-सारा दिन एसी, कूलर चलाने से बेहतर है कमरे की खिड़कियां खोलकर रखें
 
दरभंगा, 12 मई। वर्तमान में लोग भीषण गर्मी से परेशान हैं। खासकर पहली गर्मी में नवजात का विशेष ख्याल रखना ज़रूरी है। नवजात को डिहाइड्रेशन से बचाने के लिए मां को पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए। दिनभर में 8 से 10 गिलास पानी जरूर पीएं। साथ ही मां का नारियल पानी पीना भी मां व नवजात, दोनों के लिए सेहतमंद होता है। बच्चे को ढीले-ढाले सूती कपड़े पहनाएं। ऐसे कपड़ों से हवा के वेंटिलेशन में दिक्कत नहीं होती। ऐसे कपड़े पसीना सोखते और रेशैज कम पड़ने में सहायक होते हैं। चिलचिलाती गर्मी के दिनों में हर कोई धूप और गर्म हवाओं से परेशान हो जाता है, क्योंकि धूप की वजह से बहुत सारी परेशानियों का सामना कर पड़ता है। डीएमसीएच के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ ओम प्रकाश ने कहा घर में कोई छोटा बच्चा है, जिसकी इस बार पहली गर्मी है, तो उसका हाल और बुरा हो सकता है। ऐसे में अगर शिशु की पहली गर्मी है, तो आपको ज्यादा संभलकर रहने की जरूरत होती है। गर्मी में बच्चे को लू लगने, घमौरियों और त्वचा से जुड़ी कई परेशानियां हो सकती हैं लेकिन, थोड़ी-सी सावधानियां बरतकर आप अपने बच्चे को इस गर्मी में काफी आराम पहुंचा सकते हैं। कुछ खास तरीकों को अपनाकर आप अपने बच्चे का गर्मियों के मौसम में ख्याल रख सकते हैं।

हल्के रंगों वाले कपड़े पहनाएं:
डॉ प्रकाश ने बताया बच्चे को लूज फिटिंग वाले नेचुरल फाइबर के और पेस्टल कलर के कपड़े पहनाने चाहिए। यानी ढीले-ढाले पायजामा और टी-शर्ट हों, जो नेचुरल फाइबर में पतले और मुलायम सूती कपड़े से बने हों। ऐसे कपड़ों से हवा के वेंटिलेशन में भी दिक्कत नहीं होती और ये पसीना सोखते हैं। साथ ही शरीर की गर्मी को बाहर निकलने देते और रेशैज कम पड़ने में सहायक होते हैं। बच्चे के कपड़े जहां तक हो सके हल्के रंगों (पिंक, बेबी पिंक, सफेद, क्रीम, पीला, हरा, ओरेंज) के होने चाहिए, क्योंकि ये सारे शेड हीट को एब्जॉर्ब नहीं करते हैं। ऐसे कपड़ों में बच्चा गर्मी की वजह से परेशान नहीं होगा। याद रखें कि बच्चे को नये कपड़े भी धोकर ही पहनाएं, क्योंकि नये कपड़ों में माइल्ड स्टार्च लगी हो सकती है। जिसकी वजह से बच्चे की स्किन पर रेशैज बढ़ सकते हैं।

बच्चों को केवल सूती कपड़े पहनाएं:
डॉ ओम प्रकाश ने कहा बच्चे को हमेशा सूती और पतले कपड़े के पहनाएं। दिन में उन्हें कट-स्लीव या आधी बाजू के और शॉर्ट लैंथ के कपड़े पहना सकते हैं जबकि, रात में एसी या कूलर चलाते समय या कहीं बाहर लेकर जाते हुए फुल-लैंथ के और लूज फिटिंग के कपड़े पहनाने चाहिए। सूती कपड़े सनलाइट से प्रोटेक्शन करने और स्किन टैनिंग से बचाव में सहायक होते हैं। इसके अलावा गर्मियों में बच्चे को ज्यादा देर के लिए जुराबें या टोपी नहीं पहनाएं, क्योंकि इन जगहों से शरीर की हीट रिलीज होती है। जिससे ये जगह बहुत गर्म हो जाती हैं। जूतों की बजाय क्रॉक्स या छेद वाले सैंडल पहनाना बेस्ट है।

