दरभंगा।दिनांक २6 .3.2022 को , आई एम ए , दरभंगा में प्रोग्रैमेटिक मैनेजमेंट ऑफ़ टीबी प्रीवेंटिव ट्रीटमेंट (पीएमटीपीटी) कार्ययोजना के तहत कार्यशाला का आयोजन वर्ल्ड विज़न, जिला यक्ष्मा केंद्र, W.J Clinton Foundation एबं आई एम ए , दरभंगा के सहयोग किया गया।
जिसका उद्घाटन डॉक्टर आमोद कुमार झा सचिव आई एम ए, डॉक्टर सुशील कुमार झा, अध्यक्ष आई एम ए दरभंगा एबं डॉक्टर अनिल कुमार, सिविल सर्जन एबं डॉक्टर के एन मिश्रा, प्रिंसिपल, DMCH दरभंगा के द्वारा द्धीप प्रज्वलित कर किया। इस अवसर पर उपस्थित डॉक्टर के एन मिश्रा, प्रिंसिपल, DMCH दरभंगा द्वारा राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के सम्बन्ध में चर्चा करते हुए बताया की भारत सरकार के राष्ट्रीय रणनीति 2017-25 के अनुसार टीबी उन्मूलन के लिए लक्ष्य रखा गया है, इसके लिए प्रोग्रैमेटिक मैनेजमेंट ऑफ़ टीबी प्रीवेंटिव ट्रीटमेंट (पीएमटीपीटी) योजना के अंतर्गत लेटन टीबी इंफेक्शन वाले मरीज को चिन्हित कर उन्हें टीपीटी से जोड़ा जायेगा ताकि उनके शरीर के अंदर पनप रहे बैक्टेरिया को एक्टिब टीबी होने से पहले समाप्त कर दिया जाए। जिससे टीबी फैलाब के चैन को तोड़ने में मदद मिलेगी जो टीबी उन्मूलन के क्षेत्र में काफी सहायक होगा। उन्होंने इस अबसर पर निजी चिकित्स्कों को कार्यक्रम में सहयोग करने की अपील की।
इस अवसर पर उपस्थित सिविल सर्जन डॉक्टर अनील कुमार के द्वारा टी वी की बीमार के लक्षण, उपचार एवं सरकार के द्वारा दी जा रही nikshya पोषण योजना एवं अन्य सरकारी सुविधाओं जो बिल्कुल निःशुल्क के बारे मे सिविल सर्जन के द्वारा विस्तृत जानकारी दी गई।

इस अबसर पर प्रशिक्षक के रुप में उपस्थित डॉक्टर ओमप्रकश एबं डॉक्टर राजीव, कन्सल्टेंट,WHO,TB द्वारा सरकार के प्रोग्रैमेटिक मैनेजमेंट ऑफ़ टीबी प्रीवेंटिव ट्रीटमेंट (पीएमटीपीटी)योजना की गाइडलाइन के बारे में चर्चा करते हुए बताया की इस योजना के तहत सभी पलोमरी टीबी मरीज को चिन्हित कर उन्हें टीपीटी से जोड़ना है ताकि लेटन टीबी इंफेक्शन को समाप्त किया जा सके उन्होंने इस अबसर पर डब्लू एच ओ के एक अध्यन का जिक्र करते हुए कहा की भारत में विश्व स्तर पर तपेदिक संक्रमण (टीबीआई) का सबसे अधिक अनुमानित बोझ है, लगभग 35-40 करोड़ भारतीय आबादी में लेटेन टीबी इंफेक्शन है, जिनमें से 26 लाख सालाना तपेदिक (टीबी) रोग विकसित करने का अनुमान है जिसमे टीपीटी के बाद टीबी रोग विकसित होने का जोखिम लगभग 60% कम हो जाता है और एचआईवी (पीएलएचआईवी) के साथ रहने वाले लोगों में यह कमी 90% तक हो सकती है, जो टीबी उन्मूलन के लिए काफी सहायक है।
कार्यक्रम में उपस्थित डॉक्टर अमोद झा सचिव आई एम ए के द्वारा टीबी उन्मूलन में निजी चिकित्स्कों भागीदारी पर चर्चा करते हुए कहा की अगर हम कोई भी टीबी मरीज का इलाज करते है तो हमें उनके सम्पर्क में रह रहे सदस्यों को भी टीपीटी सलाह दे ताकि टीबी के फैलाब को रोका जा सके। उन्होंने सभी चिकित्स्कों को समाज के सच्चे प्रहरी के रूप में करने की अपील की।
इस अबसर पर उपस्थित डॉक्टर आमोद कुमार झा, सचिव आई एम ए, दरभंगा द्वारा रेडियोलॉजिस्ट, ग्रामीण चिकित्सक एबं फार्मासिस्ट को भी कार्यक्रम से जोड़ने की बात कही ताकी उनतक सही जानकारी पहुच सके।
वर्ल्ड विज़न के डिस्ट्रिक्ट लिड चन्दन कुमार के द्वारा बताया की यह कार्यक्रम पुरे बिहार के 11 जिलों में चलाया जा रहा है जिसमे 5 जिला में इस कार्यक्रम का क्रियान्वन वर्ल्ड विज़न द्वारा किया जा रहा है । दरभंगा जिला में इसकी शुरुआत माह अक्टूबर 2021 में किया गया। इस कार्यक्रम के तहत एलटीबीआइ काउंसलर के द्वारा सभी पलोमरी टीबी के घर में जाकर कॉन्ट्रेक्ट ट्रेसिंग कर वैसे मरीज को चिन्हित किया जा रहा है जिनमे एक्टिब टीबी का कोई लक्षण नहीं है। तत्पश्चात वैसे मरीज को टीपीटी से जोड़क़र उन्हें 6 माह आइसोनियाजेड की दवा खिलाया जाता है ताकि लेटन टीबी इंफेक्शन को समाप्त किया जा सके।
डॉक्टर सुशील कुमार झा, अध्यक्ष आई एम ए दरभंगा ने अपने सम्बोधन में कहा की डॉक्टर ईश्वर के रूप है और हमे ईश्वर ने ही हमे अपने रूप में समाज के सेवा के लिए भेजा है अतः मेरा यह कर्तब्य बनता इस पुनीत कार्य में बढ़चढ़ कर हिस्सा ले और समाज से टीबी रूपी कलंक को जड़ से समाप्त करें।

मंच का संचालन डॉक्टर आमोद कुमार झा, सचिव आई एम ए के द्वारा किया गया। इस CME में 50 प्राइवेट चिकित्सक ने भाग लिया।