-धुआँ और तेज़ आवाज नवजातों और बुजुर्गों के लिए है हानिकारक
-दीपावली में कम से कम पटाखे चलाएं : सिविल सर्जन
#MNN@24X7 मधुबनी, 23 अक्टूबर। घर- घर में साफ सफाई और त्यौहार से संबंधी आवश्यक सामानों की ख़रीदारी ज़ोरों पर है। हालांकि दीपावली रौशनी एवं पटाखों का त्यौहार है। जिसके दौरान जलने वाले पटाखों की शोर और दमघोंटू धुएँ से स्वास्थ्य को नुकसान भी हो सकता है। लेकिन पिछले 2 साल से भी ज्यादा वक्त से कोरोना संक्रमण से जूझने के बाद हम सभी ने एक सबक यह भी सीखा है कि प्रदूषण जितना कम फैलेगा, सेहत के दृष्टिकोण से हम उतने सुरक्षित रहेंगे। इसलिए दीपावली की खुशियों को मनाने से पहले हर व्यक्ति को स्वयं से संकल्प लेना चाहिए कि वे कम से कम आतिशवाजी करें, अपने आपको सुरक्षित रखें. ताकि खुशियाँ बनी रह सके। कुल मिलाकर यह समय सभी आयु वर्ग के लिए सतर्कता बरतने का समय है किन्तु नवजातों, बुजुर्गों और गर्भवतियों की सेहत के लिए तो अधिक ख्याल रखने की जरूरत है। इसलिए त्यौहार मनाते समय उनकी असुविधाओं को नजरंदाज नहीं करें और ध्यान रखें कि वे घर में सुरक्षित रहें।
रोशनी के जरिये त्यौहार में बांटें खुशियाँ, प्रदूषण नहीं:
सिविल सर्जन डॉ. सुनील कुमार झा बताते हैं पटाखों की तेज आवाज और धुआँ वैसे तो सभी आयु वर्ग के लिए नुकसानदायक होता है। लेकिन पांच साल से कम उम्र के बच्चों और 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों में रोग प्रतिरोधक शक्ति कम होती है। ज़्यादातर इस उम्र में बुजुर्ग अस्थमा, हृदय संबन्धित रोग या अन्य मानसिक और शारीरिक रोगों से जूझ रहे होते हैं। इसलिए पटाखों के घातक तत्वों (सल्फर डाई ऑक्साइड, नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड, कॉपर,लेड, मैग्नेशियम, सोडियम,जिक, नाइट्रेट एवं नाइट्राइट) से फैले जहरीले धुएँ इनके लिए हानिकारक हो सकते हैं। पटाखों की तेज आवाज से मानसिक तनाव, हृदयाघात, कान के पर्दे फटने का या तेज रौशनी से आँखों को नुकसान होने का डर रहता है। यही नहीं पटाखों से निकलने वाले घातक तत्वों से त्वचा को भी नुकसान पहुंचता है। बुजुर्गों को इस दौरान घर के बाहर नहीं निकलने दें। दमा के मरीजों को हमेशा इन्हेलर साथ रखने और जरूरत पड़ने पर तुरंत इस्तेमाल की हिदायत दें। यदि उनमें किसी भी प्रकार की शारीरिक या मानसिक असुविधा या बदलाव दिखे तो तुरंत चिकित्सकीय सलाह लें। साथ ही पटाखों के धुएँ से वायु प्रदूषण को बढ़ावा भी मिल सकता है। इसलिए रोशनी के जरिये त्यौहार में खुशियां बांटें प्रदूषण नहीं।
शिशुओं और गर्भवतियों को भी सतर्कता की जरूरत :
पटाखों से सिर्फ बुजुर्गों को हीं नहीं छोटे बच्चों और गर्भवतियों को भी नुकसान पहुंचता है। इनके तेज आवाज से जहां शिशुओं के कान के पर्दे फटने, त्वचा और आँखों को नुकसान का डर होता है। वहीं गर्भवती महिलाओं के गर्भस्थ में बच्चे को भी नुकसान होता है। इससे शिशु के जन्म के बाद भी उसमें कई विकृतियाँ हो सकती हैं। इसलिए शिशुओं और गर्भवती माताओं को भी बाहर नहीं निकलने दें।
श्वसन तंत्रिका हो सकती है प्रभावित-
दीपावली में पटाखों के चलाने से उत्पन्न वायु प्रदूषण व्यक्ति के श्वसन तंत्रिका को प्रभावित करती है। जिससे वैसे लोग जो पहले से सांस संबंधी व्याधियों से ग्रसित हैं, उनके लिए यह प्रदूषण काफी खतरनाक है। इसलिए आवश्यक है कि कम से कम पटाखे चलाये जायें। किसी भी तरह से श्वसन तंत्रिका का संक्रमित या कमजोर हो जाना हमारे लिए घातक हो सकता है।