उन्होंने कहा की, मैथिली भाषा-साहित्य व मिथिलाक्षर लिपि के प्रचार-प्रसार के लिए सरकारी मदद को आवाज़ बुलंद करेंगे
मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान के तत्वावधान में रविवार को दरभंगा के एमएलएसएम कालेज के सभागार में मिथिला वैभव सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। जिसमें बतौर मुख्य अतिथि अपने संबोधन में बिहार सरकार के जल संसाधन एवं सूचना व जन सम्पर्क मंत्री संजय झा ने सूबे के प्राथमिक विद्यालयों में मैथिली माध्यम में शीघ्र पढ़ाई शुरू कराने की घोषणा की।
अपने संबोधन में उन्होंने मिथिला के सांस्कृतिक प्रतीक मखाना को मिथिला मखाना के नाम से जीआई टैग मिलने पर खुशी जाहिर करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि बाढ़ और बरसात के दिनों होने वाले अनावश्यक जलजमाव की समस्या के निदान के लिए युद्ध स्तर पर कार्य चल रहा है और निर्धारित समय सीमा के अंदर शेष बची समस्याओं का भी जल्द ही समाधान कर लिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि बिना मिथिला, मैथिली और मिथिलाक्षर का विकास किए बिहार का सर्वांगीण विकास नहीं किया जा सकता है। इसके लिए संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल मैथिली भाषा व इसकी धरोहर लिपि मिथिलाक्षर का व्यापक व्यवहार और प्रचार प्रसार निहायत जरूरी है। इसके लिए प्रथम दृष्टया उन्होंने अपने लेटर पैड पर मिथिलाक्षर का व्यवहार शुरू कर दिया है और आगे मैथिली भाषा-साहित्य व मिथिलाक्षर लिपि के प्रचार-प्रसार के लिए वे हर संभव सरकारी मदद के लिए आवाज़ बुलंद करेंगे।
मौके पर विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डा बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने कहा कि मिथिला और मिथिलाक्षर का अस्तित्व सदियों से रहता आया है। बीच के एक संक्षिप्त कालखंड में भले ही इसकी स्थिति थोड़ी निराशाजनक रही हो, लेकिन एक बार फिर से मिथिला के सर्वांगीण विकास के लिए मैथिली भाषा और धरोहर लिपि मिथिलाक्षर को लेकर आम मैथिल में चेतना जागृत हो गई है। यह निश्चित रूप से इसके सुखद भविष्य के लिए शुभ संकेत है।
मैथिली साहित्य के हास्य-व्यंग्य के शीर्षस्थ कवि डा जयप्रकाश चौधरी जनक ने मैथिली भाषा-साहित्य व मिथिलाक्षर लिपि को दैनिक उपयोग में लाने का सभी से अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि यदि मैथिली भाषा व मिथिलाक्षर लिपि का प्रयोग दैनिक कार्यों में नहीं किया गया तो यह पुन: मृतप्राय हो जाएगी। पूर्व प्रधानाचार्य डा विद्यानाथ झा ने कहा कि अभियान में प्रशिक्षित होने वालों में अधिकांश युवा हैं और यह अभियान सबसे अधिक युवाओं की जनसंख्या वाले भारत देश में एक युवा सोच की उपज है।
महात्मा गांधी शिक्षण संस्थान के चेयरमैन हीरा कुमार झा ने कहा कि मिथिला की धरोहर लिपि मिथिलाक्षर की साक्षरता को बढ़ाने में युवाओं के साथ साथ बड़ी संख्या में महिलाओं का जुड़ना इसकी खासियत रही है। निश्चित रूप से यह इस बात का संकेत है कि जानकी, भारती और गार्गी सरीखे विदुषियों की जन्मस्थली रही मिथिला की नारी शक्ति अपने नौनिहालों को अपनी मातृलिपि को सशक्त बनाने की दिशा में पूर्ण मनोयोग से प्रेरित कर रही है।
