दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के कर्मी को वि वि में समायोजित करने की गारंटी करे सरकार – प्रिंस।

आइसा राज्य सह सचिव ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र।

#MNN@24X7 दरभंगा, आइसा राज्य सह सचिव प्रिंस राज ने कहा की ललित नारायण मिथिला विवि के अधिकारी के लापरवाही के चलते आज वि वि को नैक टीम द्वारा A नही मिला। जिसके चलते आज दूरस्थ शिक्षा निदेशालय के खुलने का कोई आसार नही है।

विदित हो की इससे पूर्व आए नैक के द्वारा वि वि को कई महत्वपूर्ण बिंदु को ठीक ठाक करने का सुझाव दिया था लेकिन वि वि प्रशासन उस बिंदु को ठीक करने के बजाय विवि को लूट का अड्डा बना दिया। विवि में आधारभूत संरचना दुरुस्त करने, अध्यन अध्यापन के कार्य को दुरुस्त करने, शोध कार्य पर जोर देने, पीजी विभागो में आधारभूत संरचना को दुरुस्त करने सहित अन्य सवालों पर कार्य करने की जरूरत थी लेकिन वि वि प्रशासन द्वारा इन सभी कार्यों पर ध्यान न देकर सिर्फ वि वि के पैसा को कैसे लूटा जाय इसकी रणनीति बनाकर वि वि के पैसा को लूट लिया गया।
उन्होंने कहा कि वि वि के छात्र-शिक्षक-कर्मचारी को बहुत उम्मीद था की इस बार वि वि को A ग्रेड मिलेगा।
आइसा नेता प्रिंस ने इस संदर्भ में मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन दिया है।

उन्होंने अपने ज्ञापन में लिखा है की उत्तर बिहार शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ा क्षेत्र माना जाता है, बाढ़ प्रभावित क्षेत्र भी रहा हैं। इस क्षेत्र में बहुत कुछ भवदीय प्रयास से संभव हो सका है। आज बिहार की महागठबंधन सरकार के अथक प्रयास से पुनः एक बार नौजवानो को रोजगार देने में सफलता हासिल कर रही है, जिससे नौजवानों में महागठबंधन सरकार के प्रति विश्वास और अधिक बढ़ा है/बढ़ता जा रहा है परंतु रोजगार प्राप्ति के पहले शिक्षा आवश्यक है, शिक्षा के बिना रोजगार संभव प्रतीत नहीं होता है।

विदित हो कि बिहार में उच्च शिक्षा दर में वृद्धि एवं सकल नामांकन अनुपात दर में वृद्धि का ठोस माध्यम “दूरस्थ माध्यम”था/हैं परंतु केंद्र सरकार के गलत नीति के कारण बिहार के “दूरस्थ माध्यम “से शिक्षा प्रदान करने वाली विश्वविद्यालय/दोहरी शिक्षा प्रदान करने वाली विश्वविद्यालय/दूरस्थ शिक्षा निदेशालय /केंद्र में आज नामांकन बंद हो गया है और उक्त संस्थानों में काम करने वाले शिक्षा कर्मियों के भविष्य अंधकारमय होता दिख रहा हैं। साथ ही बिहार के नौकरी- पेशा वाले, कामकाजी एवं गृहिणी वर्तमान में उच्च शिक्षा से वंचित हो रहे हैं। यह भी विदित हो कि “दूरस्थ माध्यम “से बिहार के निम्नांकित पारंपरिक विश्वविद्यालय द्वारा शिक्षा प्रदान किया जाता था/रहा है,जो आज नैक के 4 बिंदु पैमाने पर 3.01/3.26 नहीं होने के कारण बंद हैं/रहा है –
(1)पटना विश्वविद्यालय, पटना।
(2) बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर।
(3) मगध विश्वविद्यालय, बोधगया।
(4) ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा।

साथ ही नालंदा खुला विश्वविद्यालय, पटना में भी नामांकन बंद हैं/ प्रभावित हैं। सूत्रों से पता चला है कि उपरोक्त अंकित विश्वविद्यालय के दूरस्थ शिक्षा निदेशालयो/केंद्रों ने कार्यरत शिक्षा कर्मियों का छः छः महीने से वेतन भुगतान भी नही हो रहा है जिसमें ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा अग्रणी है जहां विश्ववद्यालय के अभिषद द्वारा वेतन भुगतान का निर्णय लेने के उपरांत भी वेतन लंबित चल रहा है।

श्री राज में मुख्यमंत्री से आग्रह किया है की नौकरी – पेशा, कामकाजी एवं गृहिणीयो के हित में उत्तर बिहार में एक खुला विश्वविद्यालय की स्थापना अथवा दूरस्थ शिक्षा निदेशालय, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा को ही खुला विश्वविद्यालय बनाया जाय साथ ही साथ दूरस्थ शिक्षा निदेशालय, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा मे कार्यरत शिक्षा कर्मियों का लंबित वेतन भुगतान के साथ विश्वविद्यालय के रिक्त पदों पर समायोजन करने की मांग की है।

इसकी कापी शिक्षा मंत्री, संजय झा मंत्री बिहार सरकार को भेजा गया है।