंगुलियां आदि सुन्न हो जाते हैं या तेढ़े- मेढ़े हो जाते हैं और रोगी समाज की मुख्यधारा से कट जाते हैं।
मुख्य वक्ता के रूप में सक्षम, दरभंगा शाखा के संरक्षक डा आर एन चौरसिया ने कहा कि कुष्ट संचारी, अति दुःखदायी एवं शत प्रतिशत इलाज द्वारा ठीक होने वाला रोग है। यदि समय पर इलाज न हो तो कुष्टरोग नसों को प्रभावित करता है, जिसके कारण रोगी के हाथ, पैर पर घाव और चेहरा भी विकृत हो जाता है। समाज एवं परिचित लोग उन्हें हेय की दृष्टि से देखते हैं। कुष्टरोगियों की शीघ्र पहचान कर उनके इलाज करने से वे पूरी तरह ठीक हो सकते हैं।
विशिष्ट वक्ता के रूप में कोयलास्थान हाई स्कूल की विज्ञान शिक्षिका डा अंजू कुमारी ने कहा कि कुष्ठरोग भय, अज्ञानता व अंधविश्वास के कारण सामाजिक कलंक माने जाने के कारण इसके इलाज में बड़ी बाधा है। यह बैक्टीरियल इंफेक्शन है जो लंबे समय तक रहता है और लगातार बढ़ता भी है। यह रोग शिशु से लेकर वृद्ध व्यक्तियों तक को हो सकता है जो हमारे नसों को छतिग्रस्त क्षतिग्रस्त कर देता है। कुष्ठरोग के लिए आज बहुत सी दवाइयां भी उपलब्ध हैं जो बैक्टीरिया को मारकर इसका इलाज करते हैं।
परिचर्चा में विषय प्रदेश सक्षम के मुजफ्फरपुर जिला के संयोजक संतोष कुमार ने किया, जबकि राजकुमार गणेश व अमरजीत कुमार आदि ने भी विचार व्यक्त किए। दायित्वधारियों, कार्यकर्ताओं व श्रोताओं के कुष्टरोग संबद्ध प्रश्नों का उत्तर ब्रजकिशोर प्रसाद एवं चंद्रभूषण पाठक ने दिया।
सक्षम, दरभंगा शाखा के संयोजक विजय कुमार लाल दास के संचालन में आयोजित परिचर्चा में अतिथियों का स्वागत इंद्रजीत ईश्वर ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन उत्तर बिहार प्रांत के सह सचिव संजय बंधु ने किया।