44वें वार्षिक अधिवेशन, बिहार दर्शन परिषद का शुभारंभ।
#MNN@24X7 बिहार दर्शन परिषद का 44 वां वार्षिक अधिवेशन स्नातकोत्तर दर्शनशास्त्र विभाग,ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय,दरभंगा मे आयोजित किया गया। अधिवेशन का श्री गणेश जुबली हॉल, नरगोना पैलेस, ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के परिसर में दिनांक 6 /11/ 2022 को पूर्वाह्न में माननीय कुलपति प्रोफेसर सुरेंद्र प्रताप सिंह महोदय के गरिमामय उपस्थिति में दर्शन महाकुंभ का प्रारंभ किया गया।
यह अधिवेशन 6 नवंबर से लेकर 8 नवंबर तक तीन दिवसीय व्याख्यानमालाओं के साथ आयोजित किया गया है। प्रारंभ में माननीय कुलपति महोदय एवं अन्य मान्यगण्य व्यक्तियों ने प्रदीप प्रज्वलन करके इस अधिवेशन का शुभारंभ किया। मंच पर माननीय कुलपति महोदय के साथ-साथ कुलसचिव महोदय प्रोफ़ेसर मुश्ताक अहमद, बिहार दर्शन परिषद की अध्यक्ष प्रोफेसर पूनम सिंह, 44 वें वार्षिक अधिवेशन की सभापति प्रोफेसर निर्मला झा, दर्शन परिषद के सचिव प्रोफ़ेसर श्यामल किशोर, प्रोफ़ेसर आई एन सिन्हा, प्रोफ़ेसर नागेंद्र मिश्र, प्रोफेसर आर सी सिन्हा, प्रोफ़ेसर आर बी सिंह, प्रोफेसर महेश सिंह, डा. विनय कुमार चौधरी जी की गरिमामयी उपस्थिति रही।
सर्वप्रथम मंचासीन अतिथियों के स्वागत के साथ-साथ मिथिला विश्वविद्यालय के भिन्न-भिन्न महाविद्यालयों के प्रधानाचार्यो को भी सम्मानित किया गया। सभा के कार्यक्रम को बिहार गीत और कुलगीत के साथ आगे बढ़ाते हुए ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष महोदय डॉक्टर रुद्रकांत अमर जी ने मंचासीन अतिथियों एवं सभागार में उपस्थित सभी मान्य विद्वानों एवं प्रतिभागियों का स्वागत किया। दर्शन परिषद बिहार के अध्यक्ष प्रोफ़ेसर पूनम सिंह द्वारा परिषद का परिचय कराया गया एवं दर्शन परिषद के सचिव प्रोफ़ेसर श्यामल किशोर जी ने परिषद के प्रतिवेदन एवं विभिन्न पुरस्कारों की घोषणा की, जिसमें प्रोफेसर एन पी तिवारी (सेवानिवृत्त विभागाध्यक्ष, पटना विश्वविद्यालय) को इस साल का लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से पुरस्कृत किया गया।
इसके बाद स्मारिका, पत्रिका एवं पुस्तकों का विमोचन किया गया। 44 वें वार्षिक अधिवेशन, बिहार दर्शन परिषद की सभापति प्रोफेसर निर्मला झा, पूर्व विभागाध्यक्ष, दर्शन विभाग, बी.आर अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय ने दर्शनशास्त्र के विभिन्न आयामों पर चर्चा की । उन्होंने कहा दर्शन का अर्थ ज्ञान प्राप्ति के प्रति आसक्ति है। बिना ज्ञान के तत्वमीमांसा का जीवित रहना असंभव है। दर्शन सत्य की खोज है।
डॉ वीरेंद्र कुमार चौधरी, प्रधानाचार्य बीआरबी कॉलेज, समस्तीपुर ने संस्कृत भाषा में सभी अतिथियों का मिथिला भूमि पर स्वागत किया। प्रोफेसर नागेंद्र मिश्र जी ने जिजीविषा, जिज्ञासा, एवं सत्य पर अपना वक्तव्य प्रस्तुत किया। सबसे अंत में अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रोफेसर सुरेंद्र प्रताप सिंह जी ने शिक्षा में सुधार और नवीनता के ऊपर प्रकाश डाला। क्वालिटी एजुकेशन और इनोवेटिव रिसर्च के ऊपर उन्होंने अपना वक्तव्य रखा। विश्वविद्यालय के नैक के मूल्यांकन में किस प्रकार सुव्यवस्थित प्रस्तुति हो पाए इस पर अपने वक्तव्य में जोर दिया।
अंत में प्रोफेसर अशोक कुमार जी ने धन्यवाद ज्ञापन किया। अधिवेशन के दूसरे सत्र में व्याख्यानमालाओं का आयोजन हुआ, जिसमें मुद्रिका सिंह स्मृति व्याख्यान, रामनाथ प्रसाद छपरा के द्वारा, वशिष्ठ नारायण सिन्हा स्मृति व्याख्यान, डॉ रवि प्रकाश बबलू, छपरा के द्वारा, प्रोफेसर सोहनराज लक्ष्मी देवी तातडे जोधपुर राजस्थान व्याख्यान प्रोफेसर सुनील चंद्र मिश्र दरभंगा के द्वारा, सियादेवी माधवपुर (खगड़िया) स्मृति व्याख्यान, प्रोफेसर ज्ञानंजय द्विवेदी मधेपुरा के द्वारा, बेनी विश्व बाबूधान स्मृति व्याख्यान, प्रोफेसर आई एन सिन्हा पटना के द्वारा, डा. रामनारायण शर्मा बुजुर्ग विमर्श व्याख्यान, डॉ सुधांशु शेखर मधेपुरा के द्वारा, सत्यार्थी बहन जी स्मृति व्याख्यान डा. आभा झा, राँची के द्वारा एवं दीप नंदिनी प्रदीप नारी सशक्तिकरण व्याख्यान, प्रोफेसर कुसुम कुमारी, बोधगया के द्वारा संपन्न हुआ। इस अधिवेशन में भिन्न- भिन्न राज्यों से शिक्षकगण तथा शोधार्थियों की भारी संख्या में उपस्थिति रही।