#MNN@24X7 दरभंगा, बिहार के श्रमिकों के साथ अन्य प्रदेशों में हो रहे सौतेले व्यवहार पर जन अधिकार पार्टी के सुप्रीमो पप्पू यादव ने वेवाक होकर कहा कि इसके पीछे कोई और नही यहां के बिहारी खुद जिम्मेदार है। वही उन्होंने दया निधि और महानंद जी के व्यान पर कहा कि जिसके पास जितना ज्ञान और समझ होगा उतना ही ना बोलेंगे। असम, नागालैंड व अन्य प्रदेशों से बिहार के श्रमिकों को भगाया गया था ना। सवाल यह उठता है कि बिहारी की इतनी दुर्गति क्यों। बिहार की दुर्गति इसीलिए इसी बिहार के चलते। ये जातपात की बात करेंगे, लेकिन बिहार में बंद पड़े कल कारखाने को कैसे चालू किया जाए। इस पर बात नहीं होती है। लेकिन पूरे बिहारी को रोजगार के लिए बाहर भेजते हैं।

वही पप्पू यादव ने बिहार सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि बिहार में जब रोजगार की बात आई तो सरकार ने डोमिसाइल को हटा दिया। जिसपर मैने डोमिसाइल नीति लागू करने की मांग की। लेकिन हमारी मांग को नजर अंदाज कर दिया गया और 60% पद अन्य प्रदेशों को दे दिया। ऐसी स्थिति में यहां के युवा को निराशा हाथ लगी और जीवोपार्जन के लिए भटक रहे हैं। वहीं उन्होंने केंद्र सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि बरसों से बिहार को विशेष राज्य दर्जा की मांग चल रही है। साथ ही बिहार के अन्य जिलों में एयरपोर्ट खोलने की मांग हो रही है। लेकिन किसी प्रकार की सुनवाई नहीं हो रही है।

वही जब सुप्रीमो पप्पू यादव ने कहा कि दरभंगा के ललित झा पर संसद भवन के अंदर घुसकर हंगामा करने का आरोप लगा है। ललित झा यादव या दलित तो है नहीं। वह तो 10 साल से रोजगार के लिए परेशान था। बेरोजगारी से परेशान होकर जान देने के लिए वह संसद चला गया। ललित झा का यह तरीका गलत हो सकता है। लेकिन उनका इंटेंशन क्या था। उसकी चर्चा नहीं हो रही है। सारे ओलंपिक के पहलवान प्रधानमंत्री मोदी के आवास के सामने अपना पदक को रख दिया। उसकी चर्चा नहीं हो रही है। लेकिन अन्य तरह के विवादित बयानों को देकर लोगों को भ्रमित करने का काम किया जा रहा है।