दरभंगा।चिकित्सा के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मिथिला की प्रतिभा का परचम लहराने वाले पद्मश्री डॉ मोहन मिश्र की पहली पुण्यतिथि पर शुक्रवार को विद्यापति सेवा संस्थान ने उन्हें भावपूर्ण स्मरणांजलि दी। संस्थान के महासचिव डॉ बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने चिकित्सा क्षेत्र के महानायक के रूप में उन्हें याद करते कहा कि मिथिला के लाल डॉ मोहन मिश्र अपनी कृतियों में सदा जीवंत बने रहेंगे। उन्होंने कहा कि कालाजार के उपचार सहित भारत में पारंपरिक रूप से जड़ी-बूटी के रूप में इस्तेमाल किए जाने वाले ब्राह्मी के पौधे की डिमेंशिया के उपचार में प्रभावकारी शोध के लिए वे हमेशा अमर रहेंगे।
मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं कमलाकांत झा ने कहा कि उन्होंने कालाजार जैसी खतरनाक बीमारी की दवा खोजकर चिकित्सा के क्षेत्र में बड़ा योगदान दिया। संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ बुचरू पासवान ने उन्हें आम जनता की सेवा के लिए आजीवन तत्पर रहने वाला किफायती चिकित्सक बताया। वरिष्ठ साहित्यकार मणिकांत झा ने उन्हें सामाजिक सरोकारों से जुड़ा चिकित्सक बताते कहा कि अपनी मधुर वाणी व आत्मीय संवाद से मरीजों में जान फूंकने वाले चिकित्सक के रूप में वे हमेशा स्मृति पटल पर बने रहेंगे। संस्थान के सचिव प्रो जीवकांत मिश्र ने उन्हें सामाजिक सरोकारों से जुड़े चिकित्सक के रूप में याद किया। महात्मा गांधी शिक्षण संस्थान के चेयरमैन हीरा कुमार झा ने कहा कि शोध-प्रज्ञ चिकित्सक एवं डीएमसीएच के मेडिसिन विभाग के अध्यक्ष के रूप में अपने योगदान के लिए वे हमेशा याद किए जाएंगे।
मीडिया संयोजक प्रवीण कुमार झा ने चिकित्सा क्षेत्र में इतनी ऊंचाई पर होने के बावजूद उनमें घमंड का लेस मात्र नहीं होने को उनके व्यक्तित्व की बड़ी खासियत बताया। उन्होंने कहा कि वे अपने मरीजों से इतनी आत्मीयता से पेश आते थे कि गंभीर से गंभीर मरीज भी उनके पास आकर क्षण भर के लिए अपना दुख भूल जाता था और इसका व्यापक असर मरीजों के उपचार पर होता था। उनकी पुण्यतिथि पर साहित्यकार डॉ महेंद्र नारायण राम, हरिश्चन्द्र हरित, प्रो विजयकांत झा, विनोद कुमार झा, प्रो चंद्रशेखर झा बूढाभाई, डॉ गणेश कांत झा, आशीष चौधरी, नवल किशोर झा, डॉ सुषमा झा, दुर्गानंद झा, महानंद ठाकुर, पुरूषोत्तम वत्स आदि ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की।
07 May 2022
