-मरीजों का सिजेरियन, बच्चेदानी, हाइड्रोसील ,महिला बंध्याकरण पुरुष नसबंदी का ऑपरेशन निशुल्क

-30 से 45 साल की उम्र की महिलाओं में खतरा ज्यादा

समस्तीपुर,22 जुलाई। अनुमंडलीय अस्पताल में भी अब लगातार मेजर ऑपरेशन होने से गरीब मरीजों को बड़ी राहत मिल रही है। आर्थिक अभाव से जूझ रहे मरीजों के लिए यह राहत की तरह है। शुक्रवार को अनुमंडलीय अस्पताल दलसिंहसराय में बच्चेदानी का ऑपरेशन डॉ अनुपम कुमारी, स्त्री रोग विशेषज्ञ के द्वारा किया गया। अजनौल निवासी मंजू देवी पिछले सप्ताह पेट दर्द की शिकायत लेकर ओपीडी में दिखाने को आई। डॉ अनुपम कुमारी ने अल्ट्रासाउंड किया तो बच्चादानी काफी बड़ा था । डॉक्टर ने मंजू को सलाह दी कि बच्चेदानी को निकलना होगा क्योंकि बच्चेदानी में संक्रमण हुआ है। डॉ अनुपम ने बताया कि महिला को फब्रॉयड यूटेरस ( यूटरस ट्यूमर ) था जो कि लगभग 6 माह के बच्चे जितना बड़ा हो गया था। ऑपरेशन कर यूटेरस निकाल दिया गया है। यूटेरस का वजन लगभग दो किलो है। महिला अब खतरे से बाहर है।मरीज मंजू के पति ने बताया कि आर्थिक रूप से वह कमजोर हैं। कई चिकित्सकों से इलाज कराया। सबने कहा ऑपरेशन जरूरी है। उसने कहा कि परेशान थे कि कैसे ऑपरेशन कराएं। आखिरकार अनुमंडलीय अस्पताल में ही ऑपरेशन हुआ। . उपाधीक्षक डॉ अरुण कुमार ने बताया कि अनुमंडलीय अस्पताल दलसिंहसराय में सिजेरियन, बच्चेदानी, हाइड्रोसील, महिला बंध्याकरण एवम पुरुष नसबंदी का ऑपरेशन निःशुल्क होता है। उन्होंने बताया कि अनुमंडलीय अस्पताल में मेजर ऑपरेशन लगातार किए जा रहे हैं। मरीजों को परेशानी नहीं हो इसके लिए अस्पताल प्रबंधन की ओर से हर तरह की सुविधा दी जा रही है।

30 से 45 साल की उम्र की महिलाओं में खतरा ज्यादा :

गर्भाशय में ट्यूमर का तुरंत आपरेशन करना चाहिए। क्योंकि विलंब करने से यह कैंसर का रूप भी धारण कर सकता है। भारत में कुल कैंसर मरीजों का एक तिहाई हिस्सा गर्भाशय के कैंसर से पीड़ित है। 30 से 45 साल की उम्र की महिलाओं में ये खतरा ज्यादा होता है। स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ अनुपम ने बताया ये बीमारी एचपीवी (ह्यूमन पौपीलोमा वायरस) से फैलती है। सही समय पर सही इलाज से इस वायरस को खत्म भी किया जा सकता है। लेकिन अगर इसकी अनदेखी की जाए तो यह गर्भाशय के कैंसर का कारण भी बन सकता है। इसलिए महिलाओं को 30 साल के बाद एचपीवी की जांच नियमित रूप से करवानी चाहिए। इस के अलावा कैंसर से बचाव के लिए बनाया गया टीका लगवाने से भी इस से काफी हद तक बचा जा सकता है। अक्सर देखा गया है कि महिलाओं में मोनोपाज के बाद ये लक्षण दिखने लगते हैं । इस बीमारी के पीछे क्या कारण हो सकते हैं । “इसके पीछे का बिल्कुल सही कारण क्या है। ये पता लगाना मुश्किल होगा लेकिन सबसे पहला कारण तो माहवारी के समय होने वाला इंफेक्शन है। महिलाएं इस समय साफ सफाई का ध्यान नहीं रखती हैं। , सैनटरी पैड का प्रयोग बढ़ा है लेकिन एक ही पैड का लंबे समय तक इस्तेमाल भी खतरनाक हो सकता है। कुछ दवाओं को नियमित इस्तेमाल भी इसका कारण हो सकता है। इसके अलावा बार बार गर्भधारण करना। , कई लोगों के साथ शारीरिक संबंध या कम उम्र में शादी भी इसके कारण हो सकते हैं। गर्भाशय के कैंसर का शुरुआती लक्षण ट्यूमर बनना ही है। ज्यादातर केस में इसका पता पहले स्टेज में ही चल जाता और आपरेशन से यूट्रस को निकाल दिया जाता है।”

स्वच्छता के अभाव से होती है परेशानी :

मासिक धर्म में स्वच्छता नहीं होने के कारण महिलाओं में गर्भाशय कैंसर के मामले काफी तेजी से बढ़ रहे हैं। . मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता न रखने पर बैक्टीरियल और फंगल इंफेक्शन होने की संभावना बनी रहती है। यह संक्रमण कभी-कभी यूट्रस तक भी पहुंच जाता है। स्वस्थ रहने के लिए स्वच्छता बहुत जरूरी है। मासिक धर्म के समय सेनेटरी पैड्स का इस्तेमाल करें। इन्हें भी हर छह घंटे में बदलें। गीला रहने पर त्वचा में संक्रमण हो सकता है। इस्तेमाल किए गए पैड को सही तरीके से फेंकना भी बहुत जरूरी है, नहीं तो आसपास के वातावरण में भी बीमारियां फैल सकती हैं। प्रयोग किए गए पैड्स कागज में लपेटकर कूड़ेदान में डालें। ध्यान रखें कि माहवारी कोई बीमारी नहीं है, बल्कि एक साधारण शारीरिक प्रक्रिया है। अगर कोई समस्या है तो डॉक्टर की सलाह लेने में देर न करें।