#MNN@24X7 लखनऊ।केंद्र सरकार ने कट्टर इस्लामिक संगठन पिपुल्स फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और उसकी आठ सहयोगी संस्थाओं को पांच साल के लिए बैन कर दिया है। गृह मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार पीएफआई के तार आईएस जैसे आतंकी संगठन से जुड़े हैं।उसकी राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के कई साक्ष्य मिले हैं।लिहाजा गैरकानूनी गतिविधियां अधिनियम के तहत ये कार्रवाई की गई है।उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और गुजरात सरकार ने गृह मंत्रालय से पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने दावा किया है कि उसे पीएफआई नेताओं के पास से मिशन 2047 से जुड़ी एक सीडी और बम बनाने का फॉर्मूला मिला है। गजवा ए हिंद का प्लान भी मिला है। इसमें भारत को इस्लामी राष्ट्र बनाने संबंधी सामग्री है।

एजेंसी के अनुसार बाराबंकी के पीएफआई नेता मोहम्मद नदीम के पास मिली किताब का शीर्षक है-आसानी से उपलब्ध सामग्री से आईईडी कैसे बनाएं। ये एक तरह से बम बनाने का संक्षिप्त कोर्स है। ऐसी ही पुस्तक खादरा के नेता अहमद बेग के पास भी मिली है। एक पीएफआई नेता से पेन ड्राइव मिली है, जिसमें आईएस गजवा ए हिंद के वीडियो पाए गए हैं।

2019 दिसंबर महीने में सीएए-एनआरसी के खिलाफ लखनऊ समेत प्रदेश के कई शहरों में हिंसक प्रदर्शन हुए। पुलिस की पड़ताल में कई जिलों में पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के सदस्यों की संलिप्तता सामने आई। इसके बाद पुलिस ने पीएफआई के खिलाफ प्रदेशव्यापी अभियान छेड़ दिया।

पीएफआई की गतिविधियों को देखते हुए यूपी के तत्कालीन डीजीपी ओम प्रकाश सिंह ने एक प्रस्ताव तैयार कराया, जो पीएफआई और उससे जुड़ी तमाम संस्थाओं को बैन करने का था।शासन ने ये प्रस्ताव केंद्र को भेज दिया था। यूपी के बाद कर्नाटक और गुजरात सरकार ने भी पीएफआई को बैन करने की सिफारिश केंद्र को भेजी। इसके बाद अब केंद्र सरकार ने पीएफआई को बैन कर दिया है।

यूपी में पीएफआई की सक्रियता 2010 से समय-समय पर सामने आती रहीं,लेकिन सीएए-एनआरसी प्रदर्शन के दौरान पहली बार इस संगठन का हिंसक रूप सामने आया था। इसके बाद सितंबर 2020 में हाथरस में एक युवती की दुष्कर्म के बाद हत्या की घटना के बाद जिले में कानून-व्यवस्था की चुनौती खड़ी हो गई थी। इसी मामले में गिरफ्तार पीएफआई से जुड़ा एक पत्रकार सिद्दीक कप्पन और उसका साथी रऊफ लखनऊ जेल में बंद है।

हाथरस कांड में पीएफआई की भूमिका की पड़ताल एसटीएफ को अहम जानकारी हाथ लगी। इसके बाद 16 फरवरी 2021 को बसंत पंचमी से ठीक पहले प्रदेश को सीरियल ब्लास्ट के जरिए दहलाने की योजना बना रहे पीएफआई के दो सदस्यों को यूपी एसटीएफ ने लखनऊ के गुडंबा क्षेत्र से गिरफ्तार कर उनके मंसूबों पर पानी फेर दिया था। लखनऊ से गिरफ्तार केरल निवासी अशद बदरुद्दीन और फिरोज खान ने प्रदेश के प्रमुख स्थानों पर धमाके की सिफारिश रची थी।

(सौ स्वराज सवेरा)