काफी जद्दोजहद के बाद गोपनीय प्रशाखा ने लिया आवेदन वो भी बिना रिसिविंग के।
ऐसी व्यवस्था है या कुछ पुलिस कर्मी/अधिकारी एसपी को बदनाम करने को ऐसा कर रहें, स्वयं मामले की जांच कर SP अपने कार्यालय एवं गोपनीय प्रशाखा में सुगमतापूर्वक आवेदन लेकर रिसिविंग देने की व्यवस्था करें-माले।
1990 से गोपनीय प्रशाखा में आवेदन देता रहा हूं, पहली बार ऐसी व्यवस्था का सामना करना पड़ा- सुरेंद्र।
#MNN@24X7 समस्तीपुर, 19 जून, पीड़ित का आवेदन न ही पुलिस अधीक्षक कार्यालय और न ही गोपनीय प्रशाखा लेने को तैयार? आखिर पीड़ित जाएं तो जाएं कहां? जबकी सरकार द्वारा पीड़ित का आवेदन लेकर हाथों-हाथ रिसिविंग देने का निर्देश है। इस मामले को सभी उचित फोरम पर उठाया जाएगा। जिलाधिकारी, अनुमंडलाधिकारी, नगर आयुक्त आदि का जब कार्यालय आवेदन लेकर हाथों-हाथ रिसिविंग देते हैं तो एसपी कार्यालय एवं गोपनीय प्रशाखा को भी देना चाहिए। – ये बातें बुधवार को प्रेस विज्ञप्ति जारी कर भाकपा माले जिला स्थाई समिति सदस्य सुरेंद्र प्रसाद सिंह ने कहा है।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा है कि पुलिस प्रताड़ना झेल रहे ताजपुर के एक पीड़ित की आवेदन नहीं लेने की शिकायत पर स्वयं उसके साथ आवेदन देने गये। एसपी कार्यालय ने गोपनीय प्रशाखा में आवेदन देने की बात बताकर पल्ला झाड़ लिया। गोपनीय प्रशाखा में जाने पर गार्ड ने कहा कि यहां आवेदन नहीं लिया जाता है, कार्यालय जाइये। फिर कार्यालय से डांटकर गोपनीय का रास्ता बता दिया गया। काफि जद्दोजहद के बाद गोपनीय गोपनीय प्रशाखा आवेदन तो ले लिया लेकिन रिसिविंग मांगने पर बाहर का रास्ता दिखा दिया और अंदर आने देने की दोषी मानकर सुरक्षा गार्ड को अपना कर्तव्य याद दिला दिया।
माले नेता ने बताया अंततः दूसरा आवेदन बनाकर जिलाधिकारी के ओएसडी कार्यालय में देकर लेटर नंबर लिया गया। उन्होंने कहा कि 1990 से गोपनीय प्रशाखा में आवेदन देता रहा हूं, कभी ऐसी परिस्थिति का सामना करना नहीं पड़ा। माले नेता ने पूछा है कि पीड़ित को कौन सुनेगा, पीड़ित कहां और किसे अपनी पीड़ा बताएंगे? ऐसी व्यवस्था बनाई गई है या कुछ पुलिस कर्मी या अधिकारी एसपी को बदनाम करने को ऐसा कर रहे हैं, एसपी स्वयं मामले की जांच कर अपने कार्यालय एवं गोपनीय प्रशाखा में सुगमतापूर्वक पीड़ित का आवेदन लेकर रिसिविंग देने की व्यवस्था करने की मांग की है। इसे लेकर माले नेता ने स्वयं एसपी से मिलने की बात बताई है।