*विश्वविद्यालय द्वारा बेहतर नैक ग्रेडिंग के उद्देश्य से कॉलेज प्रधानाचार्यों एवं आइक्यूएसी समन्वयकों की कार्यशाला आयोजित*

*नैक मूल्यांकन छात्र व कॉलेज के हित में, उच्च प्राथमिकता देकर सभी महाविद्यालय शीध्र कार्यारंभ करें- कुलपति*

*अच्छे नैक ग्रेड हेतु कॉलेज शैक्षणिक गुणवत्ता सुधार के साथ ही एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटी पर विशेष ध्यान दे- प्रो डॉली सिन्हा*

*जुलाई के प्रथम सप्ताह में सभी महाविद्यालयों के सभी विभागों में दिए जाएंगे कम से कम एक शिक्षक- कुलसचिव*

विश्वविद्यालय के लिए छात्रहित सर्वोपरि है। उनकी बेहतरी के लिए हम सब निरंतर मिलकर कार्य कर रहे हैं। नैक में बेहतर ग्रेड पाने के लिए पढ़ाई के साथ ही सामाजिक, सांस्कृतिक व खेलकूद आदि कार्यक्रमों की काफी अहमियत है। इस दिशा में सभी कॉलेज कदम दर कदम आगे बढ़ाएं। उक्त बातें ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एस पी सिंह ने विश्वविद्यालय के द्वारा बेहतर नैक ग्रेडिंग के उद्देश्य से जुबली हॉल में महाविद्यालयों के प्रधानाचार्यों एवं आइक्यूएसी समन्वयकों की कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए कहा।
कुलपति ने कहा कि नैक मूल्यांकन सभी शैक्षणिक संस्थानों के लिए अनिवार्य है। यदि योजनाबद्ध रूप से कार्य करें तो बेहतर उपलब्धि सुनिश्चित है।

उन्होंने नैक मूल्यांकन के महत्व की चर्चा करते हुए कहा कि यह छात्र और कॉलेज सब के हित में है। अतः उच्च प्राथमिकता देकर सभी महाविद्यालय इस दिशा में शीघ्र सार्थक कार्यारंभ करें, विश्वविद्यालय भरपूर सहयोग करेगा। यदि नैक में सी ग्रेड भी मिले तो भी नैक अनिवार्य रूप से कराएं, क्योंकि यह नैक न कराने से बेहतर है और दंडित होने से भी बच सकेंगे। प्रोफ़ेसर सिंह ने दिसंबर तक विश्वविद्यालय का भी नैक मूल्यांकन कराने की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हुए कहा कि भीड़ में चलने से कुछ नहीं मिलेगा, बल्कि कार्यों को करने का तरीका बदलकर आगे- आगे चलें।

प्रति कुलपति प्रोफेसर डॉली सिन्हा ने कहा कि अच्छे नैक ग्रेड हेतु कॉलेज शैक्षणिक गुणवत्ता सुधार के साथ ही एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटी पर विशेष ध्यान दें। उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए बताया कि बिहार में आज मात्र 18% कॉलेज ही नैक मूल्यांकन कराया है, वहीं मिथिला विश्वविद्यालय के 8 कॉलेज अभी तक एक भी चरण का नैक नहीं कराया है। उन्होंने अपनी ओर से कॉलेज के प्रधानाचार्यों को नैक संबंधी हर तरफ की मदद देने की पेशकश करते हुए बताया कि कॉलेज चाहे तो 2 वर्षों के लिए पैक ग्रेड ले सकते हैं, परंतु इस बीच पुख्ता तैयारी कर बेहतर नैक ग्रेड प्राप्त कर सकते हैं। प्रति कुलपति ने कहा कि जो महाविद्यालय नैक में अच्छा करेगा, उसे विश्वविद्यालय की ओर से सम्मानित करने का प्रयास किया जायेगा।

वित्त परामर्शी कैलाश राम ने कहा कि महाविद्यालयों के शैक्षणिक विकास हेतु नैक मूल्यांकन आवश्यक है। प्राचीन काल में बिहार का नालंदा और विक्रमशिला विश्वविद्यालय विश्वविख्यात था, जहां विदेशों से भी छात्र पढ़ने आते आते थे, परंतु आज कमियों के कारण ही नैक मूल्यांकन में हम काफी पीछे हैं। कॉलेजों में पुस्तकालयों, प्रयोगशालाओं तथा टीचिंग टूल्स आदि को बेहतर करने की जरूरत है।

कुलसचिव प्रोफेसर मुश्ताक अहमद ने बताया कि राज्य सरकार के निर्देशानुसार नैक न करने वाले संस्थान दंडित होंगे, जबकि उनकी डिग्री भी मान्य नहीं होगी। नेक कार्य हेतु सभी प्रधानाचार्य अपने शिक्षकों एवं कर्मियों से पूरा सहयोग लें। यदि वे सहयोग नहीं करते हैं तो उनपर कार्रवाई संभव है। सभी कॉलेज अपना वेबसाइट/ पोर्टल अपडेट करें। सभी तरह की सूचनाएं उसपर अपलोड कर अपने पोर्टल को राज्य पोर्टल से लिंक करें। कॉलेजों की कठिनाइयों में मदद हेतु विश्वविद्यालय हर तरह से तैयार है। नैक में शिक्षकों की शैक्षणिक उपलब्धियों तथा छात्रों के परफॉर्मेंस पर सर्वाधिक अंक दिया जाता है, न की बिल्डिंग और उसके रंग- रोगन पर। कुलसचिव ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा जुलाई के प्रथम सप्ताह में सभी महाविद्यालयों के सभी विभागों में कम से कम एक शिक्षक अवश्य दिए जाएंगे।

आगत अतिथियों का स्वागत तथा विषय प्रवेश विश्वविद्यालय के सीसीडीसी डा महेश प्रसाद सिन्हा ने किया, जबकि दो तकनीकी सत्रों में प्रति कुलपति प्रोफेसर डॉली सिन्हा, प्रोफेसर एन के अग्रवाल, डॉ गौरव सिक्का आदि ने नैक की बारीकियों से सदस्यों को अवगत कराया। साथ ही पूछे गए सभी प्रश्नों का संतोषजनक उत्तर भी दिया। अतिथियों का स्वागत पुष्पगुच्छ से किया गया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन विकास पदाधिकारी प्रो सुरेन्द्र कुमार ने किया।