जन सुराज पदयात्रा के 72वें दिन प्रशांत किशोर ने कहा – बिहार के लोगों की आर्थिक मदद से चलेगा जन सुराज अभियान,’क्राउड फंडिंग’ का सबसे बड़ा मंच जल्द तैयार होगा।
#MNN@24X7 ढाका, पूर्वी चंपारण, 12 दिसंबर, 2022, जन सुराज पदयात्रा के 72वें दिन की शुरुआत पूर्वी चंपारण के ढाका स्थित रुपहरा हाई स्कूल परिसर में सर्वधर्म प्रार्थना से हुई। इसके बाद प्रशांत किशोर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से स्थानीय मीडिया से बात की। उन्होंने बताया कि अबतक पदयात्रा के माध्यम से लगभग 800 किमी से अधिक पैदल चल चुके हैं। इसमें 550 किमी से अधिक पश्चिम चंपारण में पदयात्रा हुई और पूर्वी चंपारण में अबतक 250 किमी से अधिक पैदल चल चुके हैं। इस दौरान जमीन पर हुए अनुभवों और समस्याओं पर बात करते हुए उन्होंने शिक्षा, कृषि, स्वास्थ्य व स्वरोजगार जैसे कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपनी बात रखी और बताया की लोगों की समस्याओं को भी सुन कर उसका संकलन करते जा रहे हैं।
देश का सबसे बड़ा क्राउडफंडिंग का प्लेटफार्म बनने जा रहा है ‘जन सुराज’: प्रशांत किशोर*।
जन सुराज पदयात्रा में हो रहे आर्थिक खर्च पर बोलते हुए प्रशांत किशोर ने कहा, “सभी सामाजिक-राजनीतिक काम करने वाले लोगों का काम भीड़ जुटाने, बड़े मंच के प्रबंधन, बड़े विज्ञापन, हवाई जाहज और हेलीकॉप्टर में खर्च होता है। जबकि हम पदयात्रा में ऐसा कोई भी कार्य नहीं कर रहे हैं। आज देश में 6 ऐसे बड़े राज्य है जिनको मुख्यमंत्री को बनाने में हमने कंधा लगाया है, उनकी मदद से यह कुछ संभव हो पा रहा है। जन सुराज जल्द देश का सबसे बड़ा क्राउडफंडिंग का प्लेटफार्म बनने जा रहा है। बिहार के जो लोग भी अभियान में मदद करना चाहते हैं, ₹100 या ₹200 अपनी क्षमतानुसार अपने मोबाइल के माध्यम से हमें भेज पाएंगे। यदि भविष्य में दो करोड़ बिहार के लोग 100₹ से भी अपना सहयोग देंगे तो यह आंकड़ा 200 करोड़ हो जाएगा और उसी की मदद से हम ये अभियान चलाएंगे।”
बिहार में व्यवस्था का पौधा, पेड़ बनकर जल्द लहलहाने लगेगा: प्रशांत किशोर।
प्रशांत किशोर ने कहा कि जो लोग यह कह रहे हैं कि हमें समर्थन नहीं मिल रहा है। उन्हें बता दे कि हमारी हैसियत कुछ न होने के बावजूद हमसे मदद की गुहार लगाते हैं। पदयात्रा के दौरान जिन गांव से हम गुज़र रहें हैं, वहां स्थानीय लोग हमें अपना हाथ पकड़वाकर अपने घर ले जाना चाहते हैं ताकि उनकी स्थिति को देखकर बेहतरी के लिए कुछ कर सकें। आगे प्रशांत ने कहा शीशे पर धूल जम जाए तो चेहरा नहीं दिखेगा, लेकिन आप धूल को को साफ कर देंगे तो चेहरा फिर से दिखने लगेगा। यहां के नेताओं ने बिहार की व्यवस्था पर ऐसी ही धूल जमा दी है। ऐसा नहीं है कि बिहार का समाज मर गया या उनकी चेतना खत्म हो गई है, यह जरूर है कि पिछले 30 साल इस साल से जो राजनीति हुई है उसकी वजह से उम्मीद खत्म हो गया है। इसलिए हमारा प्रयास है कि जन सुराज के माध्यम से उसे फिर से उस चेतना को पुनर्जीवित किया जाए। पानी और खाद डालने की बात है, फिर से यह पौधा पेड़ बनकर कर लहलाने लगेगा।
देश में भूमिहीनों की संख्या बिहार में सबसे ज्यादा: प्रशांत किशोर।
प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में समाजवादी नेताओं का शासन होने के बाबजूद देश में भूमिहीनों की संख्या बिहार में सबसे ज्यादा है। ग्रामीण बिहार में करीब 60% लोग ऐसे हैं जिनके पास एक धुर भर जमीन भी नहीं है। आगे प्रशांत ने कहा करीब 55 प्रतिशत बिहारियों के पास 1 इंच जमीन नहीं है और यह स्थिति तब है जब बीते 30-35 साल से शासन करने वाले लोग समाजवादी विचारों से हैं।