हर दिन नहलाएं:
चिकित्सक के अनुसार भले ही सर्दियों में ठंड की वजह से कभी-कभी बच्चों को नहीं नहलाते, लेकिन गर्मियों में हाइजीन मेंटेन करने के लिए दिन में एक या दो बार जरूर नहलाना चाहिए। रात को सोने से पहले नहलाने से बच्चा फ्रेश महसूस करता और नींद अच्छी आती है। जरूरी नहीं कि रात में साबुन लगाएं या मालिश करें। अगर नहलाना संभव न हो, तो गीले कपड़े से स्पांज करके उसके कपड़े जरूर बदल देने चाहिए। गर्मियों में पसीना आने से कई बार बैक्टीरिया विकसित होने का अंदेशा रहता है। जिससे कई तरह के इन्फेक्शन होने का खतरा रहता है। स्किन पर रैशेज होना, घमौरियां और दाने निकलने लगते हैं।

घर का तापमान करें मेंटेन:
डॉ प्रकाश ने कहा घर में 25-28 डिग्री के बीच टेंपरेचर मेंटेन करें, जिसे रूम-थर्मामीटर या डिजीटल क्लॉक की मदद से चेक कर सकते हैं। इसके लिए पंखा, एसी, कूलर इस्तेमाल कर सकते हैं। सारा दिन एसी, कूलर चलाने की बजाय बेहतर होगा कि कमरे की खिड़कियां खोलकर ताजी हवा का वेंटिलेशन बनाये रखें। इससे कमरा ठंडा रहेगा। ध्यान रखें कि इन इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से निकलने वाली सीधी हवा के नीचे बच्चे को न रहने दें। इससे बच्चे बहुत जल्दी बीमार हो सकते हैं।

डॉ प्रकाश ने कहा डायपर कम-से-कम पहनाएं।
गर्मियों में अक्सर बच्चों में डायपर पहनने से रेशैज होने का खतरा रहता है, क्योंकि बच्चे के प्राइवेट पार्ट्स वाली जगह बहुत सेंसिटिव होती है। डायपर के ज्यादा इस्तेमाल से वहां की स्किन को हवा नहीं लग पाती और रेशैज हो जाते हैं। जिनसे उस जगह जलन और दर्द रहता है। कोशिश करें कि बच्चे को पूरा दिन डायपर न पहनाएं। बहुत जरूरी हो, तो हर 2-3 घंटे में डायपर बदल देना चाहिए। डायपर बदलते समय बच्चे को कम-से-कम 10 मिनट डायपर-फ्री रखें। यानी प्राइवेट पार्ट्स वाली जगह को खुला छोड़ दें। हवा लगने से डायपर की वजह से रेशैज होने की संभावना कम रहती है।

मच्छरों से करें बचाव:
गर्मियों में मच्छर और मलेरिया, डेंगू जैसी मच्छरजनित बीमारियों का डर बना रहता है। इसे देखते हुए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है, ताकि मच्छर को पनपने का मौका न मिले।. कूलर का पानी रोजाना बदलते रहें। कूलर के पानी में कुछ बूंदें कैरोसीन की डालें। गमलों में लगाये पौधों में पानी जरूरत से ज्यादा न दें। घर में कहीं भी पानी खड़ा हो, तो उसे निकालने का प्रबंध करें। मच्छरों से बचाव के लिए बच्चों को फुल-लैंथ के कपड़े पहनाएं।. मच्छर भगाने के लिए बच्चे के बेड के चारों ओर, कपड़ों पर रोल-ऑन डॉट्स लगा सकते हैं। छह महीने से बड़े बच्चों को मच्छर भगाने वाली क्रीम लगा सकते हैं। सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें।

सोने का रखें ध्यान:
अगर चाहते हैं कि बच्चा रात को भरपूर नींद ले, तो उसे दिन में 5 बजे के बाद सोने नहीं देना चाहिए। भले ही वह पहले 2-3 बार छोटी नींद ले यानी 30-40 मिनट के लिए सो जाये। शाम 5 बजे के बाद बच्चे के साथ एक्टिविटी या खेल सकते हैं या बाहर घुमाने लेकर जा सकते हैं।. रात को सोते समय बच्चे को फुल-लैंथ के कपड़े पहनाने चाहिए, ताकि चादर न ओढ़ने पर भी इत्मीनान से सो सके।