दरभंगा। प्रेमचंद जयंती समारोह समिति, दरभंगा के तत्वावधान में शिशु वर्ग से स्नातकोत्तर वर्ग के छात्र-छात्राओं का विभिन्न विधाओं में प्रतियोगिता आयोजित की गई। यह प्रतियोगिता स्थानीय महाराज लक्ष्मीश्वर सिंह मेमोरियल महाविद्यालय में आयोजित हुई। जिसमें निबंध, क्वीज, चित्रकला, गणित, अभिभाषण, गीत एवं “काव्यपाठ विधाओं में जिले के नगर और ग्रामीण क्षेत्रों के शिक्षण संस्थानों के छात्र/छात्राओं की भागीदारी बड़ी संख्या में इस वर्ष हुई। जिसमें विद्यार्थियों के कक्षानुसार विभिन्न समूहों में उन्हें विभाजित किया गया था। प्रथमतः निबंध प्रतियोगिता सुबह 08:00 बजे से आरंभ होकर 03:00 बजे इसका अंत काव्यपाठ एवं अभिभाषण से इस प्रतियोगिता का समापन हुआ।

प्रतियोगिता के आयोजन को सफलतापूर्वक सम्पन्न करने के लिए समिति के संरक्षक डा. विद्यानाथ झा, प्रो. धर्मेन्द्र कुमर, अध्यक्ष प्रो. चन्द्रभानु सिंह, उपाध्यक्ष डा. हीरालाल सहनी, डा. मुनेश्वर यादव, डा. राजेन्द्र साह, सचिव डा. लाल कुमार संयुक्त सचिव मुजाहिद आजम, श्री महाकात प्रसाद, श्री रूसो सेन गुप्ता, कोषाध्यक्ष अविनाश कुमार झा, समिति के अन्य कार्यकर्ता में उक्त कार्यक्रम में डा. जमील हसन अंसारी, डा. अमरकांत कुमार, श्री धर्मेन्द्र दास, छवि कुमार, ललित कुमार झा, दुर्गा नन्द ठाकुर, नील कमल चौधरी, मनोज कुमार (हरेराम) इनके अलावा अन्य सहयोगी कार्यकर्ता में संजना झा, अदिति कुमारी, सोनू कुमार सिंह और संदीप कुमार आदि ने भी सहयोग किया।

उक्त कार्यक्रम में दरभंगा मखाना अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक डा. मनोज कुमार की भी गरिमामय उपस्थिति रही।

प्रेमचंद जयंती समारोह समिति, दरभंगा के संरक्षक प्रो. धर्मेन्द्र कुमर ने प्रतियोगिता स्थल पर संबोधित करते हुए कहा कि पिछले 21 वर्षों से छात्रों और युवाओं में स्वस्थ साहित्य और संस्कृति के प्रति अभिरूचि उत्पन्न करने तथा उनमें सामाजिक चेतना के विकास हेतु विभिन्न सांस्कृतिक, साहित्यिक और बौद्धिक प्रतिस्पर्धाओं का आयोजन समिति प्रत्येक वर्ष करती आ रही है।

समिति के अध्यक्ष प्रो. चन्द्रभानु प्रसाद सिंह ने प्रतियोगिता स्थल पर संबोधित करते हुए कहा कि आज की युवा पीढ़ी साहित्य और संस्कृति से विमुख हो रही है। पश्चिम और बाजारवाद के दुष्प्रभाव से वह अपसंस्कृति का शिकार होती जा रही है। सामाजिक और पारिवारिक रिश्ते बेमानी सिद्ध हो रहे हैं। समाज में नैतिक मूल्यों का लगातार क्षरण होता जा रहा है। यह एक गहरे सांस्कृतिक संकट का परिचायक है।

विभिन्न विधाओं के निर्णायक मंडल में मुख्य रूप से डा. ममता रानी ठाकुर, डा. अखिलेश कुमार राठौड़, श्री विजय कुमार साह, श्री चंद्रमोहन पोद्दार, डा. मीनाक्षी राणा, डा. आलोक कुमार राय, डा. उपेन्द्र कुमार झा, डा. मंज़र हुसैन, श्री सुधांशु कुमार, श्रीमती नैना साहू, डा. उमेश कुमार शर्मा, लक्की कुमारी, श्रीमती रीना भूषण शशि, श्री विक्रांत कुमार, डा. नेहा कुमारी, पवन कुमार शर्मा, स्नेहा मिश्रा, अशोक कुमार और नियति कुमारी आदि ने बतौर निर्णायक की भूमिका अदा की।

सफल प्रतिभागियों को उनके शिक्षण-संस्थान के माध्यम से उन्हें सूचित किया जाएगा।