विष्णु कुमार झा ने कहा कि सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर मिथिलाक्षर की पाठशाला सजाकर देश-विदेश के अब तक करीब दस लाख लोगों को मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान के माध्यम से मिथिलाक्षर में साक्षर बनाने का पं शास्त्री का कार्य मैथिली भाषा और लिपि के लिए ढोल पीटने वाले लोगों के लिए नजीर पेश कर रहा है।
अध्यक्षीय संबोधन में मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान के संस्थापक पं अजय नाथ शास्त्री ने मिथिला को मिथिलांचल नाम से संबोधित किए जाने पर गहरी आपत्ति जताते हुए कहा कि हालांकि मिथिलाक्षर की शत-प्रतिशत साक्षरता के प्रति इस अभियान से जुड़े अभियानी कृत संकल्प हैं। लेकिन मिथिलाक्षर को चलन में लाना जहां सभी मैथिली भाषियों की जिम्मेवारी है। वहीं बिना सरकारी मदद के मैथिली भाषा व इसकी मातृलिपि मिथिलाक्षर का यथोचित प्रचार-प्रसार व विकास नहीं किया जा सकता।
डॉ सुषमा झा द्वारा कवि कोकिल विद्यापति की कालजई रचना जय जय भैरवी के गायन के साथ कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत हुई। दीपक कुमार झा एवं नीरज कुमार झा ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुति देकर समां बांध दिया। तबला पर विशाल कुमार ने विलक्षण संगति की।
वरिष्ठ साहित्यकार मणिकांत झा एवं मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान के वरीय संरक्षक प्रवीण कुमार झा के संयुक्त संचालन में आयोजित कार्यक्रम में ट्राई कलर प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड के कार्यकारी निदेशक रंजन कुमार झा, पूर्व प्रधानाचार्य डॉ विद्या नाथ झा, आरके कॉलेज मधुबनी के प्रधानाचार्य डा फुलो पासवान, अमित वर्धन, शिव किशोर राय, चिरंजीवी राय, आशुतोष कुमार द्विवेदी, मणि भूषण राजू, परमानंद झा, डॉ सुषमा झा, डॉ वाणी भारद्वाज, आचार्य धर्मेंद्र नाथ, शिक्षाविद् प्रजेश कुमार झा, कृष्ण कांत ठाकुर एवं स्व जयानंद झा को मिथिला वैभव सम्मान से सम्मानित किया गया।
जबकि मिथिला मैथिली के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डॉ बैद्यनाथ चौधरी बैजू, महात्मा गांधी शिक्षण संस्थान के चेयरमैन हीरा कुमार झा, रीजनल सेकेंडरी स्कूल मधुबनी के निदेशक राम श्रृंगार पांडेय, वरिष्ठ कवि जय प्रकाश चौधरी जनक, वरिष्ठ साहित्यकार मणिकांत झा, प्रवीण भारद्वाज, मनोज शर्मा एवं धर्मेंद्र कुमार झा को मैथिली मणि सम्मान प्रदान किया गया। इसके साथ ही कुमार प्रमोद चंद्र, शोभा झा, वीरेंद्र कुमार झा, किसलय कृष्ण, संजय झा, दीपक कुमार झा, प्रवीण कुमार झा, आशीष सिंह, कौशल कुमार मिश्रा, मुरारी कुमार झा, दिलीप कुमार झा, माधुरी झा, कृष्णा जी, दया नाथ झा, उग्र नाथ झा एवं मुन्ना चमन को मैथिली पुनर्जागरण सम्मान प्रदान किया गया।
मौके पर मिथिलाक्षर प्रशिक्षित कुल 230 लोगों को मिथिलाक्षर प्रवीण सम्मान, तीन लोगों को संरक्षक सम्मान, तीन लोगों को निर्देशक सम्मान एवं दो लोगों को मार्गदर्शक सम्मान उपाधि प्रदान की गई। मौके पर कृष्ण कांत झा को मिथिलाक्षर संजीवनी सम्मान प्रदान किया गया।