दरभंगा। मिथिला-मैथिली आन्दोलन के जुझारू सेनानी ढ़ढ़िया गाँव के निवासी दुर्गानंद झा का मंगलवार की देर शाम निधन हो गया. उनके निधन पर विद्यापति सेवा संस्थान ने बुधवार को शोक जताया। अपने शोक संदेश में संस्थान के महासचिव डॉ बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने उनके निधन को मिथिला एवं मैथिली के लिए अपूर्णीय क्षति बताया.
उन्होंने कहा कि मातृभूमि एवं मातृभाषा के प्रति गहरी आस्था रखने वाले स्वाभिमानी आन्दोलनकारी के रूप में उनके द्वारा की गई मिथिला व मैथिली की सेवा हमेशा अविस्मरणीय रहेगी. मैथिली को संविधान की आठवीं सूची में दर्ज कराने के लिए दस्तावेज जुटाने में उनके योगदान को भी कभी नहीं भुलाया जा सकेगा।
मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं कमला कांत झा ने उनके निधन को मिथिला के विकास के लिए अपूर्णीय क्षति बताया. वरिष्ठ साहित्यकार मणिकांत झा ने कहा कि जीवट प्रवृत्ति के मृदुभाषी एवं लगनशील आन्दोलनकारी के रूप में वे अपने कृतित्व में हमेशा जीवंत बने रहेंगे. प्रो जीवकांत मिश्र ने कहा कि एक व्यवहारपटु व्यक्तित्व एवं मातृभाषा अनुरागी के रूप में उनका योगदान हमेशा अनुकरणीय बना रहेगा.
मीडिया संयोजक प्रवीण कुमार झा ने कहा कि उनके निधन से सामाजिक एवं सांस्कृतिक मोर्चों पर मिथिला व मैथिली के हितों की चिंता करने वाला मातृभूमि व मातृभाषा का अनन्य अनुरागी हमसे हमेशा के लिए जुदा हो गया। उनके निधन पर डाॅ महेन्द्र नारायण राम, हरिश्चंद्र हरित, प्रो विजयकांत झा, विनोद कुमार झा, हीरा कुमार झा,प्रो चंद्रशेखर झा बूढाभाई, डॉ गणेश कांत झा, आशीष चौधरी, दुर्गानंद झा, नवल किशोर झा, पुरूषोत्तम वत्स आदि ने भी अपनी शोक संवेदना प्रकट की।