दरभंगा। इंडियन अकैडमी आफ पीडियाट्रिक्स दरभंगा के द्वारा रविवार 8 मई 2022 को नवजात शिशु के पुनर्जीवन का वृहद प्रशिक्षकों का प्रशिक्षण कार्यक्रम शिशु विभाग डीएमसीएच मे आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में पूरे बिहार से 43 डॉक्टरों ने भाग लिया, जो बिहार के विभिन्न हिस्सों में डॉक्टर्स, नर्सेज और प्रसव कर्मियों को नवजात शिशु पुनर्जीवन का प्रशिक्षण देंगे। कोर्स कोऑर्डिनेटर एवं लीड इंस्ट्रक्टर डॉ ओम प्रकाश एवं स्थानीय प्रशिक्षक डॉ कामोद झा के अतिरिक्त दिल्ली से नेशनल नियोनाटोलॉजी फोरम इंडिया के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ ललन भारती, एम्स पटना से डॉक्टर भावेश कांत और आईजीआईएमएस पटना से डॉक्टर अमित कुमार ने प्रशिक्षण दिया।

उद्घाटन सत्र में अधीक्षक डॉ हरिशंकर मिश्रा, प्रभारी शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ अशोक कुमार, सिविल सर्जन डॉक्टर अनिल कुमार, जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ ए के झा, आईएमए प्रेसिडेंट डॉक्टर सुशील कुमार एवं सचिव डॉ अमोद कुमार, आईएपी प्रेसिडेंट डॉक्टर एनपी गुप्ता एवं सचिव डॉ मृदुल कुमार शुक्ला, दरभंगा स्त्री एवं प्रसूति रोग फेडरेशन के प्रेसिडेंट डॉक्टर भरत प्रसाद, दरभंगा बाल अकादमी के निवर्तमान सचिव डॉक्टर साजिद हुसैन, सह-प्राध्यापक डॉ रिजवान हैदर इत्यादि के साथ शिशु विभाग के डॉक्टरों एंड नर्सेज ने भी भाग लिया।

डॉ ललन भारती ने कहा कि भारत की बड़ी जनसंख्या को देखते हुए यहां शिशु जन्म दर और नवजात शिशु मृत्यु दर बहुत ज्यादा है। संसाधनों की कमी होने के कारण हर एक जन्म को शिशु रोग विशेषज्ञ द्वारा अटेंड नहीं किया जा सकता। जन्म काल सबसे अधिक कठिन होता है और नवजात शिशुओं की मृत्यु का महत्वपूर्ण कारण जन्म के समय शिशु का सांस नहीं ले पाना होता है। राष्ट्रीय बाल अकादमी द्वारा नवजात शिशु पुनर्जीवन के इस प्रशिक्षण द्वारा देश के हर हिस्सों में बच्चों को पुनर्जीवित करने में दक्ष कर्मियों की संख्या बढ़ाई जा सकती है। राष्ट्रीय बाल अकादमी यह कार्य सेवा भाव से पूर्णता निशुल्क कर रहा है और आज के इस प्रशिक्षण के उपरांत बिहार को कई दर्जन प्रशिक्षण प्राप्त हो जाएंगे, जो सुदूर स्थानों पर नवजात शिशु को मरने से बचा सकेंगे। डॉक्टर भावेश कांत ने कहा कि भविष्य में होने वाले सारे प्रशिक्षणों का पूर्ण खर्च राष्ट्रीय बाल अकादमी वहन करेगा। भविष्य में आज प्रशिक्षित प्रशिक्षक जो भी कार्यक्रम करेंगे उनका दरभंगा से कोऑर्डिनेटर डॉ ओमप्रकाश के द्वारा प्रबंधन किया जाएगा।

अधीक्षक डॉ हरि शंकर मिश्रा ने दरभंगा के सुदूर स्थानों पर इस तरह के प्रशिक्षण के आयोजन की आवश्यकता पर बल दिया। सिविल सर्जन डॉ अनिल कुमार ने तत्काल जिले के तीन जगहों पर जहां सिजेरियन हो रहे हैं वहां को केंद्र बनाते हुए प्रशिक्षण आयोजित करने के लिए आग्रह किया।
आई एम ए दरभंगा के अध्यक्ष डॉ सुशील कुमार ने कहा कि चिकित्सा विज्ञान एक जीवित विज्ञान है। हमें पुरानी गलतियों को सुधारने का और नई विधियों को सीखने की आवश्यकता होती है। इसमें पूर्व सीखे हुए चीजों को भूलने की और नई चीजों की सीखने की आवश्यकता है। इस तरह के वर्कशॉप लोगों को आधुनिक तकनीकों से रूबरू कराते हैं।
उद्घाटन सत्र में प्रशिक्षकों के अतिरिक्त डॉ भरत प्रसाद, डॉक्टर एनपी गुप्ता, डॉ एके झा, डॉ अमोद कुमार, डॉ रिजवान हैदर, डॉक्टर साजिद हुसैन और डॉक्टर मृदुल कुमार शुक्ला ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

चार वर्क स्टेशन पर आयोजित हैंड ऑन प्रशिक्षण में प्रशिक्षणार्थियों को नवजात शिशु को जन्म के तुरंत बाद मां के पेट पर रखने, उनकी नाभी को 1 से 3 मिनट बाद से काटने, उन्हें जन्म उपरांत आवश्यक सेवा देने, सांस नहीं लेने की स्थिति में रेडिएंट वार्मर के नीचे प्रारंभिक प्रक्रिया के बाद सेल्फ इन्फ्लेटिंग बैग और मास्क से सांस देने की सही तकनीक को सही ढंग से करने के प्रशिक्षण के साथ ज्यादा दिक्कत वाले शिशुओं को उच्च सुविधा संस्थान में भेजने का प्रशिक्षण दिया गया।