#MNN@24X7 लखीमपुर खीरी, उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में देवाधिदेव महादेव का अनोखा मंदिर है।यहां महादेव मेंढक की पीठ पर विराजे हैं।जिला मुख्यालय से तकरीबन 15 किलोमीटर दूर ओयल कस्बे में मंडूक तंत्र और श्री यंत्र के आधार पर बना महादेव का यह मंदिर अपनी अनूठी और अद्भुत वास्तु संरचना के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है।मंदिर का निर्माण ओयल स्टेट के तत्कालीन शासकों ने लगभग 200 वर्ष पहले करवाया था।
लखीमपुर खीरी ही नहीं बल्कि हिमालय की तलहटी में बसा हुआ पूरा तराई क्षेत्र शैव संप्रदाय का प्रमुख केंद्र था।यह क्षेत्र 11वीं सदी से 19वीं सदी तक चाहमान शासकों के आधीन रहा। चाहमान वंशी ओयल स्टेट के तत्कालीन शासक राजा बख्त सिंह ने लगभग दो सौ साल पहले प्राकृतिक दैवी आपदाओं से अपनी प्रजा की रक्षा के लिए मंडूक तंत्र और श्री यंत्र पर आधारित इस अनोखे मंदिर का निर्माण शुरू कराया था।यह मंदिर राजा बख्त सिंह के उत्तराधिकारी राजा अनिरुद्ध सिंह के समय में बनकर तैयार हुआ था।सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार मंदिर का निर्माण 1860 से 1870 के बीच हुआ था।
महादेव के इस मंदिर की वास्तु परिकल्पना कपिला के एक महान तांत्रिक ने की थी।मुख्य मंदिर एक विशालकाय मेंढक की पीठ पर बना हुआ है। मेंढक का मुंह उत्तर की ओर है। पिछला हिस्सा दक्षिण की ओर और दो पैर पूर्व दिशा में और दो पैर पश्चिम की दिशा में हैं।शिवलिंग पर अर्पित किया जाने वाला जल नलिकाओं के जरिए मेंढक के मुंह से निकलता है। यह मंदिर तंत्र साधना के लिए भी प्रसिद्ध है।
मेंढक की पीठ पर काफी ऊंचा अष्टकोणीय चबूतरा है। गर्भ गृह में पहुंचने के लिए सीढ़ियां बनी हुई हैं। इस अष्टकोणीय चबूतरे का आकार श्री यंत्र जैसा है। सबसे ऊपर गर्भ गृह है। गर्भ गृह में सफेद संगमरमर का लगभग तीन फीट ऊंचा अरघा है,जिस पर नर्मदेश्वर शिवलिंग स्थापित है।अरघे पर सहस्त्रदल कमल की आकृति बनी हुई है। गर्भगृह का द्वार पूरब की ओर है। गर्भगृह के बाहर परिक्रमा पथ भी बना है।
बता दें कि महादेव मंदिर में उनके वाहन नंदी की मूर्ति बैठी मुद्रा में स्थापित होती है,लेकिन यह एकलौता ऐसा मंदिर है, जहां नंदी खड़ी मुद्रा में स्थापित हैं। यह इस मंदिर की एक बड़ी विशेषता है।मंदिर की देखरेख और रखरखाव ओयल राजपरिवार के लोग करते हैं।
बता दें कि यह मंदिर तंत्र साधना का प्रमुख केंद्र है।तंत्र विद्या के अनुसार मेंढक सुख समृद्धि का प्रतीक है।दीपावली पर यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है।श्रद्धालु देवाधिदेव महादेव के साथ मेंढक की भी पूजा करते हैं। नवविवाहित जोड़े भी संतान की कामना से यहां दर्शन पूजन के लिए आते हैं।मेंढक मंदिर में दीपावली के अलावा पूरे सावन और महाशिवरात्रि पर भी भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती हैं।
(सौ स्वराज सवेरा)